कंगाली, तंगहाली, महंगाई और पैसे के लिए मोहताज पाकिस्तान का हालात शायद ही सुधरेंगे. देश का खजाना भरने का इमरान खान का ख्वाब अधूरा ही रह जाएगा. क्योंकि, पाकिस्तान की 'जेब' यानी अर्थव्यवस्था पर एक बार फिर गहरी चोट लगी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज मिलने की खबर ने इकोनॉमी थोड़ी जान जरूर फूंकी थी. लेकिन, अब इसी इकोनॉमी की रीढ़ टूटती दिख रही है. दरअसल, आर्थिक बदहाली के बीच पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर आई है. 

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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान देने वाले कपास की पैदावार में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है. पाकिस्तान में कॉटन प्रोडक्शन अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. टेक्सटाइल उद्योग का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सबसे अहम और बड़ा योगदान रहता है. लेकिन, अब उद्योग को कच्चे माल, कपास की कम पैदावार की मार झेलनी होगी. यही नहीं, देश के एक्सपोर्टर्स के लिए भी यह अच्छी खबर नहीं है. एक्सपोर्टर्स को भी इससे झटका लगना तय है.

धीरे-धीरे टूट रही हैं उम्मीदें

पाकिस्तान के जख्म इतने गहरे हो चुके हैं कि धीरे-धीरे करके उसकी सारी उम्मीदें टूट रही हैं. पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, बीते वर्ष में कपास की पैदावार में रिकॉर्ड गिरावट देखने को मिली है. रिपोर्ट के मुताबिक, कपास के बीज पर उचित ध्यान नहीं देने की वजह से ऐसा हुआ है. इमरान खान सरकार की निगाहें इस बात पर टिकीं थीं कि कपास के एक्सपोर्ट से विदेशी मुद्रा में कमाई होगी और इससे IMF का कर्ज चुकाने में थोड़ी मदद मिलेगी. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. पाकिस्तान की इस आखिरी उम्मीद को झटका लगा है.

कर्ज नहीं चुका पाएगा पाकिस्तान!

हाल ही में IMF की तरफ से राहत पैकेज मिलने का रास्ता साफ हुआ है. लेकिन, अब पाकिस्तान के सामने हालात ये हैं कि कपड़ा उद्योग की जरूरत पूरा करने के लिए कपास का इंपोर्ट करना होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ महीने में ही कपास के इंपोर्ट पर 1 अरब 50 करोड़ डॉलर खर्च करने होंगे. मतलब ये कि आईएमएफ से मिलने वाली सालाना राशि से ज्यादा कपास के इंपोर्ट पर ही खर्च हो जाएंगे. इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर उल्टा असर पड़ेगा.

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IMF से मिलेगा 6 अरब डॉलर का कर्ज

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ ने कड़ी शर्तों पर 39 महीनों के लिए 6 अरब डॉलर का कर्ज देने को मंजूरी दी है. 6 अरब डॉलर के कर्ज में से पाकिस्तान को तत्काल एक अरब डॉलर की मदद मिलेगी. पाकिस्तान को इससे काफी राहत मिलने के आसार हैं. बता दें, पाकिस्तान 1950 में आईएमएफ का सदस्य बना था, सदस्य बनने के बाद से पाकिस्तान को आईएमएफ की तरह से 22वीं बार कर्ज (राहत पैकेज) दिया गया है.