AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आज के वक्त में घर-घर में लिया जाने वाला नाम बन गया है, ऐसा माना जा सकता है. OpenAI और Sam Altman भी उतने ही पॉपुलर हो चुके हैं. इस महीने की शुरुआत में एक बड़े ड्रामैटिक तरीके से सैम ऑल्टमैन को पहले कंपनी ने निकाला गया, फिर वो माइक्रोसॉफ्ट गए और फिर उनकी आधिकारिक तौर पर सीईओ के रूप में ओपनएआई में वापसी हो गई. इस दौरान ऑल्टमैन के लिए अभूतपूर्व समर्थन जुटता दिखाई दिया. ऐसा लगता है कि वो AI का सबसे बड़ा चेहरा और प्रणेता बन चुके हैं. लेकिन ऑल्टमैन के लिए इतना समर्थन मिलने के बीच एक बार फिर से उनके प्रोजेक्ट्स की बात शुरू हो गई है. दरअसल, उनके आइडिया और प्रोजेक्ट्स जरूर चिंता पैदा करते हैं और विवादों का विषय रहे हैं.

Sam Altman के दो प्रोजेक्ट्स पर सबकी नजर

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OpenAI के फाउंडर सैम ऑल्टमैन के ऐसे दो प्रोजेक्ट्स हैं जो विवादों में रहे हैं, और जिनको लेकर ये तक कहा जाता है कि वो इंसानों के लिए खतरा हो सकते हैं. आपने हॉलीवुड की Terminator और I, Robot फिल्में देखी होंगी, जिसमें रोबोट इंसानों पर हावी हो जाते हैं, जब भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोटिक्स की दुनिया में ऐसा कोई इनोवेशन होता है, हम इन फिल्मों जैसी डिस्टोपियन दुनिया के थोड़े और करीब पहुंचते दिखाई देते हैं. खैर, ये तो सामान्य इंसानी डर की बात हो गई, लेकिन ऑल्टमैन के दो प्रोजेक्ट्स- Q* और WorldCoin हैं, जिनपर कई वाजिब सवाल उठते हैं.

क्या है Q* प्रोजेक्ट?

Q* एक AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलीजेंस है, जोकि मैथमेटिक्स के सवालों को हल करने में सक्षम है. इंसानों की तरह रीजनिंग सवालों का जवाब दे सकता है. Q* प्रोजेक्ट को दो AI को मिक्स करके बनाया गया है. इस प्रोजेक्ट में Q-लर्निंग और स्टार सर्च है. ना सिर्फ डेटा समझता है, बल्कि इंसान की तरह अप्लाई करता है. अब तक AI मॉडल पुरानी जानकारी इकट्ठा कर उससे ही रिजल्ट देता है. Q* इंसानों के लिए खतरनाक कैसे है? ये AGI खुद से आइडिया डेवलप कर सकता है. इसे कंट्रोल करना और इसके बारे में अभी से भविष्यवाणी करना मुश्किल है. टर्मिनेटर फिल्मों की तरह इससे इंसानों को खतरा हो सकता है. इसमें एडवांस लॉजिकल रीजनिंग को समझने की काबिलियत है. Q* प्रोजेक्ट के चलते ही ऑल्टमैन को बर्खास्त किया गया था. ऑल्टमैन ने कहा था कि AI इंसानों से अधिक स्मार्ट हो सकते हैं.

क्या है Worldcoin Project?

यह एक AI आधारित क्रिप्टो प्रोजेक्ट है, जिसमें एक ऑर्ब के जरिए लोगों के आंखों को स्कैन किया जाता है और उन्हें एक डिजिटल आईडी और क्रिप्टोकरेंसी मिलती है. इसके पीछे ऑल्टमैन और इसके को-फाउंडर एलेक्स ब्लेनिया को उम्मीद है कि वो ऑनलाइन आइडेंटिटी चोरी, स्कैम, बॉट्स या AI के जरिए धोखाधड़ी के सॉल्यूशन के तौर पर एक डिजिटल आईडी होगी. लेकिन इससे बायोमीट्रिक डेटा के सुरक्षा के खतरों पर आशंका वाजिब है. 

आजकल वैसे भी बॉट्स के जरिए बहुत से स्कैम हो रहे हैं, और ऑनलाइन इंसानों और बॉट्स में फर्क करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में इंसानों की पहचान कैसे हो, ज्यादा सुरक्षित डिजिटल स्पेस कैसे बने? AI को ज्यादा सशक्त बना रहे ऑल्टमैन ने ही खुद इसका सॉल्यूशन भी दिया है- Worldcoin के जरिए World ID बनाने का. इसके पीछे तर्क ये है कि अगर सभी इंसान खुद को डिजिटली ये साबित कर सकें कि वो इंसान हैं, बॉट नहीं तो फिर बॉट्स में फर्क किया जा सकेगा. इसलिए इंसानों को इंसान साबित करने के लिए वर्ल्डकॉइन उनकी आइरिस को स्कैन करता है, जोकि सबके पास यूनीक होती हैं. इसके बाद आपको एक डिजिटल आईडी दे दी जाती है, जिसे World ID कहा जाता है. ये बायोमीट्रिक डेटा नहीं है, बल्कि Zero Knowledge Proof नाम के एक क्रिप्टोग्राफी मेथड से तैयार किया जाता है.