Fixed Deposit पर ज्यादा रिटर्न के दिन आने वाले हैं? RBI ने तैयार किया ग्राउंड
Home Loan या Car Loan पर फिलहाल के लिए राहत की खबर है लेकिन मई के बाद इसके रेट बढ़ भी सकते हैं. हालांकि FD और दूसरी बचत योजना पर ब्याज में बढ़ोतरी भी हो सकती है.
CRR को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाएगा. (Reuters)
CRR को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाएगा. (Reuters)
Home Loan या Car Loan पर फिलहाल के लिए राहत की खबर है लेकिन मई के बाद इसके रेट बढ़ भी सकते हैं. हालांकि FD और दूसरी बचत योजना पर ब्याज में बढ़ोतरी भी हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि RBI ने शुक्रवार को प्रमुख ब्याज दरों में छेड़छाड़ नहीं करने का ऐलान किया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक के बाद रेपो रेट 4% (repo rate@4%) पर बरकरार रखने की बात कही.
RBI के गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि रिवर्स रेपो रेट (Reverse repo rate @ 3.5%) भी 3.35% पर बरकरार है. लेकिन CRR को धीरे-धीरे बढ़ाने का प्रस्ताव किया है. RBI के मुताबिक CRR को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाएगा. इसे 27 मार्च 2021 को 3.5% और फिर 22 मई 2021 को बढ़ाकर 4 प्रतिशत पर लाया जाएगा.
जानकारों की मानें तो रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट से ज्यादा कैश रिजर्व रेशियो (CRR) का अहम रोल है. यह सीधे तौर पर ग्राहकों की emi से जुड़ी है. बैंक को कुल कैश रिजर्व का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा करना होता है. इस रकम को मुसीबत के वक्त के लिए रखा जाता है. बैंक के साथ दिक्कत पर इसका इस्तेमाल होता है. अगर यह बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ी रकम रिजर्व बैंक में रखनी होगी. इससे वह कर्ज कम बांट पाएंगे. Liquidity के लिए उन्हें FD और दूसरी बचत योजनाओं में ब्याज बढ़ाना पड़ सकता है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा इन स्कीम में पैसा लगाएं और बैंक अपनी जरूरत पूरी कर सके.
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तीन बार नहीं बदली है ब्याज दर
पहले हुई मौद्रिक नीति (Monetary policy) की समीक्षा के बाद प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट (repo rate) 4 फीसदी पर स्थिर रखा था. वहीं रिवर्स रेपो रेट भी 3.35 फीसदी पर बनी हुई है. Repo रेट वह ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक SBI समेत दूसरे बैंकों को कम समय के लिए कर्ज देता है. अगर इसमें कटौती होती तो बैंकों को RBI को कम ब्याज देना होता, जैसे बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देने के बाद ब्याज emi के रूप में वसूलते हैं. कटौती होती तो इसका असर आपकी emi पर भी पड़ता.
इसके उलट अगर रिजर्व बैंक Repo rate बढ़ाता तो बैंकों के लिए उसे कर्ज लेना महंगा हो जाता. इससे Home loan, Car loan और दूसरे लोन की ब्याज दर बढ़ जाती. हालांकि यह तभी होता है जब बाजार में डिमांड अच्छी हो. कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण इस समय मार्केट में वैसे ही लोन की डिमांड डाउन चल रही है. इसलिए RBI इसे स्थिर रखे है.
वहीं रिवर्स रेपो रेट वह दर है जो RBI बैंकों को ब्याज के तौर पर देता है. बैंक अपनी रकम रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. इस पर RBI उन्हें ब्याज देता है. बाजार में लिक्विडिटी बढ़ने पर RBI इस रेट में फेरबदल करता है ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए बड़ी रकम उसके पास गिरवी रखें.
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06:28 PM IST