Money Guru: फेस्टिव सीजन में महंगी हुई EMI, एक्सपर्ट्स से जानें बढ़ती ब्याज दरों में कहां होगी कमाई?
Money Guru: RBI ने एक बार फिर से अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है, जिसके रेपो रेट 0.50% या 50 बेसिस पॉइंट बढ़ गए हैं. आइए जानते हैं बढ़ती ब्याज दरों का आपके निवेश पर क्या असर पड़ेगा?
Money Guru: भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने शुक्रवार (30 सितंबर, 2022) को अपनी मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान कर दिया है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने बेंचमार्क पॉलिसी रेट में 0.50% या 50 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है. इसके बाद रेपो रेट 5.40% से बढ़कर 5.90% हो गया है. आइए जानते हैं बढ़ती ब्याज दरों का आपके निवेश पर क्या असर पड़ेगा? इसके साथ ही यह जानना भी आवश्यक है कि बढ़ती महंगाई से क्या आपको अपने निवेश में कोई बदलाव करने की आवश्यकता है या नहीं? इन सभी सवालों का जवाब देंगी NISM में प्रोफेसर मोनिका हालन और फिनसेफ फाउंडर मृन अग्रवाल.
कितनी बढ़ीं ब्याज दरें
- RBI ने ब्याज दरें 0.50% बढ़ाईं
- रेपो रेट बढ़कर 5.90% हुआ
- मई 2022 से अबतक दरों में 1.90% इजाफा
- दरें जून 2019 के 5.75% से ऊपर आईं
बढ़ी दरें का क्या होगा आप पर असर
- सभी प्रकार के लोन महंगे होंगे
- रेपो रेट लिंक्ड लोन रेट बढ़ेंगे
- होम लोन, कार लोन पर बढ़ेगी EMI
- होम लोन की अवधि या EMI बढ़ेगी
- EMI बढ़ने पर मौजूदा बचत कम होगी
- फ्लोटिंग रेट में ब्याज दरों का सीधा असर
- फिक्स्ड रेट में दरों में बदलाव का असर नहीं पड़ता
महंगाई दर और ब्याज दर
- रेट बढ़ोतरी के बाद महंगाई और ब्याज दर में अंतर कम हुआ
- महंगाई दर 7% पर, रेपो रेट 5.90% पर आई
- दूसरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर
- बाकी देशों के मुकाबले भारत में अंतर कम
- आगे ब्याज दरें और बढ़ने की रफ्तार कम होने का अनुमान
होम लोन (Home Loan) पर असर
- ब्याज दरें बढ़ने का EMI पर दो तरह से असर
- रेपो रेट बढ़ने से सबसे पहले बढ़ती है कर्ज चुकाने की अवधि
- 8.05% का होम लोन बढ़कर 8.55% पर आ जाएगा
- 50 लाख के लोन पर अवधि 2 साल 3 महीने से बढ़ेगी
- 11 लाख का अतिरिक्त ब्याज भुगतान देना पड़ेगा
- लोन की अवधि की जगह EMI भी बढ़ा सकते हैं
- लोन की EMI 42.7 हजार से बढ़कर 44.36 हजार होगी
- EMI बढ़ने से हर महीने 1437 का अतिरिक्त खर्च बढ़ेगा
कैसे कम करें ब्याज का बोझ?
- फ्लोटिंग रेट ऑप्शन चुन सकते हैं
- EMI को बढ़ाकर,अवधि कम कर सकते हैं
- अवधि बढ़ाकर, EMI का बोझ घटा सकते हैं
- लोन रकम की प्री-पेमेंट कर सकते हैं
- एकमुश्त रकम मिलने पर लोन चुका सकते हैं
प्री-पेमेंट कैसे करें?
- बीच-बीच में एकमुश्त प्री-पेमेंट कर सकते हैं
- हर महीने सिस्टमैटिक पार्ट पेमेंट भी कर सकते हैं
- खर्च से अतिरिक्त राशि बचे,तो प्री-पेमेंट कर सकते हैं
- बोनस का इस्तेमाल,लोन प्री-पेमेंट में कर सकते हैं
- फ्लोटिंग रेट या फिक्स्ड रेट पर लोन,ये ध्यान रखें
डेट में स्ट्रैटेजी
- डेट फंड पर बढ़ती दरों का नेगेटिव असर
- लॉन्ग ड्यूरेशन डेट फंड में निवेश से बचें
- लिक्विड,अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड में निवेश करें
- मीडियम ड्यूरेशन,डायनमिक बॉन्ड फंड सही
- बैंकिंग एंड PSU फंड में निवेश करें
- 3 साल से कम निवेश-FD,अल्ट्रा शॉर्ट टर्म डेट फंड सही
- 3 साल से ऊपर निवेश- शॉर्ट ड्यूरेशन डेट फंड सही
स्कीम रिटर्न
FD 2.90%-5.65%
शॉर्ट ड्यूरेशन फंड 5.60%
अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन 4.43%
बैंकिंग एंड PSU 5.85%
डायनमिक बॉन्ड फंड 5.37%
सरकारी बॉन्ड
- G-SEC केंद्र या राज्य सरकारें जारी करती हैं
- इनकी अवधि 5 से लेकर 30 साल तक होती हैं
- सरकारी सेक्योरिटीज में डिफॉल्ट का खतरा नहीं
- मेच्योरिटी से पहले बेचना संभव नहीं
- ऊंची ब्याज दरों में खरीद फायदेमंद
- लंबी अवधि और मेच्योरिटी तक निवेश का फायदा
इक्विटी फंड पर असर
- बाजार में उतार-चढ़ाव जारी
- बढ़ती दरों का बाजार पर असर
- कोई भी असर सिर्फ छोटे समय के लिए
- इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से फायदा
- म्यूचुअल फंड में SIP,महंगाई को मात देने में कारगर
08:41 PM IST