कई बार लोग जब किसी इंसान को या किसी चीज को छूते हैं तो एकदम से करंट लगता है और वो दूर हट जाते हैं. ये सिर्फ कुछ सेकंड का मामला होता है, लेकिन समझ में नहीं आता कि ऐसा क्‍यों हुआ? आपने भी आसपास लोगों के साथ ये होते हुए देखा होगा या फिर शायद आपके साथ भी ऐसा होता होगा. आइए आज आपको बताते हैं कि इसकी वजह क्‍या है-

पहले विज्ञान का ये फैक्‍ट समझिए

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बचपन में आपने भी पढ़ा होगा कि सभी चीजें परमाणु यानी एटम से बनी होती हैं और एटम 3 कणों से बना है - इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन. इलेक्‍ट्रॉन में नेगेटिव (-) चार्ज होता है, प्रोटॉन में पॉजिटिव (+) चार्ज होता है और  न्यूट्रॉन एकदम न्‍यूट्रल होता है. हमारे शरीर में भी प्रोटॉन, इलेक्‍ट्रॉन और न्‍यूट्रॉन होता है. प्रोटॉन और इलेक्‍ट्रॉन एक दूसरे को बैलेंस करने का काम करते हैं. कोई भी एटम तब तक ही स्टेबल होता है, जब तक इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन बराबर संख्या में होते हैं. 

ये है करंट लगने की वजह

जब किसी व्यक्ति में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है तो उस पर नेगेटिव चार्ज बढ़ जाता है. ऐसे में नेगेटिव चार्ज वाले इलेक्‍ट्रॉन स्किन की ऊपरी सतह पर जमा होने लगते हैं. यहां ये इतना ताकतवर हो जाता है कि किसी दूसरे इंसान या चीज को छूते ही उसमें ट्रांसफर हो जाता है और इलेक्‍ट्रॉन्‍स के फास्‍ट मूवमेंट के कारण झटका या करंट महसूस होता है. 

सर्दियों में बढ़ते हैं करंट के मामले

आमतौर पर छूने पर करंट लगने वाली समस्‍या सर्दियों में या किसी ऐसे स्‍थान पर जहां वातावरण ठंडा हो, वहां पर ज्‍यादा देखने को मिलती हैं. इसका कारण है कि ठंडक वाले वाली जगह पर नमी कम हो जाती है और ड्राईनेस बढ़ती है. ऐसे में इंसान की स्किन की सतह पर इलेक्‍ट्रॉन आसानी से जमा हो जाते हैं. वहीं गर्मियों में मौसम में नमी होने के कारण इलेक्‍ट्रॉन स्किन पर आसानी से जमा नहीं हो पाते. 

झटके से बचने के लिए क्‍या करें

समय-समय पर अपने पैर जमीन से टच कराते रहें, ताकि शरीर में जमा इलेक्‍ट्रॉन चार्ज जमीन में चला जाए. ऐसे में बॉडी चार्ज नहीं होगी, तो आपको करंट का झटका भी महसूस नहीं होगा. अगर पैरों में जूते पहन रखे हों तो थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी कोहनी या हाथों को दीवार से टच करते रहें. इससे भी आपको किसी सामान या इंसान से करंट लगने की संभावना कम हो जाएगी.