सरकारी बैंकों को पैसे की जरूरत है या नहीं, सितंबर के बाद सरकार कर सकती है रिव्यू
सूत्रों का कहना है कि यदि आरबीआई कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित सेक्टर्स के लिए डेट रीस्ट्रक्चरिंग के रिक्वेस्ट को मंजूर कर लेता है, तो बैंकों को राहत मिल सकती है.
उदय कोटक का कहना है कि इकोनॉमी को सहारा देने के लिए सरकारी बैंकों को सरकार से वित्तीय मदद की जरूरत पड़ेगी. (रॉयटर्स)
उदय कोटक का कहना है कि इकोनॉमी को सहारा देने के लिए सरकारी बैंकों को सरकार से वित्तीय मदद की जरूरत पड़ेगी. (रॉयटर्स)
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) सितंबर तिमाही (Q2) के बाद सरकारी बैंकों ( की पूंजी की जरूरत की पड़ताल कर सकता है, क्योंकि उस समय तक खराब लोन (Bad Debts) में बढ़ोतरी के बारे में आंकड़े स्पष्ट हो जाएंगे. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, कोविड-19 महामारी और इसकी रोकथाम के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन से इकोनॉमी में सुस्ती आई है. इस वजह से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों यानी फंसे हुए कर्ज (NPA) में तेजी देखने को मिल सकती है. ऐसा होने की स्थिति में रिजर्व बैंक के गाइडलाइंस के तहत बैंकों को एनपीए के लिए किया जाने वाले प्रावधान बढ़ाना पड़ेगा.
सूत्रों का कहना है कि यदि आरबीआई कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित सेक्टर्स के लिए डेट रीस्ट्रक्चरिंग के रिक्वेस्ट को मंजूर कर लेता है, तो बैंकों को राहत मिल सकती है.
उन्होंने कहा कि लोन की ईएमआई चुकाने से राहत का पीरियड अगस्त में खत्म हो रही है. उसके बाद ही एनपीए को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है. ऐसे में एक बार जब दूसरी तिमाही के आंकड़े स्पष्ट हो जाएं, पूंजी की जरूरत की समीक्षा तभी करना सही होगा.
बैंकिंग सेक्टर के कारोबारी तथा उद्योग संगठन सीआईआई (CII) के अध्यक्ष उदय कोटक का कहना है कि इकोनॉमी को सहारा देने के लिए सरकारी बैंकों को सरकार से वित्तीय मदद की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों को आगे के चैलेंज से जूझने के लिए अलग सोर्स से पैसे जुटाने की जरूरत होगी.
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उन्होंने पिछले महीने कहा था कि बैंकिंग सेक्टर की लोन जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल तीन से चार लाख करोड़ रुपए के रीकैपिटलाइजेशन की जरूरत है. उल्लेखनीय है कि बैंकिंग सेक्टर के एनपीए में वित्त वर्ष 2020-21 में 4.5 प्रतिशत की तेजी के अनुमान जताए जा रहे हैं.
सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी डालने का प्रपोजल किया था. सरकार इसमें से 65,443 करोड़ रुपए पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों में अलग-अलग उपायों के जरिये डाल चुकी है.
05:20 PM IST