राफेल सौदा : सबूत नहीं, पर राहुल-ओलांद के बीच जरूर कुछ जुगलबंदी : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद राफेल सौदे पर उल्टा बयान दे रहे हैं.
फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के बयान को गलत ठहराया था. (फाइल फोटो)
फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के बयान को गलत ठहराया था. (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद राफेल सौदे पर उल्टा बयान दे रहे हैं. जेटली ने रविवार को फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि ओलांद ने अब कहा है कि न तो भारत और न ही फ्रांस सरकार की दसॉल्ट द्वारा रिलायंस को भागीदार के रूप में चुनने में कोई भूमिका थी. राफेल सौदे पर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद भारी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. ओलांद ने कहा था कि राफेल लड़ाकू जेट निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने आफसेट भागीदार के रूप में अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को इसलिये चुना क्योंकि भारत सरकार ऐसा चाहती थी.
दसॉल्ट कंपनी ने खुद रिलायंस को चुना
हालांकि, फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन ने पूर्व राष्ट्रपति के बयान को गलत ठहराया था. जेटली ने कहा, 'फ्रांस सरकार ने कहा है कि दसॉल्ट एविएशन के आफसेट करार पर फैसला कंपनी ने किया है और इसमें सरकार की भूमिका नहीं है.' जेटली ने कहा कि दसॉल्ट खुद कह रही है कि उसने आफसेट करार के संदर्भ में कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ अनेक करार किया है और यह उसका खुद का फैसला है. जेटली ने 'एक सवाल खड़ा करने वाला बयान जिसमें परिस्थितियां और तथ्य नहीं' शीर्षक से फेसबुक पोस्ट में कहा कि दसॉल्ट और रिलायंस ने खुद आपसी करार किया, जैसा पूर्व राष्ट्रपति ओलांद अब कह रहे हैं.'
क्या कहा था ओलांद ने
ओलांद ने शुक्रवार को कहा था कि 58,000 करोड़ रुपये के राफेल युद्धक विमान सौदे में भारत सरकार ने रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट एविएशन का साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था और फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं था.
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HOLLANDE'S STATEMENT, RAHUL GANDHI'S TWEET "ORCHESTRATED": ARUN JAITLEY
— ANI Digital (@ani_digital) September 23, 2018
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क्या है राफेल डील में विवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ओलांद के साथ वार्ता करने के बाद 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की घोषणा की थी. यह सौदा अंतत: 23 सितंबर, 2016 को हुआ. कांग्रेस राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता का आरोप लगाती रही है. कांग्रेस का आरोप है कि उसकी अगुवाई वाली पिछली संप्रग सरकार जब इस सौदे के लिए बातचीत कर रही थी तो प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए तय हुई थी, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार 1,670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है. विपक्षी दलों का यह भी आरोप है कि 2015 में राफेल सौदे की घोषणा से महज 12 दिन पहले रिलायंस डिफेंस बनी. रिलायंस ग्रुप ने आरोपों को खारिज किया है.
इनपुट एजेंसी से भी
12:26 PM IST