आज चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कूष्‍मांडा की पूजा की जाती है. मां कूष्‍मांडा को सौरमंडल की अधिष्‍ठात्री देवी माना जाता है. माना जाता है कि मां कूष्‍मांडा ने ही पिंड से लेकर ब्रह्मांड तक का सृजन किया था. मान्‍यता है कि मां कूष्‍मांडा की पूजा करने से दुख, रोग और शोक का नाश होता है. आइए जानते हैं मां कूष्‍मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, भोग और शुभ रंग.

मां कूष्‍मांडा का स्‍वरूप

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शास्‍त्रों में मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी के नाम से भी संबोधित किया गया है. इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सुशोभित है.आठवें हाथ में वे सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला धारण करती हैं. शास्‍त्रों में बताया गया है कि जब सब जगह अंधकार ही अंधकार था, तब माता ने अपने इस स्‍वरूप से ब्रह्मांड का सृजन किया था. माता कूष्‍मांडा शेर की सवारी करती हैं.

पूजा का शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि 24 मार्च 2023 शुक्रवार को सायंकाल 05:00 बजे शुरू हो चुकी है और 25 मार्च 2023, शनिवार को सायंकाल 04:23 बजे तक रहेगी. इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है. ये अति शुभ योग है. चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन रवि योग सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 11 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इस योग में पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. 

शुभ रंग और भोग

मां कूष्‍मांडा की पूजा में हरे रंग को बेहद शुभ माना जाता है. पूजा के दौरान अगर संभव हो तो हरे रंग के वस्‍त्र पहनकर बैठें. इसके अलावा पूजा के दौरान माता को हरे रंगी चुनरी, साड़ी, चूड़ी आदि अर्पित करें. इसके अलावा उन्‍हें मालपुए का भोग लगाएं. इससे माता अत्‍यंत प्रसन्‍न होती हैं.

पूजा का महत्‍व

माता कूष्‍मांडा की पूजा से रोग, शोक और तमाम दोषों को दूर करने की शक्ति प्राप्‍त होती है. उन्‍हें यश, बल और धन में भी वृद्धि होती है. इसके अलावा बुद्धि का विकास होता है और निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होती है. कूष्‍मांडा का अर्थ है कुम्‍हड़ा, जिससे पेठा तैयार होता है. माता कूष्‍मांडा की पूजा में कुम्‍हड़ा की बलि देने से माता अत्‍यंत प्रसन्‍न होती हैं.

ये है पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन सर्वप्रथम गणपति को याद करें और कलश पूजन करें. इसके बाद माता कूष्‍मांडा की पूजा करें. मातारानी को पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और बूरा से स्‍नान करवाएं. इसके बाद गंगाजल से स्‍नान करवाएं. फिर मातारानी को रोली, चंदन, धूप-दीप, पुष्‍प, अक्षत, वस्‍त्र या कलावा, पान, लौंग का जोड़ा, सुपारी, दक्षिणा आदि अर्पित करें. इसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा चालीसा, सप्‍तशती आदि का पाठ करें. इसके बाद आरती करें.

माता की पूजा के मंत्र

  • सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च, दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे
  • ऐं ह्री देव्यै नम:
  • ॐ कूष्माण्डायै नम:
  • वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्, सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्
  • या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: