Mobile-Laptop Charging: आप दिन भर मोबाइल का खूब इस्तेमाल करें, बावजूद इसके न तो मोबाइल की बैटरी खत्म हो और आपको अपना मोबाइल को चार्जिंग पर भी न लगाना पड़े. मोबाइल के अलावा आप घर, ऑफिस और सफर में लैपटॉप का भरपूर इस्तेमाल करें और फिर भी उसे चार्जिंग के लिए घर दफ्तर या ट्रेवल के दौरान चार्जिंग सॉकेट से जोड़ने की जरूरत न पड़े तो कितना अच्छा हो. पहली नजर में नामुमकिन दिखने वाली यह बात जल्द ही हकीकत में बदल सकती है. देश के अग्रणी तकनीकी शिक्षण संस्थान आईआईटी में इसको लेकर बेहद महत्वपूर्ण रिसर्च की जा रही है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर अजय सोनी ने बताया कि कि वह थर्मो इलेक्ट्रिकल मटेरियल पर काम कर रहे हैं. इस पद्धति में एक खास मॉड्यूल की मदद लेकर गर्मी से ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है. लेकिन यह सौर ऊर्जा से बिल्कुल अलग है. इसके लिए न तो बहुत बड़े उपकरण चाहिए और न ही सूरज जैसे विशाल और बेहद गर्म ऑब्जेक्ट की जरूरत है. प्रोफेसर सोनी के मुताबिक अनेक आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक गैजेट को तो केवल मानव शरीर की गर्मी से ही चार्ज किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- Tech Top 10: Apple Music Classical ऐप लॉन्च से लेकर Acer के गेमिंग लैपटॉप तक- जानिए हफ्ते के 10 बड़े अपडेट्स

आईआईटी का कहना है कि औद्योगिक और ऊर्जा उत्पादन प्रक्रियाएं अक्सर भारी मात्रा में अपशिष्ट ऊष्मा उत्पन्न करती हैं जो वातावरण में अवशोषित हो जाती हैं. भारत में वैज्ञानिकों का एक समूह एक नई सामग्री पर काम कर रहा है जो इन प्रक्रियाओं से अपशिष्ट गर्मी को पुनप्राप्त कर सकता है और इसके उपयोग को सुविधाजनक बना सकता है. शोधकर्ताओं की टीम ने कई नई स्मार्ट सामग्रियां विकसित की हैं जो अलग-अलग उपकरणों की बेकार जाने वाली गर्मी को बिजली और बिजली के छोटे घरेलू उपकरणों और ऑटोमोबाइल में कुशलता से बदल सकती हैं. ऐसी सामग्री जो अपशिष्ट ऊष्मा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है, थर्मोइलेक्ट्रिक सामग्री कहलाती है. सामग्री के एक सिरे को गर्म और दूसरे सिरे को ठंडा रखने से विद्युत वोल्टेज पैदा होता है, जो एक तापमान प्रवणता बनाता है.

इंसानी गर्मी से चार्ज होगा मोबाइल, लैपटॉप

प्रोफेसर सोनी के मुताबिक, उन्होंने एक ऐसा प्रोटोटाइप विकसित कर लिया है जोकि एक मॉड्यूल की मदद से इंसानी शरीर की गर्मी से ऊर्जा हासिल कर उसे इलेक्ट्रिसिटी में तब्दील कर सकता है. उदाहरण के तौर पर इस तकनीक के जरिए मोबाइल फोन को केवल हथेली में पकड़ने या फिर जेब में रखने भर से ही चार्ज किया जा सकता है. ऐसे ही लैपटॉप को गोद (लैप) में रखने भर से, बिना किसी चार्जर, सॉकेट या स्विच के चार्ज किया जा सकता है. 

डॉक्टर सोनी ने बताया कि इन उपकरणों को चार्ज करने के लिए इंसान के शरीर से निकलने वाली गर्मी ही काफी है. इन सभी उपकरणों में एक छोटा सा मॉड्यूल सेट किया जाएगा. इसके बाद वह मॉड्यूल शरीर की गर्मी से इन उपकरणों को चार्ज कर सकता है.

ये भी पढ़ें- Facebook और Instagram यूजर्स के लिए बड़ा अलर्ट, ना करें ये गलती, वरना...

बिना किसी चार्जर की होगी चार्जिंग

यह चार्जिंग बिना किसी चार्जर के संभव हो सकेगी. दरअसल उपकरण में फीट और दिखाई न देने वाला मॉड्यूल, शरीर की गर्मी को ऊर्जा में तब्दील कर इन उपकरणों को चार्ज करेगा. आईआईटी में चल रही रिसर्च के मुताबिक केवल मोबाइल और लैपटॉप ही नहीं बल्कि हाथ की घड़ी, कान के ईयर फोन जैसे अनेक उपकरणों को इंसानी गर्मी से ऐसे ही चार्ज किया जा सकता है. खास बात यह है कि इस चाजिर्ंग के लिए किसी चार्जर की भी जरूरत नहीं है. इन्हें चार्ज करने के लिए एक केवल इंसान के शरीर का संपर्क में आना ही काफी है.

प्रोफेसर सोनी ने बताया कि अपनी रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि उनकी टीम द्वारा विकसित किया गया यह मॉड्यूल मानव शरीर के अलावा अलग-अलग उपकरणों से निकलने वाली गर्मी को कुशलता से बिजली में बदल सकता है। अभी तक यह गर्मी बिना किसी इस्तेमाल के वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है.

ये भी पढ़ें- कार की ये वाली सीट गर्मी में भी रखती है ठंडा, 'Cool' रहना चाहते हैं तो आजमा कर देखें ये लेटेस्ट टेक्नोलॉजी

उदाहरण के तौर पर कार के बोनट के गर्म होने पर उससे ऊर्जा का निर्माण किया जा सकता है. इसी तरह आप पानी फेकने वाले पंप की गर्मी से भी ऊर्जा बनाई जा सकती है. प्रोफेसर सोनी का कहना है कि ऐसे अनेक बड़े उपकरण हैं जिनसे हीट निकलती है और इस हीट को बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल यह हीट हमारे वातावरण में यूं ही व्यर्थ हो जाती है जिससे वातावरण को भी नुकसान पहुंचता है.

ऐसी ऊर्जा की बचत व उपयोगिता से छोटे घरेलू उपकरणों, ऑटोमोबाइल और यहां तक कि अंतरिक्ष मिशन से जुड़े उपकरणों को ऊर्जा प्रदान की जा सकती है। इसके लिए वैज्ञानिक एक स्केलेबल थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस पर काम कर रहे हैं जो निम्न श्रेणी के अपशिष्ट ताप को बिजली में परिवर्तित कर सकता है.