Exclusive Interview: हेल्थ प्रोडक्ट्स गाइडलाइंस जल्द होंगे जारी, IRDAI चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया ने दिया भरोसा
IRDAI ने सरकार से रिक्वेस्ट किया था कि इनकम टैक्स छूट को बदला जाए लेकिन इस बार बजट में IT एक्ट में बदलाव नहीं हुआ. लेकिन फिर कोशिश करेंगे और आगे बदलाव की पूरी उम्मीद है.
इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया (जी बिजनेस)
इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया (जी बिजनेस)
तीन सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियां- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी की वित्तिय स्थिति खराब है जिस पर इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने सरकार को चिट्ठी लिखकर अवगत करवाया है. इसके अलावा हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडेक्ट्स में बड़े बदलाव के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटर जल्द प्रोडक्ट्स गाइडलाइंस जारी करने वाला है और ये नए नियम हेल्थ इंश्योरेंस में गेमचेंजर साबित होंगे. कंपनियों में निवेश को लेकर भी IRDAI ने कंपनियों को सतर्क रहने और अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करने के लिए कहा है. देश में तेजी से विस्तार कर रहे इंश्योरेंस सेक्टर के हर मुद्दे पर इंश्योरेंस रेग्युलेटर IRDAI के चेयरमैन सुभाष चंद्र खुंटिया से अनुराग शाह ने खास बातचीत की .
सवाल: DHFL कंपनी की स्थिति ख़राब हैं, तो क्या DHFL की इंश्योरेंस सब्सिडियरी कंपनियों में भी दबाव है?, क्योंकि पॉलिसी होल्डर्स में चिंताएं हैं.
जवाब : DHFL की इंश्योरेंस सब्सिडियरी कंपनियों में अभी तक कोई दिक्कत नहीं है, कंपनियों की सॉल्वेंसी और फाइनेंशियल स्थिति बराबर हैं.
सवाल: इंश्योरेंस कंपनियां जो कॉर्पोरेट कंपनियों में निवेश करती हैं, हाल के दिनों में कई कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है तो क्या IRDAI की तरफ से कोई निर्देश दिए गए हैं जिससे निवेशकों को पैसे को लेकर कोई चिंता नहीं रहे?
जवाब : कंपनियों को रेगुलेशन के मुताबिक निवेश से पहले न्यूनतम रेटिंग का नियम जरूर पालन करना चाहिए. इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी को कंपनी की वास्तविक स्थिति की जांच पड़ताल के बाद ही निवेश करना बेहतर है.
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सवाल: IL&FS में इंश्योरेंस कंपनियों ने निवेश किया है, उसकी क्या स्थिति है ?
जवाब : IL&FS मामले को पूरी तरह अलग तरीके से देखा जाएगा. IRDAI ने भविष्य में निवेश करने से पहले सतर्क रहने के लिए कहा है और यह भी कहा गया है कि पॉलिसी होल्डर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए.
सवाल: अभी जो लाइफ इंश्योरेंस के नए प्रोडक्ट गाइडलाइंस लाए गए हैं, उसमें न्यूनतम डेथ बेनिफिट को सालाना सम एश्योर्ड के 10 गुना से घटा कर 7 गुना किया गया लेकिन क्या इस बदलाव से इनकम टैक्स में 80C में मिलने वाली छूट पर असर पड़ेगा, क्या वित्त मंत्रालय से कुछ बदलाव की मांग करेंगे ?
जवाब : सालाना प्रीमियम से 10 गुना या उससे ज्यादा कवर है तो इनकम टैक्स में आयकर छूट मिलेगी. जो न्यूनतम 7 गुना किया उसके लिए इनकम टैक्स का छूट नहीं है. लेकिन इनकम टैक्स छूट के बिना भी लोग पॉलिसी ले सकते हैं. जो थोड़ी ज़्यादा उम्र के बाद लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, उन पॉलिसी में 10 गुना कवर मुश्किल होता है इसलिए इसे 7 गुना किया गया है जिसमें इनकम टैक्स छूट नहीं मिलेगी. IRDAI ने सरकार से रिक्वेस्ट किया था कि इनकम टैक्स छूट को बदला जाए लेकिन इस बार बजट में IT एक्ट में बदलाव नहीं हुआ. लेकिन फिर कोशिश करेंगे और आगे बदलाव की पूरी उम्मीद है.
