Credit Card का स्टेटमेंट करता है कंफ्यूज? आज ही समझ लें ये 7 जरूरी टर्म्स कभी नहीं होगी दिक्कत
अगर आप क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं तो आपको हर महीने इसका स्टेटमेंट मिलता होगा. लेकिन अगर आपको स्टेटमेंट को लेकर कंफ्यूजन रहती है तो हम आपके लिए यहां डीटेल में इसके टर्म्स बता रहे हैं, ताकि आपको इसके बाद कोई और कंफ्यूजन नहीं रहे.
क्रेडिट कार्ड आपके फाइनेंशियल बैकअप की तरह काम करता है. इसका रिस्क समझ कर यूज़ किया जाए तो ये आपके लिए बहुत ही हेल्पफुल टूल साबित हो सकते हैं. अगर आप क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं तो आपको हर महीने इसका स्टेटमेंट मिलता होगा. लेकिन अगर आपको स्टेटमेंट को लेकर कंफ्यूजन रहती है तो हम आपके लिए यहां डीटेल में इसके टर्म्स बता रहे हैं, ताकि आपको इसके बाद कोई और कंफ्यूजन नहीं रहे.
क्रेडिट कार्ड क्या होता और किन-किन चीजों की डीटेल्स होती हैं
क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट आपका बिलिंग डॉक्यूमेंट होता है, जो बताता है कि आपने पिछले महीने में या पिछले साइकल में क्या-क्या ट्रांजैक्शन किया है. क्या परचेज और पेमेंट स्टेटस है. इसमें आपकी पर्सनल डीटेल्स के साथ, पेमेंट ड्यू, मिनिमम अमाउंट ड्यू, क्रेडिट लिमिट, अकाउंट समरी में ओपनिंग बैलेंस, पिछले बकाया में ओवरलिमिट, डोमेस्टिक ट्रांजैक्शन, रिवॉर्ड पॉइंट्स समरी, ऑफर्स और कुछ अन्य जरूरी जानकारियां हो सकती हैं.
क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट से जुड़े ये टर्म्स समझना जरूरी
क्रेडिट कार्ड का पूरी तरह से समझने के लिए आपको कुछ टर्म्स हैं, जिनका मतलब जानना जरूरी है.
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1. पेमेंट ड्यू डेट (Payment Due Date)- क्रेडिट कार्ड कंपनी एक लिमिट तय करती है, जिसके पहले-पहले आपको आउटस्टैंडिंग बैलेंस सेटल करना होता है. जिस लास्ट डेट तक आप अपना पेमेंट, एडिशनल चार्ज या फिर लेट फीस जमा कर सकते हैं, उसे पेमेंट ड्यू कहते हैं.
2. मिनिमम अमाउंट ड्यू (Minimum Amount Due)- क्रेडिट कार्ड के साथ आपको ये सुविधा मिलती है कि आप पूरे बकाये की जगह एक निश्चित अमाउंट तक बकाया चुका दें. आप पूरा बकाया लिमिट से पहले चुकाएं या नहीं, लेकिन मिनिमट अमाउंट ड्यू चुकाना जरूरी होता है. आपको अपने आउटस्टैंडिंग बैलेंस पर एक्स्ट्रा इंटरेस्ट रेट तो भरना होगा, लेकिन लेट फीस माफ हो जाएगी.
3. क्रेडिट लिमिट (Credit Limit)- इसका मतलब उस मैक्सिमम अमाउंट से है, जितना कार्डहोल्डर खर्च कर सकता है.
4. करंट आउटस्टैंडिंग बैलेंस (Current Outstanding Balance)- क्रेडिट कार्डहोल्डर को एक निश्चित अमाउंट अपनी क्रेडिट कार्ड कंपनी को देना ही होता है. टोटल अमाउंट को करंट आउटस्टैंडिंग बैलेंस कहते हैं. कार्डहोल्डर के पिछले बिलिंग साइकल में हुए खर्च के हिसाब से यह बैलेंस कैलकुलेट किया जाता है.
5. बिलिंग साइकल (Billing Cycle)- क्रेडिट कार्ड के दो बिल जेनरेट करने के बीच के वक्त को बिलिंग साइकल कहते हैं. एक बिलिंग साइकल कितना लंबा होगा, यह क्रेडिट कार्ड कंपनी/बैंक तय करते हैं. आमतौर पर यह 20 से 45 दिनों के भीतर हो सकता है.
6. ट्रांजैक्शन हिस्ट्री (Transaction History)- ट्रांजैक्शन हिस्ट्री में कार्डहोल्डर की ओर से उस कार्ड से किए गए हर पेमेंट की डीटेल होती है. इसे कार्डहोल्डर कभी भी एक्सेस कर सकता है.
7. रिवॉर्ड्स और रिबेट्स (Rewards and Rebates)- क्रेडिट कार्डहोल्डर को कार्ड यूज करने पर रिवॉर्ड पॉइंट यूज करने का मौका मिलता है. वो इसका इस्तेमाल बैंक की ओर से मिल रहे शॉपिंग ऑफर्स पर कर सकते हैं और डिस्काउंट पा सकते हैं.
इसके अलावा, अगर आपके इंटरेस्ट रेट में कुछ बदलाव हुआ है, तो इसकी जानकारी भी आपके स्टेटमेंट पर दी जा सकती है. मंथली बिल में आपको फीस और इंटरेस्ट चार्ज की भी जानकारी मिलेगी. इंटरेस्ट चार्ज कैलकुलेशन की डीटेल्स हो सकती हैं, जिसमें बताया जाता है कि अलग-अलग ट्रांजैक्शन, अकाउंट बैलेंस, और हर टाइप के ट्रांजैक्शन पर लगने वाला इंटरेस्ट चार्ज कितना है.
02:25 PM IST