इक्विटी बाजार में ब्रोकर्स ने सेबी के एक सर्कुलर पर आपत्ति जताई है. इस सर्कुलर में बाजार नियामक सेबी ने निर्देश दिए हैं कि मार्जिन के लिए वो क्लाइंट्स के ऐसे ही फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद देंगे, जिनका मैच्योरिटी पीरियड 365 दिनों यानी 1 साल से कम हो. ब्रोकर्स का कहना है कि इस शर्त से उनके क्लाइंट्स को बड़ा नुकसान होगा क्योंकि अधिकतर ने ऐसी एफडी ही जमा कराई है, जिनकी मैच्योरिटी 365 दिन से कम है और मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. ब्रोकर्स एसोसिएशन ANMI ने 26 जून को सेबी को एक चिट्ठी लिखकर अपनी चिंता व्यक्त की थी और आग्रह किया था कि जुलाई तक जमा किए जा चुके लंबी अवधि वाले एफडी को जमा करने की अनुमति दी जाए.

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अभी जो मौजूदा तरीका है, उसमें ब्रोकर्स ट्रेडिंग लिमिट लेने के लिए क्लाइंट्स के करोड़ों की वैल्यू वाले बैंक एफडी स्टॉक एक्सचेंज के क्लियरिंग कॉरपोरेशन को देते हैं. क्लाइंट से जुड़े ट्रेडिंग लिमिट के लिए ब्रोकर्स क्लाइंट्स से ली गई FDRs (fixed deposit receipts) जमा करते हैं. प्रोपराइटरी ट्रेड के लिए वो अपने खुद के FDRs जमा करते हैं. लेकिन 6 जून को SEBI के एक सर्कुलर में कहा गया है कि ऐसे FDRs जो सेबी की शर्तें पूरी नहीं करते हैं, वो 1 जुलाई के बाद से मान्य नहीं होंगी.

सेबी सर्कुलर ने CCs को स्टॉक ब्रोकर्स की ओर से दिए जाने वाले क्लाइंट्स के FDs को लेकर कुछ शर्तें रख दी हैं. इसे "upstreaming of client circulars" कहते हैं, जहां ब्रोकर्स क्लाइंट्स से एफडी लेकर CCs को जमा करते हैं. सर्कुलर में कहा गया है कि हर FDR CCs के नाम से मार्क किया जाना चाहिए और इनका टेन्योर 1 साल से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसमें आगे कहा गया है कि ऐसे FDs को जरूरत पड़ने पर प्री-टर्मिनेबल होना जरूरी है, और FDR का मूलधन प्री-टर्मिनेशन होने की स्थिति में इसकी लागत को निकालने के बावजूद पूरे टेन्योर में प्रोटेक्टेटेड रहेगा. सेबी ने ये भी कहा था कि ब्रोकर्स क्लाइंट फंड के FDR पर कोई फंडेड या नॉन फंडेड बैंकिंग सुविधाएं नहीं उठा सकेंगे. 

ब्रोकर्स ने सेबी से आग्रह किया है कि ऐसे FDR की इजाजत दी जाए, जो जुलाई, 2023 तक जमा की जा चुकी हैं. ANMI की सेबी को लिखी गई चिट्ठी Zee Business के पास है. इसमें कहा गया है कि "हम मौजूदा FDs के मैच्योरिटी पीरियड पर छूट मांगते हैं और चाहते हैं कि 1 जुलाई, 2023 के बाद बनी FDs को 365 दिनों से ज्यादा दिनों की अनुमति मिले, क्योंकि एक तो 365 दिनों और 365+1 दिनों की एफडी के रिटर्न में फर्क है, दूसरा मैच्योरिटी के टेन्योर भी अलग हैं. 365 दिनों की सीमा लगाने से हमारे सदस्यों को एफडी से रिटर्न पर नुकसान होगा. अगर 365 से ज्यादा दिनों वाली एफडी पर कोई आशंका है, तो हमें बताएं ताकि हम उसका समाधान निकाल सकें या कोई सुझाव दे सकें."

ANMI की चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि क्लाइंट्स के फंड रसीद पर रोक लगाने, खासकर MTM (market to market) वाले क्लाइंट के केस में, ऐसा करने से ब्रोकर्स और क्लाइंट्स दोनों के लिए गैर-जरूरी मुश्किलें पैदा होंगी. इसपर एसोसिएशन ने कहा है कि "अगर क्लाइंट के फंड की रसीद पर रोक लगाई जाती है तो क्लाइंट अगले ट्रेडिंग सेशन की सुबह में ट्रेड नहीं कर पाएगा और ब्रोकर्स को भी FNO में T+O और कैश मार्केट में T+1 सेटलमेंट में दिक्कत आ सकती है."

इसके अलावा, ब्रोकर्स एसोसिएशन ANMI ने मालिकाना व्यापार के लिए नए FDR मानदंडों को लागू करने पर जोर दे रही CC के साथ चर्चा शुरू की है. हालांकि, एक मेम्बर ने ज़ी बिज़नेस को बताया कि SEBI सर्कुलर में इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं है. 

"प्रॉपराइटर्स ट्रेडर्स के लिए FDr जमा करने पर CCs कुछ भ्रम पैदा कर रहा था. ब्रोकरों का कहना है कि एक्सचेंज ने उन्हें सूचित किया है कि ग्राहकों के फंड की अपस्ट्रीमिंग मालिकाना फंड की सीमा तक लागू नहीं है. CCs ने पिछले हफ्ते एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा था कि उसके पास अंकित सभी मौजूदा FDRs की शेष परिपक्वता अवधि 1 वर्ष होगी.

CCs ने पिछले हफ्ते स्पष्टीकरण जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि सभी मौजूदा FDr पर ग्रहणाधिकार के रूप में चिह्नित 1 वर्ष की शेष परिपक्वता होगी और नियमों को पूरा नहीं करने वाले FDr को 1 जुलाई, 2023 तक जारी करना होगा. 

ANMI लेटर पर SEBI को भेजा गए ईमेल का अभी तक जवाब नहीं मिला है.

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