पानी एक ऐसी नियामत जो हमें कुदरत से मिलती है. हम पैसे देकर पानी खरीद तो सकते हैं लेकिन पानी का निर्माण नहीं कर सकते और यही बात हम सबको समझने की जरुरत है. जिस तेजी से दुनिया पानी की खपत कर रही है, उससे धरती सूख रही है. जल्द ही हम प्यासे होंगे और हममें से बहुत लोगों को दो बूंद पानी के लिए तरसना पड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक धरती तेजी से सूख रही है और अरबों लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.

क्‍या कहती है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

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संयुक्त राष्ट्र की लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 26% लोगों को साफ पानी नसीब नहीं है. दुनिया के 46% लोगों को सैनिटेशन के लिए पानी नहीं मिल पाता. वहीं 200 करोड़ लोग साल में एक महीने पानी की किल्लत का सामना करते हैं. दुनिया में अभी जितने लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं, जल्द ही वो आंकड़ा भी आसमान छूने वाला है.

यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 40 सालों में विश्व स्तर पर पानी का उपयोग लगभग 1% की दर से हर साल बढ़ रहा है. दुनिया की आबादी का औसतन 10% हिस्सा उच्च या पानी की गंभीर कमी वाले देशों में रहता है. 2016 में 93 करोड़ लोगों ने पानी की कमी का सामना किया, लेकिन 2050 में 240 करोड़ लोग ऐसे होंगे जिन्हें पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ेगा. आज की स्थिति में अरबों लोगों को दूषित पानी पानी पड़ रहा है.

एक दिन पानी ना मिले तो क्‍या होगा

क्या आपने कभी सोचा है कि अगर एक दिन के लिए भी पीने का पानी ना मिले तो क्या होगा? आप शायद अभी ये सोच भी ना पाएं, लेकिन ये आने वाले कल की सच्चाई हो सकती है. दो लाइन के एक किस्से में आपको पानी की अहमियत समझाने की कोशिश करेंगे.

पानी क्या है? हमारे दादाजी ने जिसे नदी में देखा, पिताजी ने कुंए में, हमने जिसे नल में देखा और बच्चों ने बोतल में… पर अब उनके बच्चे कहां देखेंगे?

पृथ्वी पर पानी लगातार घटता जा रहा है. ये सच्चाई हम सबको मालूम है, लेकिन अभी हममें से कोई भी इसे लेकर गंभीर नहीं है क्योंकि हम अपने स्तर पर पानी को बचाने के लिए कुछ कर नहीं रहे हैं. ठीक उसी तरह, जिस तरह हम ये जानते हैं कि जो पानी हम रोज़ाना पी रहे हैं उसके 100 प्रतिशत शुद्ध होने की कोई गारंटी नहीं है. लेकिन हम इसकी परवाह नहीं करते. हम यही सोचकर संतुष्ट हैं कि पीने के लिए पानी मिल तो रहा है. सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि साफ पानी का पैमाना क्या है.

क्‍या है साफ पानी का पैमाना

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्डस (Bureau of Indian Standards) के मुताबिक अगर पानी में टीडीएस यानी Total Dissolved Solids की मात्रा प्रति लीटर में 500 मिलीग्राम से कम है तो ये पानी पीने योग्य है, लेकिन ये मात्रा 250 से कम नहीं होनी चाहिए. 

वहीं WHO यानी विश्व स्वास्थ्‍य संगठन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में टीडीएस यानी Total dissolved solids की मात्रा 300 से कम होनी चाहिए.

एक लीटर पानी में में 300 से 600 मिलीग्राम (TDS) टीडीएस को भी पीने योग्य मान लिया जाता है. 600 से 900 टीडीएस (TDS) का पानी ठीक ठाक यानी काम-चलाऊ माना जाता है. अगर एक लीटर पानी में (TDS) टीडीएस की मात्रा 900 से ज्यादा है तो वो पानी पीने योग्य नहीं माना जाता.

