देश की बहादुर बेटी ने एक बार फिर से दुनिया को ये दिखा दिया कि हम किसी से कम नहीं हैं. हर जगह कैप्‍टन शिवा चौहान की चर्चा है. और चर्चा क्‍यों न हो, शिवा ने कोई मामूली काम भी तो नहीं किया है. फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स अधिकारी कैप्टन शिवा चौहान की तैनाती सियाचिन ग्लेशियर के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में हुई है. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र कुमार पोस्ट में तैनात होने वाली वे पहली महिला बनी हैं. आपको पढ़कर ये सब बेशक बेहद सामान्‍य लगता हो, लेकिन अगर इस दुर्गम जगह के बारे में जानेंगे, तो आपके पसीने छूट जाएंगे. 

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इस क्षेत्र में रहना ही अपने आप में जिंदगी से युद्ध करने जैसा है. वहां का औसत तापमान जीरो से भी कम -10 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है. ऐसे में शिवा को यहां तैनात होने के लिए भी कठिन प्रशिक्षण लेना पड़ा. ट्रेनिंग के दौरान दिन में कई-कई घंटों तक उन्‍हें बर्फ की दीवार पर चढ़ना सिखाया गया. इस ठिठुरती ठंड में जब आप घर से बाहर निकलने के लिए भी दस बार सोचते हैं, ऐसे में देश की बेटी ने मातृभूमि की रक्षा के लिए बर्फ की चादर पर उठना-बैठना और रहना सीखा है. आइए आपको बताते हैं सियाचिन ग्‍लेशियर से जुड़ी खास बातें.

क्‍यों इतना महत्‍वपूर्ण है ये इलाका

सियाचिन ग्लेशियर लद्दाख में स्थित करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बेहद दुर्गम इलाका है. ये कराकोरम पर्वत रेंज में स्थित है. इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान कहा जाता है. रणनीतिक रूप से इस स्‍थान को बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता है क्‍योंकि यहां से भारत, पाकिस्‍तान और चीन, दोनों की गतिविधियों पर नजर बनाकर रख सकता है क्‍योंकि इसके एक तरफ पाकिस्‍तानी नियंत्रण वाला इलाका है तो दूसरी तरफ चीन है.

सालभर बर्फ से ढका रहता है इलाका

सियाचिन सालभर बर्फ से ढंका रहता है. यहां का सामान्‍य तापमान भी जीरो से भी कम -10 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है. सर्दियों में यहां का तापमान -50 से -70 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है. जरा सोचकर देखिए कि मैदानी इलाकों में जब ठिठुरन भरी सर्दी आती है तो हाथ और शरीर मानो सुन्‍न पड़ जाते हैं. ऐसे में हमारे सैनिक वहां रहकर देश की रक्षा करने के लिए हर पल सजग और सतर्क रहते हैं. इस मैदानी इलाके में शिवा की तैनाती सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है.

मौसम की वजह से सैकड़ों सैनिकों की हो चुकी है मौत

रणनीतिक रूप से महत्‍वपूर्ण इलाका होने के कारण यहां 3000 सैनिक हमेशा तैनात रहते हैं. सियाचिन उस पॉइंट NJ9842 के ठीक उत्तर में हैं, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा यानी LoC खत्म होती है. 1984 से करीब 76 किलोमीटर लंबे पूरे सियाचिन ग्लेशियर और इसके सभी प्रमुख दर्रे भारत के नियंत्रण में हैं. लेकिन 1984 से लेकर 2015 तक सियाचिन में मौसम, हादसों और हिमस्खलन की चपेट में आने से सैकड़ों जवानों की मौत हो चुकी है. फिलहाल सियाचिन में दिन का तापमान माइनस 21 डिग्री सेल्सियस है, जबकि रात में पारा माइनस 32 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच रहा है. ऐसे इलाके में कैप्‍टन शिवा या देश के दूसरे बहादुर सिपाही अपनी मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं. ये कोई साधारण बात नहीं है.

ये भी जानें

बता दें कि फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14वां कॉर्प्स कहा जाता है. इसका हेडक्वार्टर लेह में है. इनकी तैनाती चीन-पाकिस्तान की सीमाओं पर होती है. साथ ही ये सियाचिन ग्‍लेशियर की भी रक्षा करते हैं. शिवा फायर एंड फ्यूरी सैपर्स हैं. राजस्‍थान के उदयपुर की रहने वाली शिवा जब 11 साल की थीं, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. मां की देखरेख में वे इस काबिल बनीं. उन्‍होंने सिविल इंजीनियरिंग से ग्रैजुएशन किया है. मई 2021 में उन्हें भारतीय सेना की इंजीनियर रेजीमेंट में नियुक्त किया गया. 

 

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