अमेरिका को नए राष्ट्रपति को इंतजार है. ट्रंप और बाइडेन में से कौन विजेता होगा? खुद ट्रंप और बाइडेन भी इंतजार है कि व्हाइट हाउस में बिग बॉस की गद्दी पर कौन बैठेगा? अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया की निगाहें नतीजों पर टिकी हैं. लेकिन, अभी तक जो संकेत मिल रहे हैं उससे साफ है कि नतीजे आसानी से और जल्दी घोषित नहीं होने वाले हैं. गिनती के शुरुआती चरण में लगा था मुकाबला एकतरफा निपट जाएगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. कभी बाइडेन आगे तो कभी ट्रंप आगे. यही देखने को मिला है. 

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अमेरिका का अनोखा नियम

डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वो चुनाव जीत चुके हैं. ऐसे में अब ये लड़ाई कानूनी पेच में फंसती नजर आ रही है. दरअसल, अमेरिका में नियमों के मुताबिक, अगर कोई उम्मीदवार नतीजों को मानने से इनकार करता है तो इतिहास में पहली ऐसी परिस्थति भी सामने आ सकती है जिसकी कल्पना शायद किसी ने नहीं की होगी. अमेरिका के लोगों ने 3 नवंबर को मतदान किया है और मतदान खत्म होते ही गिनती शुरू हो गई है. मौजूदा डाटा के मुताबिक, बाइडेन को करीब 264 इलेक्टोरल वोट मिले हैं. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के खाते में 214 वोट हैं. लेकिन, जीत के लिए 270 का आंकड़ा चाहिए.

चुनाव नतीजों में देरी क्यों?

अमेरिकी चुनाव के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब दस करोड़ के करीब वोट सिर्फ मेल-इन के जरिए डाले गए हो. मतलब पोलिंग डे से पहले 10 करोड़ लोगों ने अपना मत दे दिया था. इस बार के अमेरिकी चुनाव में कुल 16 करोड़ वोटरों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, ऐसे में आधे से ज्यादा वोट मेल के जरिए डाले गए हैं. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक कुछ राज्यों ने सिर्फ उन वोटों की गिनती की है, जो 3 नवंबर को डाले गए. यहां मेल-इन वोटों को अभी तक खोला ही नहीं गया है. यही वजह है कि मौजूदा आंकड़ों को अंतिम नतीजा नहीं माना जा रहा है. मेल-इन वोट को गिने जाने तक इंतजार करना पड़ेगा. एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि मेल-इन वोटों की पूरी काउंटिंग होने में कई दिनों का वक्त लग सकता है.

कानूनी लड़ाई की तरफ अमेरिका चुनाव

डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी नतीजों को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. ऐसी स्थिति में वो सुप्रीम कोर्ट जाने का भी ऐलान कर चुके हैं. कुछ राज्यों के नतीजों को लेकर अगर कानूनी लड़ाई शुरू होती है, तो नतीजों की सुनवाई में कई दिनों का इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं, जो बाइडेन और उनकी लीगल टीम भी कानूनी लड़ाई के लिए तैयार है. 

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अगर बराबर मिले वोट तो क्या?

मौजूदा रुझानों में बाइडेन और ट्रंप के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला है. अब विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ऐसी स्थिति भी बन सकती है, जब दोनों उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलें. मतलब 269-269 वोट के साथ मुकाबला टाई पर अटक जाए. अगर ऐसा होता है तो फिर अमेरिकी सीनेट ही इसका फैसला करेगी कि आखिर उनका राष्ट्रपति कौन होगा.

...तो क्या 14 दिसंबर को ही होगा फैसला?

हाउस ऑफ रिप्रेंजटेटिव सबसे पहले उपराष्ट्रपति पद का चुनाव करेगा, फिर वोटिंग के जरिए पूरी सीनेट अंत में राष्ट्रपति को चुनेगी. लेकिन इस प्रक्रिया में वक्त लग सकता है और पूरे नतीजे आने में दिसंबर तक का इंतजार करना पड़ सकता है. अमेरिका में लोगों की वोटिंग के बाद जो इलेक्टर्स चुने जाते हैं, वो ही राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं. 14 दिसंबर को अमेरिकी सीनेट में वोटिंग होगी, जहां 538 इलेक्टर्स नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे. इनमें बहुमत के लिए 270 का आंकड़ा चाहिए.