अगर पानी में टीडीएस 100 से कम हो तो उसमें चीजें तेज़ी से घुल सकती हैं. प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में कम टीडीएस हो तो उसमें प्लास्टिक के कण घुलने का खतरा भी रहता है.

वेदों में पानी की परिभाषा

साफ और शुद्ध पानी क्या होता है इसे वेदों में भी परिभाषित किया गया है. ऋग्‍वेद के हिसाब से पानी शीतलम यानी ठंडा, सुशीनी यानी साफ और सिवम यानी उसमें ज़रूरी खनिज लवण होने चाहिए. पानी इश्टम यानी पारदर्शी होना चाहिए, पानी विमलम लहु शद्गुनम यानी सीमित मात्रा के एसिड बेस के साथ होना चाहिए.

अब आप सोच रहे होंगे कि आपको कैसे पता चलेगा कि जो पानी आप पी रहे हैं वो कितना साफ और शुद्ध है?

पीने के पानी के मामले में दोहरी मार झेल रहा भारत

दुनिया का हाल तो हमने आपको बताया ...लेकिन अपने देश का हाल और भी खराब है. भारत पीने के पानी के मामले में दोहरी मार से जूझ रहा है. एक तरफ देश में जल संकट बढ़ता जा रहा है तो दूसरी तरफ पानी को साफ करने की प्रक्रिया में पानी बर्बाद हो रहा है. जुलाई 2020 में NGT ने आरओ की वजह से हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के उद्देश्य से कड़े फैसले लिए. नेशनल ग्रीन ट्राइब्य़ूनल (National Green Tribunal NGT) एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिए थे कि जिन जगहों पर पानी में (TDS) टीडीएस की मात्रा 500 एमजी प्रति लीटर से कम हैं, वहां (RO) आरओ के इस्तेमाल पर बैन लगाया जाए और लोगों को डीमिनरल्जाइज़ड पानी के नुकसान के प्रति जागरुक भी किया जाए.

NGT ने ये भी कहा कि आरओ से बर्बाद होने वाले 60 से 75 फीसदी पानी को रिकवर किया जाए और उसे धुलाई सफाई जैसे कामों में इस्तेमाल किया जाए. आरओ से मिलने वाली पानी की क्वालिटी पर रिसर्च करने के लिए भी मंत्रालय को निर्देश देने को कहा गया. आरओ निर्माताओं से कहा गया कि वो अपने प्रॉडक्ट पर ये लिखें कि आरओ का इस्तेमाल तभी करें जब पानी में टीडीएस की मात्रा 500 से ऊपर हो. अदालत के इस फैसले से ये स्पष्‍ट है कि आरओ से पानी की बर्बादी भी हो रही है और उसके बाद जो साफ पानी आपको मिल रहा है उसमें से मिनरल्स निकल जाने का खतरा भी बना हुआ है यानी वो पानी आपको साफ तो लग रहा है, लेकिन ये पानी आपके लिए सेहतमंद ही हो, ये जरूरी नहीं है. 

पानी कैसे हो रहा प्रदूषित 

आसान भाषा में पानी स्वादरहित, गंधरहित और रंगरहित है तो वो सही साफ और शुद्ध पानी है, लेकिन मीठा करने के चक्कर में कई बार आरओ में टीडीएस का स्तर कम सेट किया जाता है. पानी में टीडीएस का लेवल अगर 100 से कम है तो इसमें चीजें तेज़ी से घुल सकती हैं. अगर प्लास्टिक की बोतल में पानी पी रहे हैं तो ऐसे पानी में प्लास्टिक के कण भी घुल सकते हैं. ये कई बीमारियों की वजह बन सकता है, इसलिए आप अपने आरओ के टीडीएस को 350 पर सेट करें. अगर नल का पानी साफ यानी ठीक ठाक आता है तो स्टील के बर्तन में पानी को उबालकर और उसे ठंडा करके भी पीने योग्य बना सकते हैं. आप घड़े का प्रयोग भी कर सकते हैं. घड़ा प्राकृतिक तरीके से पानी को ठंडा भी रखता है और उसे फिल्टर करने का काम भी करता है.

