Ratan Tata Birthday: जब भी भारत के टॉप बिजनेसमैन की बात होती है तो उसमें रतन टाटा का नाम जरूर शामिल होता है. टाटा सन्‍स के पूर्व चैयरमैन रतन टाटा का जन्‍म 28 दिसंबर 1937 में हुआ था. अरबों की संपत्ति के मालिक रतन टाटा वो हमेशा जमीन से जुड़कर रहते हैं. बात चाहे इंसानों की जरूरत की हो, किसी संस्‍था में दान की या फिर जानवरों की सुरक्षा की, वे किसी मामले में कभी पीछे नहीं रहे. भारत सरकार उन्‍हें देश के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित कर चुकी है. 

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रतन टाटा हमेशा से लोगों के प्रेरणास्रोत रहे हैं. उनकी कही ऐसी तमाम प्रेरणादायी बातें हैं, जो न सिर्फ व्‍यक्ति को जीवन के सच से वाकिफ कराती हैं, बल्कि हर परिस्थिति में साहस के साथ डटे रहने और आगे बढ़ने का हौसला भी देती हैं. इन बातों को अपनाकर कोई भी व्‍यक्ति हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर सकता है. आज रतन टाटा अपना 86वां जन्‍मदिन (86th Birthday of Ratan Tata) मना रहे हैं, इस मौके पर जानते हैं उनके गुरू मंत्र-

रतन टाटा ने दिए हैं सफलता के ये मंत्र

- कॉलेज की पढ़ाई के बाद 5 आंकड़े वाली सैलरी की मत सोचना, एक रात में कोई प्रेसिडेंट नहीं बनता. इसके लिए अथक मेहनत करनी पड़ती है.

- अच्छी पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने दोस्तों को कभी मत चिढ़ाओ. एक समय ऐसा आएगा जब तुम्हें उसके नीचे भी काम करना पड़ सकता है.

- ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूंगा. लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया.

- जीवन में आगे बढ़ने के लिए उतार-चढ़ाव बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि ईसीजी में एक सीधी रेखा का मतलब है कि हम जीवित नहीं है.

- ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूंगा. लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया.

- हम लोग इंसान हैं कोई कम्प्यूटर नहीं, इसलिए जीवन का मजा लीजिये, इसे हमेशा गंभीर मत बनाइये.

- तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है, तुम्हारी असफलता सिर्फ तुम्हारी है, किसी को इसका दोष मत दो. अपनी इस गलती से सीखो और जीवन में आगे बढ़ो.

- वो व्‍यक्ति जो दूसरों की नकल करता है, वो थोड़े समय के लिए तो आगे बढ़ सकता है लेकिन जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकता.

- लोहे को उसकी जंग के अलावा कोई और नहीं मिटा सकता. ठीक उसी तरह से इंसान को उसकी सोच के अलावा कोई और नहीं मिटा सकता.

- सांत्वना पुरस्कार केवल स्कूल में ही देखने को मिलता है. कुछ स्कूलों में तो पास होने तक परीक्षा दे सकते हैं. लेकिन बाहर की दुनिया का नियम अलग हैं, वहां हारने वाले को दूसरा मौका नहीं मिलता.

- हर व्यक्ति में कुछ विशेष गुण एवं प्रतिभाएं होती हैं, इसलिए व्यक्ति को सफलता पाने के लिए अपने गुणों की पहचान करनी चाहिए.