Budget 2022: हेल्थ इंश्योरेंस पर GST से राहत की उम्मीद, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर हो सकता है नया एलान
Budget 2022: कोरोना महामारी के बीच हेल्थकेयर सेक्टर को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं. सेक्टर व इंडस्ट्री एक्सपर्ट मान रहे हैं यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए एक नई व्यवस्था शुरू करने की जरूरत है, जिससे कि देश की आबादी के एक मिनिमम हेल्थ इंश्योरेंस का कवर उपलब्ध कराया जा सके.

Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) आगामी 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी. कोरोना महामारी के बीच हेल्थकेयर सेक्टर को भी बजट से काफी उम्मीदें हैं. बीते तीन साल से महामारी ने लोगों की जीवन को काफी प्रभावित किया है. ऐसे में हेल्थकेयर एक्सपर्ट मान रहे हैं यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए एक नई व्यवस्था शुरू करने की जरूरत है, जिससे कि देश की आबादी के एक मिनिमम हेल्थ इंश्योरेंस का कवर उपलब्ध कराया जा सके. वहीं, इंडस्ट्री का मानना है कि हेल्थ बजट बढ़ाने के साथ-साथ महामारी जैसे हालातों से निपटने के लिए एक लॉन्ग टर्म पॉलिसी लाने की जरूरत है.
मेडिकल सेविंग्स अकाउंट
SBI रिसर्च की रिपोर्ट इकोरैप में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए कई अहम सुझाव दिए गए हैं. इसमें एक सुझाव यह है कि सरकार को मेडिकल सेविंग्स अकाउंट (Medical Savings account) उपलब्ध कराया जाना चाहिए. जिसमें एडवांस टैक्स का एक हिस्सा मेडिक्लेम पॉलिसी में जा सकता है. या एक ऐसी स्कीम लाई जाए, जिसमें सेविंग्स अकाउंट से ब्याज की रकम काट कर मेडिक्लेम पॉलिसी के प्रीमियम का पेमेंट किया जाए.
भारत में जनधन अकाउंट्स को छोड़कर करीब 130 करोड़ सेविंग्स बैंक अकाउंट्स हैं. अगर हम इंश्योरेंस अमाउंट के रूप में इन 1215 रुपये का एवरेज बैलेंस अमाउंट लेते हैं, तो अकाउंट होल्डर को सालाना 50,000 रुपये तक इंश्योरेंस कवर मिल सकता है. जिसे मेडिकल एक्सपेंस के रूप में बदला किया जा सकता है.
TRENDING NOW

Stock Market Outlook: बाजार में जारी रहेगी तेजी! सेंसेक्स जाएगा 70000 के पार और निफ्टी 21000 का छुएगा लेवल

Microsoft का 'Deep Search' फीचर देखा क्या?रिजल्ट ढूंढने में 10 गुना ज्यादा मेहनत करता है- जानें क्या है यूज
एसबीआई रिसर्च का कहना है कि सरकार को हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट पर GST से छूट देनी चाहिए. कम से कम सभी रिटेल और हेल्थ फोकस्ड प्रोडक्ट को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहिए. ऐसे समय में जब सरकारें महामारी के हालात से जूझ रही हैं, वे हेल्थ इंश्योरेंस को और अधिक किफायती बनाने पर विचार कर सकती हैं.
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
महामारी से निपटने के लिए चाहिए पॉलिसी
बजट से उम्मीदों पर ग्लोबल हॉस्पिटल के सीईओ डॉ. विवेक तलौलीकर का कहना है कि भविष्य की महामारियों से निपटने के लिए एक व्यवस्था बनाने के लिए लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी की जरूरत है. हमें उम्मीद है कि सरकार आगामी बजट में हेल्थकेयर सेक्टर (Healthcare Sector) पर खर्च करना जारी रखेगी, क्योंकि भारत ने अभी तक अपनी आबादी का पूरी तरह से वैक्सीनेशन नहीं किया है और कोविड-19 अभी खत्म नहीं हुआ है. पूरी दुनिया में इसके नए रूप सामने आ रहे हैं.
तलौलीकर का कहना है कि भारत का हेल्थ पर खर्च फिलहाल जीडीपी का 1.2% से 1.6% है, जो अन्य बड़ी इकोनॉमी की तुलना में बहुत कम है. आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में भारत में स्वास्थ्य देखभाल पर कुल खर्च पब्लिक स्वास्थ्य का 60% है. इसलिए, गैर-संचारी और संक्रामक रोगों में वृद्धि की दोहरी चुनौती को दूर करने के लिए, यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य सेवा पर सार्वजनिक खर्च अगले 7-10 वर्षों में जीडीपी के 4.5% तक बढ़ाया जाए.
मसिना हॉस्पिटल के सीईओ डॉ. विस्पी जोखी का कहना है कि हेल्थ सेक्टर के बजट का मौजूदा 1.8% से बढ़कर इस साल जीडीपी का कम से कम 2.5% बढ़ने की उम्मीद है. गरीब और कमजोर रोगियों के मुफ्त और बड़े पैमाने पर इलाज के लिए रियायती लागत पर नियमों में ढील दी जानी चाहिए. अस्पतालों के लिए इक्विपमेंट्स की स्पेशल प्राइसिंग पर फायर सेफ्टी नॉर्म्स और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर नॉर्म्स के कम्प्लायंस की लागत को कम करने की आवश्यकता है. भविष्य की महामारियों से निपटने के लिए पॉलिसी बनाने की जरूरत है जहां पीपीपी मॉडल अपनाया जाना चाहिए.
05:30 pm