किसे कितना पानी पीना चाहिए

किसे कितना पानी पीना चाहिए? इसका जवाब है कि ये जरूरत मौसम और आपके काम के हिसाब से तय होती है. मोटे तौर पर दिन भर में 2 लीटर पानी पीने को पर्याप्त माना जाता है. कम पानी पीने से किडनी स्टोन्स, कब्ज़ और डीहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. हालांकि ज्यादा पानी पीने से भी लोगों को कई बीमारियां हो सकती हैं इसलिए अब डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि अपनी प्यास के मुताबिक पानी पीएं. यही सबसे सही पैमाना है. खाने खाने के बाद पानी ना पीने का फॉर्मूला आयुर्वेद के सिद्धांतों पर आधारित है. एलौपेथी के डॉक्टर इस नियम को लेकर एकमत नहीं हैं. उनके मुताबिक इंसान स्वयं अपनी जरूरत पहचान कर ये नियम बना सकता है.

एक नजर यहां भी डालें

- भारत के कई इलाकों में आज भी लोगों को साफ़ और पीने लायक पानी लेने के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. इस परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार ने साल 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन का मकसद गांव से लेकर शहरों तक देश के सभी घरों में पाइपलाइन से साफ पानी पहुंचाना है. इसके तहत 21 दिसंबर 2022 तक जल जीवन मिशन के तहत 10.76 करोड़ यानी 55.62 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान कर दिया गया है.

- एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 2 लाख लोग दूषित पानी पीने की वजह से मर जाते हैं. सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथॉरिटी के मुताबिक भारत में एक व्यक्ति को प्रतिदिन 135 लीटर पानी मिलना चाहिए. इसमें पीने के पानी के अलावा नहाने, खाना बनाने, कार धुलाई, पेड़ पौधों को पानी देने जैसे सभी काम शामिल किए गए हैं.

- भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत पानी का अधिकार मूलभूत मानवाधिकार माना गया है. लेकिन हमें अफसोस के साथ ये कहना पड़ रहा है कि हमारी सरकारें और हमारा सिस्टम हमें पीने के पानी की मूलभूत सुविधा देने में भी नाकाम रहा है. सोचिए, पीने के साफ पानी का स्वराज भी अभी भारत की लगभग 80 प्रतिशत आबादी से दूर है. ये एक अलग सवाल है कि भारत के जिन 21 प्रतिशत घरों में नल से पानी आता भी है, तो क्या वो सीधे नल का पानी पी सकते हैं?  यानी जहां पानी आ भी रहा है, वहां पानी की क्वालिटी कैसी है? ज़ाहिर है ज्यादातर लोगों का जवाब होगा कि वो नल का पानी सीधे नहीं पी सकते, हमने साफ पानी कि लिए अपने खर्च से उसके Filtration की व्यवस्था की हुई है.

- क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में मौजूद सारे पानी को अगर 4 लीटर के जग के जितना मान लिया जाए तो पीने योग्य पानी एक चम्मच जितना होगा_ धरती पर इतना कम पानी है पीने लायक_

- पृथ्वी पर मौजूद कुल पानी का लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा समंदर में मौजूद है जो पीने योग्य नहीं है_धरती पर मौजूद कुल पानी का तीन प्रतिशत ही पीने योग्य पानी है_ ये नदियों, झीलों और झरनों के माध्यम से हमें मिलता है।_इसके अलावा ज़मीन में मौजूद पानी यानी Ground Water और ग्लेशियर का पानी है.

- पीने योग्य पानी का एक बड़ा हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा बर्फ की शक्ल में ग्लेशियर में मौजूद है. अगर बर्फ की शक्ल में मौजूद पानी के भंडार की बात करें तो पीने योग्य पानी का 90 प्रतिशत भंडार अंटार्टिका में है.

पूरी पृथ्वी पर Ground Water केवल 30 प्रतिशत है.

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