Startup Branding में फाउंडर्स करते हैं ये 10 गलतियां, इन्हीं के चलते डूब जाते हैं कई बिजनेस
Written By: अनुज मौर्या
Mon, Apr 22, 2024 07:24 PM IST
एक स्टार्टअप (Startup) शुरू करना आसान नहीं होता. इसमें ध्यान रखना होता है कि ब्रांडिंग (Branding) मजबूत हो. आपको ब्रांडिंग करते हुए अपने टारगेट ऑडिएंस का ध्यान रखना जरूरी होता है. कई बार कुछ स्टार्टअप कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि उनकी ब्रांडिंग उल्टी दिशा में चली जाती है. नतीजा ये होता है कि बिजनेस बढ़ने के बजाय डूबने लग जाता है. आइए जानते हैं ऐसी ही 10 गलतियों (10 Startup Branding Mistakes) के बारे में, जिन्हें ब्रांडिंग के दौरान करने से बचना चाहिए.
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1- ब्रांडिंग को हल्के में ना लें
अक्सर नए-नए स्टार्टअप ब्रांडिंग की ताकत को हल्के में लेते हैं. वह सुंदर सा लोगो, नाम और टैगलाइन तो रख लेते हैं, लेकिन ब्रांडिंग सिर्फ इन्हीं तक सीमित नहीं होती है. वह अपने ब्रांड नेम के हिसाब से बिजनेस को मेंटेन नहीं कर पाते हैं. ध्यान रहे, ब्रांडिंग को आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब है कि लोग आपको कैसे देखते हैं. ऐसे में अपने बिजनेस की ब्रांडिंग करते वक्त ध्यान रखें कि वह आपके बिजनेस से मेल खाए, ना कि एक अलग ही मैसेज दे.
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2- मार्केट रिसर्च को नजरअंदाज करना
अगर आपको अपने प्रोडक्ट को अच्छे से समझना है, टारगेट ग्रुप को अच्छे से जानना है तो इसके लिए मार्केट रिसर्च करना बहुत जरूरी है. बहुत से स्टार्टअप फाउंडर मार्केट रिसर्च को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि उन्हें पब्लिक का फीडबैक सही से पता ही नहीं चल पाता है. अगर फीडबैक ही नहीं मिलेगा तो आप अपने प्रोडक्ट को बेहतर नहीं बना पाएंगे.
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3- बिना ट्रेडमार्क वाला ब्रांड नेम चुनना
कई बार स्टार्टअप फाउंडर बिना ट्रेडमार्क वाला ब्रांड नेम चुन लेते हैं, जो आगे चलकर मुसीबत का सबब बन जाता है. कई बार ब्रांड नेम ऐसा चुन लिया जाता है, जिसे ट्रेड मार्क कराने की मनाही होती है. या कई बार वह ब्रांड नेम पहले से ही रजिस्टर होता है. ऐसे में जब बिजनेस बढ़ने लगता है तो ब्रांड नेम को ट्रेडमार्क कराने में दिक्कतें आती हैं, जिसका नतीजा ये होता है कि आपको वह ब्रांड नेम छोड़ना पड़ता है, जिस पर आपने ढेर सारा पैसा और मेहनत लगाई है.
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4- पहले से चल रहे ब्रांड की कॉपी करना
ऐसा देखने को मिला है कि कई स्टार्टअप पहले से ही चल रहे किसी ब्रांड को कॉपी कर के आगे बढ़ना चाहते हैं. शुरुआत में उन्हें थोड़ी सफलता मिलती भी है, जिससे वह उसी ब्रांड को कॉपी करते हुए या डुप्लिकेट की तरह आगे बढ़ते रहते हैं. हालांकि, इसका नतीजा ये होता है कि एक स्तर पर पहुंचने के बाद आपके बिजनेस की ग्रोथ रुक सी जाती है, क्योंकि लोगों को ये पता होता है कि एक पहले से चल रहे ब्रांड की कॉपी हैं. वहीं ट्रेडमार्क में जो दिक्कतें आती हैं वो अलग.
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5- ब्रांडिंग में बार-बार बदलाव करना
कई बार कुछ-कुछ दिनों या महीनों के अंतर में स्टार्टअप फाउंडर बार-बार अपने ब्रांड के लोगो, रंग, फॉन्ट जैसी चीजों में बदलाव करते हैं. इससे टारगेट ऑडिएंस काफी कनफ्यूज होती है. शुरुआत में ही अच्छे से सोच-समझकर ब्रांडिंग करें. मार्केट रिसर्च के बाद अगर ब्रांडिंग में बदलाव की जरूरत लगती है तो एक-दो बार ही बदलाव करें, बार-बार नहीं. बार-बार बदलते हुए ब्रांड को देखकर उसमें लोगों का भरोसा कम होता है और वह धीरे-धीरे आपके ब्रांड को भूलते चले जाते हैं.
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6- स्टोरीटेलिंग की ताकत को नजरअंदाज करना
हर ब्रांड की अपनी कोई न कोई कहानी जरूर होती है. यह कहानी इमोशनल भी हो सकती है, प्रेरित करने वाली भी हो सकती है और आपके संघर्षों को दिखाने वाली भी हो सकती है. कई बार फाउंडर्स अपने ब्रांड की कहानी को नहीं बताते हैं या यूं कहें कि नहीं बता पाते हैं. नतीजा ये होता है कि उनके ब्रांड से लोग जुड़ नहीं पाते. एक स्टार्टअप फाउंडर के तौर पर आपको अपने ब्रांड की कहानी लोगों तक पहुंचाने का हुनर आना जरूरी है. आपको अपने ब्रांड की कहानी हर प्लेटफॉर्म पर शेयर करनी चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग उसे जानें और आपके साथ जुड़ें. अगर आप चाहे तो किसी प्रोफेशनल स्टोरी टेलर की मदद भी ले सकते हैं.
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7- ब्रांड के मैसेज को मुश्किल बना देना
कई बार फाउंडर्स अपने ब्रांड के मैसेज को जरूरत से ज्यादा मुश्किल बना देते हैं, क्योंकि वह भारी-भारी शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. ध्यान रहे कि आपके ब्रांड का मैसेज आसान होना चाहिए जो लोगों को आसानी से समझ आ सके और वह कनफ्यूज ना हों. ब्रांड का मैसेज मुश्किल होने की वजह से लोगों को आपके ब्रांड से जुड़ने में दिक्कत होती है और वह धीरे-धीरे आपके ब्रांड को भूलते चले जाते हैं.
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8- हर किसी को खुश करने की कोशिश
कई बार स्टार्टअप फाउंडर अपनी ब्रांडिंग के जरिए अधिक से अधिक लोगों को या यूं कहें कि हर किसी को लुभाना चाहते हैं. यही वजह है कि वह अलग-अलग कैटेगरी को ध्यान में रखते हुए ब्रांड नेम को काफी डायल्यूट कर देते हैं. आपको इससे बचना चाहिए. सबसे पहले ये तय कर लेना चाहिए आपका टारगेट ग्रुप क्या है और फिर उसी के हिसाब से ब्रांडिंग करनी चाहिए. यानी आपको सिर्फ एक टारगेट ग्रुप को खुश करने की कोशिश करनी है, ना कि हर किसी को खुश करने के चक्कर में पड़ना है.
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9- ब्रांड वॉइस को नजरअंदाज करना
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