Personal Loan ले रखा है, या लेने जा रहे हैं तो ज्यादा ब्याज भरने के लिए तैयार हो जाइए, अब पर्सनल लोन महंगा हो सकता है. पर्सनल लोन पर वैसे भी आपको 14-15 से लेकर 18-20 पर्सेंट तक ब्याज देना पड़ता है, लेकिन RBI के एक फैसले से आपकी जेब पर बोझ कहीं ज्यादा भारी होने वाला है. आपने भी सुन लिया होगा कि आरबीआई ने बैंकों और NBFCs के लिए कंज्यूमर लेंडिंग या कंज्यूमर लोन पर रिस्क वेटेज बढ़ा दिया है. कंज्यूमर लोन में हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, व्हीकल लोन और गोल्ड लोन जैसे लोन आते हैं, लेकिन इस नई घोषणा में इन्हें अलग रखा गया है, यानी इसका असर बस पर्सनल लोन पर होगा.

रिस्क वेटेज है क्या?

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अब रिस्क वेटेज है क्या? और आपके लिए इस खबर का क्या मतलब है? देखिए, पर्सनल लोन अनसिक्योर्ड लोन होता है, यानी इसपर सबसे ज्यादा रिस्क होता है, इसका कोई कॉलेटरल नहीं होता, इसके डूबने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में आरबीआई बैंकों से कहता है कि वो अनसिक्योर्ड लोन देने के लिए अपने पास एक्स्ट्रा अमाउंट का बफर रखें. आरबीआई चाहता है कि जितना रिस्की लोन हो, वेटेज उतना ही ज्यादा हो. ताकि बैंक खुले हाथ से लोन बांटकर लिक्विडिटी को प्रभावित न करें और मनी डेप्रीसिएशन न हो.

Video देखें: RBI का एक एक्शन, Personal Loan का ऐसे बढ़ाएगा बोझ

अब आरबीआई पिछले कुछ टाइम में रिटल लोन को लेकर थोड़ा सख्त हुआ है, ऐसे में बैंकों की ओर से अनसिक्योर्ड लोन पर खुले हाथ से मिलती मंजूरी को देखकर उसे लगा कि यहां थोड़े कंट्रोल की जरूरत है, इसलिए अब उसने रिस्क वेटेज बढ़ाने का फैसला किया है.

अब रिस्क वेटेज बढ़ाने के फैसले से आपका लोन कैसे महंगा हो सकता है?

रिस्क वेटेज बढ़ने से बैंक को ज्यादा कैपिटल की जरूरत होगी और उनकी कॉस्टिंग बढ़ेगी, तो ऑब्वियस है कि बैंक बढ़ी हुई कॉस्टिंग बैंक कंज्यूमर के ऊपर पास ऑन कर देते हैं. तो इसतरह आपके पर्सनल लोन का इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा. जरूरी बात ध्यान में रखने की ये है कि इस फैसले का असर नए लोन पर तो होगा ही, जो पुराने लोन कंज्यूमर्स ने ले रखे हैं, उनके लोन पर भी ब्याज महंगा होगा.