चीन के सामान की होली जलाएगा ये व्यापारी संगठन, जानिए क्या है कारण
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने पर चीन द्वारा वीटो उपयोग कर अपने आप का भारत का विरोधी साबित किया है. ऐसे में देश भर में व्यापारियों ने चीन के सामान की होली जलाने का निर्णय लिया है.
चीन के विरोध में व्यापारी देश भर में चीन के सामान की होली जलाएंगे (फाइल फोटो)
चीन के विरोध में व्यापारी देश भर में चीन के सामान की होली जलाएंगे (फाइल फोटो)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित करने पर चीन द्वारा वीटो उपयोग करने एवं पाकिस्तान का हर तरह से लगातार साथ देने कर चीन लगातार अपने आप को भारत का विरोधी साबित कर रहा है. इसके चलते चीन के विरुद्ध देश के व्यापारियों में भी काफी आक्रोश है. इसको ध्यान में रखते हुए व्यापारियों के देशव्यापी संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने देश भर में फैले 40 हजार से ज्यादा व्यापारिक संगठन जो लगभग 7 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं से चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आवाहन किया है. कैट ने होली के मौके पर आगामी 19 मार्च को देश भर में चीनी वस्तुओं की होली जलाये जाने की भी घोषणा की है. राजधानी दिल्ली में यह कार्यक्रम चीनी वस्तुओं के गढ़ सदर बाजार में होगा वहीँ देश भर में लगभग 1500 स्थानों पर व्यापारिक संगठनों द्वारा यह होली जलाई जायेगी.
चीन से आने वाली वस्तुओं पर ड्यूटी लगाई जाए
कैट ने सरकार से मांग की है की प्राथन चरण में चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर 300 से 500 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी लगाई जाए और चीन से होने वाले आयात पर कड़ी नज़र राखी जाए क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में हवाला के लेन देन का अंदेशा है. कैट ने सरकार से यह भी मांग की है की चीनी वस्तुओं और रॉ मटेरियल पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार घरेलु लघु उद्योगों को एक स्पेशल पैकेज दे.
कैट ने लगाए गंभीर आरोप
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि क्या सरकार को चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर सही रूप से राजस्व मिल रहा है, क्या चीन से आयात का हवाला से कोई लेन देन है, क्या चीन के निर्यातकों को जो पैसा दिया जाता है कहीं वो भारत में आतंकी गतिविधियों को पनपने में उपयोग तो नहीं होता.
चीन के उत्पादों की गुणवत्ता की जांच हो
खंडेलवाल ने कहा की वर्ष 1991 में जब देश की अर्थव्यवस्था के द्वार वैश्विक व्यापार के लिए खोले गए थे तब यह बहुत स्पष्ट था की केवल जिन प्रोजेक्ट में बड़ी लागत की आवश्यकता है, उन क्षत्रों में जहाँ उच्च स्तर की टेक्नोलॉजी की आवश्यकता है तथा उन क्षेत्रों में जहां रोजगार बड़ी मात्रा में बढ़ेगा केवल इन्ही तीन क्षेत्रो में वैश्विक व्यापार को अनुमति दी जायेगी. यह दुखद है की चीन के मामले में इन तीनों का कोई स्थान नहीं है. चीन से जो आयात होता है वो बड़ी मात्रा में वो साधारण से वस्तुएं हैं जो आम उपयोग में लाई जाती हैं . जो सम्मान चीन से आता है वो अच्छी क्वालिटी का है या नहीं इसको देखने वाला कोई नहीं है.
06:46 PM IST