सवाल: हेल्थ इंश्योरेंस में IRDAI क्या गेमचेंजर बदलाव कर रहा है?.
जवाब : प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम हैं और 50 करोड़ लोगों को इसका कवरेज मिलेग़ा, योजना कुछ राज्यों में पूरी तरह इंश्योरेंस मॉडल में हैं और कुछ में हाइब्रिड मॉडल में हैं लेकिन आगे ज़्यादा राज्य इंश्योरेंस मॉडल में आएंगे क्योंकि यह एक अच्छा मॉडल है, इसमें लोगों और राज्यों को फायदा होगा.
सवाल: नए हेल्थ प्रोडक्ट्स की गाइडलाइंस के बाद जो बीमारियां अभी एक्सक्लूजन लिस्ट में हैं और बाद में इन्क्लूजन में आएंगी तो आम पॉलिसी होल्डर पर प्रीमियम का भार बढ़ेगा ?
जवाब : बीमारियों के एक्सक्लूजन से इन्क्लूजन में आने से थोड़ा प्रीमियम पर भार तो आएगा लेकिन ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन एक्सक्लूजन बीमारियां शामिल होने से सभी लोगों के लिए अच्छा होगा क्योंकि एक्सक्लूजन काफी कम हो जाएंगे.
सवाल: हेल्थ प्रोडक्ट्स गाइडलाइंस कब तक संभावित है ?
जवाब : एक्सक्लूजन के मुद्दे पर अभी विचार-विमर्श जारी है, उम्मीद है जल्द गाइडलाइंस जारी करेंगे .
सवाल: सैंडबॉक्स से जुड़े नियम आने वाले हैं उसमे किस तरह की प्रोग्रेस है और क्या दिलचस्पी दिखाई गई हैं ?
जवाब : सैंडबॉक्स में स्टार्ट-उप और इंश्योरेंस कंपनी से काफी समर्थन मिला और हमारे अप्रूवल तो हो गए हैं, अब हम कुछ दिनों में दिशा-निर्देश जारी करेंगे.
सवाल: ऑटोसेल्स में जोरदार गिरावट आई है और लॉन्ग टर्म इंश्योरेंस भी कई वजहों में एक वजह मानी जा रही है. लॉन्ग टर्म इंश्योरेंस पर एक साल पूरा होने पर कोई बदलाव की संभावना है ?
जवाब : रिन्यूअल इंश्योरेंस में लॉन्ग टर्म जरूरी नहीं है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक 4 व्हीलर के लिए 3 साल, 2 व्हीलर के लिए 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस किया गया है और इसमें कॉम्प्रीहेन्सिव इंश्योरेंस जरूरी नहीं है. ज्वाइंट पॉलिसी में एक साल का ऑन डैमेज और 3 या 5 साल का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का विकल्प है. जिससे पॉलिसी होल्डर का फाइनेंशियल भार कम होगा.
सवाल: कुछ चर्चाएं थी जिसमें IRDAI कुछ मंजूरी देने वाला हैं जिसमें पैथोलॉजिकल लैब्स और दवा दुकानदार भी चुनिंदा इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स बेच पाएंगे, उसमें क्या स्थिति है ?
जवाब : हमारे जो डिस्ट्रीब्यूशन चैनल हैं वो किसी को नियुक्त कर सकते हैं लेकिन उनको जो इंश्योरेंस से जुड़ी ट्रेनिंग लेनी है वो ज़रूरी हैं क्योंकि उनको पता होना चाहिए की इंश्योरेंस कैसे सेल किए जाएं.
सवाल: सरकारी तीन नॉन लिस्टेड कंपनियां हैं (नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी और ओरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी) उनको लेकर क्या सरकार से मांग की गई है, क्योंकि उनकी स्थिति दिन-ब-दिन ख़राब होती जा रही है? कैसे उनकी स्थिति में सुधर किए जाए ?
जवाब : सरकार यूनाइटेड इंडिया, ऑरिएंटल और नेशनल इंश्योरेंस की स्थिति की समीक्षा कर रही है. इन सरकारी कंपनियों का मार्केट शेयर अच्छा है लेकिन वित्तीय स्थिति और सॉल्वेंसी में सुधार की जरूरत है. इन सभी की स्थिति और मांगों को चिट्ठी लिखकर सरकार को अवगत करवाया गया है.
06:11 PM IST