वायदा बाजार : जोखिम कम मुनाफा ज्यादा, लेकिन पहले रखें ये ध्यान
कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से.
वायदा कारोबार में हैं कई मौके पर जानकारी होना जरूरी (फाइल फोटो)
वायदा कारोबार में हैं कई मौके पर जानकारी होना जरूरी (फाइल फोटो)
कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. शेयर बाजार में हम किसी कंपनी के अंश खरीदकर उसके नफा-नुकसान में हिस्सेदार बनते हैं, लेकिन कमोडिटी बाजार में कच्चे माल की खरीद-फरोख्त की जाती है. जिन चीजों की इस्तेमाल एक इंसान रोजमर्रा के जीवन में करता है, कमोडिटी में वे सभी चीजें आती हैं, जैसे दाल, चावल, मसाले, रुई, सोना, चांदी, लोहा आदि. इस बाजार में ज्यादातर कृषि उत्पादों को शामिल किया गया है.
वस्तुओं के भावों पर होते हैं सौदे
इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर वस्तु कमोडिटी में आती है. कमोडिटी मार्केट में सामान के पुराने तथा नए भावों के आधार पर भविष्य के भावों में सौदे किए जाते हैं. यहां लाभ के लिए शेयर बाजार की तरह लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. डिमांड के हिसाब से वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. यहां कारोबारी किसी भी चीज के दाम आसमान पर चढ़ा देते हैं और किसी के उतार देते हैं. देश में खाने-पीने की चीजों में एकाएक महंगाई के पीछे कहीं हद तक वायदा बाजार का हाथ होता है. इसलिए जब भी किसी वस्तु के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं तो सरकार को मजूबरन उस वस्तु के वायदा बाजार पर रोक लगानी पड़ती है. इस बाजार में कीमतें मांग और सप्लाई के नियम से तय होती हैं.
क्या है वायदा बाजार
अगर आप कमोडिटी की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं तो थोड़े बहुत निवेश में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे कि भारतीय मसालों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग होती है, इसलिए मसालों के सौदे करके आप अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कमोडिटी मार्केट में एक तय तारीख तक के लिए सौदे किए जाते हैं. हर महीने के आखिरी गुरूवार को सौदों का निपटारा होता है. अगर आप चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने से भी आगे बढ़ा सकते हैं. वायदा कारोबार कमोडिटी एक्सचेंज में होता है. देश में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और आईसीईएक्स प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं. वर्तमान में वायदा लेन-देन के लिए राष्ट्रीय स्तर के पांच केंद्र हैं, इनमें 113 जिंसों की वायदा खरीद-बिक्री होती है. इसके अलावा 16 ऐसे केन्द्र हैं, जहां पर वायदा बाजार कमीशन द्वारा जिंसों में ही सौदे होते हैं. वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का मुख्यालय मुंबई में है.
बॉम्बे में कॉटन से शुरू हुई कमोडिटी मार्केट की शुरूआत
कमोडिटी बाजार की शुरूआत 1875 में बॉम्बे कॉटन ट्रेड एसोशिएशन के साथ हुई थी. यहां पर केवल कॉटन के सौदे होते थे. इसके बाद 1900 में गुजराती व्यापारी मंडली ने बादाम, बीज और कपास के व्यापार के सौदे करने शुरू किए. 2007 में अभिषेक बच्चन की फिल्म 'गुरु' वायदा बाजार के खेल पर ही आधारित थी.
इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप कृषि जिंसों का कारोबार करना चाहते हैं तो उस जिंस का उत्पादन, मांग और सप्लाई की जानकारी होनी चाहिए. फसल मौसम में उसकी आवक, मौसम की जानकारी और आने वाले समय में फसल कैसी होगी, कितनी फसल बाजार में आएगी, उसका क्या भाव रहेगा आदि की जानकारी होनी चाहिए.अगर आप धातु में सौदा करना चाहते हैं तो उसके उत्पादन, आयात निर्यात और उद्योग जगत में उस धातु के इस्तेमाल की जानकारी का गहराई से अध्ययन करना चाहिए.
दो तरह से होता है व्यापार
वायदा बाजार में दो तरह से सौदे होते हैं एक तो फ्यूचर क्या है फ्यूचर और ऑप्शन के आधार पर. इसमें अगर सौदों की खरीद-फरोख्त के लिए वस्तु के वास्तिक मूल्य की जरूरत नहीं होती है, केवल मार्जिन मनी पर ही सारा खेल चलता है. फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए कम निवेश की जरूरत होती है. यहां रोजाना नफा-नुकसान का हिसाब होता है. नुकसान होने पर ट्रेडर को उसकी भरपाई ब्रोकर को करनी होती है
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Written By:
श्रीराम शर्मा
Updated: Wed, Nov 21, 2018
12:43 PM IST
12:43 PM IST
नई दिल्ली
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