Dhanteras Puja Time and Significance: हर साल कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस (Dhanteras) का त्‍योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का प्रादुर्भाव हुआ था. त्रयोदशी तिथि पर भगवान धन्‍वंतरि के प्राकट्य होने के कारण इस दिन को धनत्रयोदशी और धनतेरस कहा जाता है. आज 10 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा के साथ माता लक्ष्‍मी और कुबेर जी की भी पूजा की जाती है. साथ ही भारत में धनतेरस के दिन राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है. जानिए धनतेरस पर भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का महत्‍व, विधि, पूजा का शुभ समय और राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस का मकसद.

भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का महत्‍व

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भगवान धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने गए हैं. जिस समय भगवान धन्‍वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में एक पीतल का कलश था, जिसमें अमृत भरा था. उसी अमृत का पान करके सभी देवता अमर हो गए. मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन विधि-विधान से अगर भगवान धन्‍वंतरि की पूजा की जाए तो रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अगर हमारा शरीर निरोगी रहेगा, तो हमारी कार्यक्षमता बेहतर होगी. हम किसी भी दिशा में अच्‍छा काम कर सकेंगे. इससे घर में सफलता और समृद्धि आएगी. इसलिए आज भगवान धन्‍वंतरि की पूजा करके उनसे निरोग रहने का आशीष जरूर प्राप्‍त करें.

 

इस समय तक कर लें पूजा 

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र का कहना है कि धनतेरस के दिन यानी 10 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू होगी. हस्त नक्षत्र और शुक्रवार का दिन होने के कारण धनतेरस का महत्‍व काफी बढ़ गया है. इस दिन भगवान धन्‍वंतरि की पूजा शाम के समय की जाएगी. आप शाम 05:40 बजे से रात 09:51 बजे तक भगवान धन्‍वंतरि की पूजा कर सकते हैं. पूजा के बाद शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है.

धनतेरस पूजा विधि

धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धन्वंतरि भगवान और मां लक्ष्मी की तस्‍वीर एक चौकी पर रखें. घी का दीपक जलाएं. धूप, पुष्‍प, अक्षत, रोली, चंदन, वस्‍त्र आदि अर्पित करें. धन्वंतरि मंत्रों का जाप करें और धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद आ‍रती करें और घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाएं.  

भारत में धनतेरस पर मनाते हैं राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस

भारत में हर साल धनतेरस पर राष्‍ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है क्‍योंकि भगवान धन्‍वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है. इस दिन का उद्देश्‍य लोगों को आयुर्वेद चिकित्‍सा पद्वति को लेकर जागरूक करना है. आयुर्वेद दुनिया की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है और इसका प्रादुर्भाव भारत में ही हुआ था. चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम नामक तीन प्राचीन किताबों को आयुर्वेद का प्रमुख ग्रंथ माना जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा औषधीय पौधों, जड़ी-बूटियों और अन्य प्राकृतिक तत्वों पर आधारित है, इसलिए इसका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है. ये बीमारी की जड़ पर वार करती है, साथ ही एलोपैथी के मुकाबले ये चिकित्सा पद्धति सस्ती है. योग भी इसी का एक हिस्‍सा है.