सरकार वित्त वर्ष के नए स्वरूप का ऐलान कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो वित्त वर्ष की शुरुआती और अंतिम तारीख बदल जाएगी. 2020 से देश के वित्त वर्ष की शुरुआत अप्रैल के बजाए जनवरी से हो सकती है. इसके चलते 152 साल से चली आ रही अप्रैल-मार्च की वित्त वर्ष की परंपरा में बदलाव हो सकता है. ऐसा होता है तो केंद्र सरकार का बजट की तारीख में बदलाव हो सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष के हिसाब से बदलने का ऐलान कर सकती है. 

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1 जनवरी से शुरू होगा वित्त वर्ष

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार वित्त वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी से करेगी. 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच नया वित्त वर्ष होगा. सरकार जल्द ही इसका ऐलान कर सकती है. इसके अलावा बजट, बजट सत्र की तारीखों में भी बदलाव होगा.

पिछले साल बदली गई थी बजट की तारीख

आपको बता दें, साल 2016 में भी वित्त वर्ष को जनवरी से शुरू करने की चर्चा शुरू हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बदलाव की वकालत की थी. अगर ऐसा होता है तो यह एक ऐतिहासिक बदलाव होगा. इससे पहले सरकार बजट को फरवरी में पेश करने की पुरानी परंपरा को बदल चुकी है. पिछले साल आम बजट 1 फरवरी को पेश किया गया था. वहीं, इस साल भी अंतरिम बजट 1 फरवरी को ही पेश होना है. ऐसे में वित्त वर्ष को बदलने का भी ऐलान जल्द हो सकता है.

1867 में शुरू हुआ था 1 अप्रैल से वित्त वर्ष

बता दें कि बजट प्रक्रिया को पूरा होने में दो महिने का समय लग सकता है. भारत में वित्त वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक होता है. ये व्यवस्था को 1867 में शुरू की गई थी और इससे भारतीय वित्त वर्ष का ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष से तालमेल बैठाया गया था. इससे पहले तक भारत में वित्त वर्ष 1 मई को शुरू होकर 30 अप्रैल तक रहता था.

समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट

पीएम मोदी के वित्त वर्ष का कैलेंडर वर्ष से मेल करने की इच्छा जताने के बाद सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. समिति को वित्त वर्ष को एक जनवरी से शुरू करने की व्यवहारिता का अध्ययन करने को कहा गया. समिति अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री को सौंप चुकी है. नीति आयोग के एक नोट में भी कहा गया है कि वित्त वर्ष में बदलाव जरूरी है. मौजूदा प्रणाली में कामकाज के सत्र का उपयोग नहीं हो पाता. कुछ महीने पहले संसद की वित्त पर स्थायी समिति ने भी वित्त वर्ष को स्थानांतरित कर जनवरी-दिसंबर करने की सिफारिश की थी.

मजबूत व्यवस्था विकसित करने जरूरत

मोदी ने वित्त वर्ष में बदलाव की वकालत करते हुए कहा था कि एक मजबूत व्यवस्था विकसित करने की जरूरत है, जो की विविधता के बीच काम कर सके. उन्होंने कहा था, समय के खराब प्रबंधन की वजह से कई अच्छी पहल और योजनाएं सही नतीजे देने में सफल नहीं रही हैं.