Dabba Trading: शेयर बाजार की तेजी का फायदा हर निवेशक उठाना चाहता है. ठगी करने वाले लोग इस बात को बखूबी समझते हैं और इसका फायदा उठाते हैं. शेयर बाजार के नाम पर होने वाले फ्रॉड में से एक है डब्बा ट्रेडिंग. इसमें मोटे रिटर्न का लालच देकर ट्रेडर्स को फंसाया जाता है और अंत में इन ट्रेडर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसा ही एक मामला गुरुवार को मुंबई में सामने आया, जिसमें अवैध ट्रेडिंग में मार्च 2023 से 20 जून2023 तक करीब 4672 करोड़ रुपये का टर्न ओवर हुआ. इसमें टैक्स, फीस न मिल पाने के चलते सरकार को करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. आइए समझते हैं आखिर ये डब्‍बा ट्रेडिंग क्‍या है, कौन करता है और इसके क्‍या नुकसान हैं?

डब्बा ट्रेडिंग है क्या?

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डब्‍बा ट्रेडिंग शेयर बाजार में कंपनियों के स्‍टॉक्‍स में ट्रेडिंग का गैरकानूनी तरीका है. इसमें सौदे स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं किए जाते है. सौदे करने वाले लोग अनऑथराइज्ड होते हैं. ये लोग न किसी एक्सचेंज के मेंबर होते हैं. न ही मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के साथ रजिस्टर्ड ब्रोकर होते हैं. 

डब्‍बा ट्रेडिंग में ट्रेडिंग रिंग चलाने वाले स्टॉक एक्सचेंज प्लैटफॉर्म के बाहर अवैध तरीके से इक्विटी में व्यापार करवाते हैं. ये तय रिटर्न का लालच देते हुए कोई ऐप बना लेते हैं. फिर हवाला से पैसे का लेनदेन करते हैं ताकि इनकम टैक्स की नजर से बचे रहें. लोगों को लगता है कि वे शेयर बाजार में पैसा लगा रहे हैं. लेकिन असल में ये फर्जीवाड़ा होता है.

डब्बा ट्रेडिंग कौन करता है?

फर्जी ब्रोकर और ट्रेडर्स करते हैं.ट्रेडिंग करवाने वाले ब्रोकर SEBI रजिस्टर्ड नहीं होते हैं. वो ट्रेडर जो मार्जिन नहीं देना चाहते, जो डीमैट अकाउंट खोलने से बचते हैं. पहले डब्बा ट्रेडिंग ज्‍यादा बड़े ट्रेडर और इनसाइडर करते थे. आजकल रिटेल निवेशक भी इनके चक्कर में फंस जाते हैं.

कैसे होती है डब्बा ट्रेडिंग?

फर्जी ब्रोकर और ट्रेडर्स के बीच सौदे होते हैं. आपस में जान-पहचान के जरिए एक-दूसरे को ढूंढते हैं. आम तौर पर फोन पर सौदे होते हैं. मौजूदा बाजार भाव पर फोन पर सौदे किए जाते हैं. आजकल फर्जी ऐप्स और सॉफ्टवेयर के जरिए डब्बा ट्रेडिंग होती है. इन ऐप्स पर डाले गए सौदे एक्सचेंज में ट्रेड नहीं होते हैं.फर्जी ब्रोकर इन ऐप्स पर ट्रेडिंग का लालच देते हैं. लोग जल्दी और ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में फंसते हैं. 

डब्बा ट्रेडिंग सारे प्रोडक्ट्स में जो किसी भी ऑथराइज्ड एक्सचेंज पर लिस्टेड हैं. विशेषकर शेयर, सोना, चांदी, करेंसी और दूसरी कमोडिटीज में होती है. अथराइज्ड एक्सचेंज पर कोई सौदा नहीं होता है. डीमैट अकाउंट में शेयरों का कोई लेन-देन नहीं होता है. सेटलमेंट में चेक या बैंकिंग सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जाता. इसमें सारे सौदों का सेटलमेंट कैश में होता है.

फर्जी ब्रोकर क्यों करते हैं डब्बा ट्रेडिंग?

दरअसल, फर्जी ब्रोकर डब्‍बा ट्रेडिंग सेबी, एक्सचेंज के नियमों से बचने के लिए करते हैं. इसमें बिना पैसा लगाए धंधा किया जा सकता है. साथ ही साथ इनकम टैक्स, GST और बाजार के सभी तरह के टैक्स की देनदारी से बचे रहते हैं. फर्जी ब्रोकर अपने जाल में बेवकूफ ट्रेडर्स को लालच देकर फंसाते हैं. इसमें एक ट्वीस्‍ट यह है कि ट्रेडर्स को नुकसान हुआ तो पैसा मंगवा लेंगे लेकिन अगर ट्रेडर्स ने प्रॉफिट बनाया तो उसे पैसे नहीं देंगे.

ट्रेडर क्यों करते हैं डब्बा ट्रेडिंग?

डब्बा ट्रेडिंग को  लेकर यह सवाल लाजमी है कि जब यह फर्जी है तो ट्रेडर इसे क्‍यों करते हैं. दरअसल, ट्रेडर मार्जिन और पैसा लगाने, फ्रंट रनिंग और पंप एंड डंप में रेगुलेटर की नजर में आने से बचने के लिए यह रास्‍ता अपनाते हैं. इस तरह की ट्रेडिंग में सभी तरह के टैक्स की चोरी की जा सकती है. ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलने की जरूरत नहीं होती है और ब्‍लैकमनी को लीगल करते हैं.

समझें डब्बा ट्रेडिंग के रिस्क?

सीधे शब्‍दों में यह जान लें कि डब्बा ट्रेडिंग पूरी तरह गैरकानूनी और आपराधिक है. इसमें सौदों के सेटलमेंट की कोई गारंटी नहीं होती है. अगर इसमें ट्रेडर का नुकसान हुआ तो धमकाकर पैसे ले लेंगे. वहीं, अगर ट्रेड ने मुनाफा किया तो नहीं देंगे. चूंकि यह प्‍लेटफॉर्म पूरी तरह गैरकानूनी होता है इसलिए इसमें ट्रेडर कुछ नहीं कर सकता है. पकड़े जाने पर सेबी दोनों को बैन कर देगी. इसके अलावा इसमें सजा और पेनल्‍टी का भी प्रावधान है. नियमों के मुताबिक, डब्‍बा ट्रेडिंग में पकड़े जाने पर 25 करोड़ रुपये तक की भारी-भरकम पेनल्टी और 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है.

क्‍या है मुंबई का हालिया मामला

मुंबई पुलिस ने मंगलवार को डब्बा ट्रेडिंग का कारोबार ऑपरेट करने वाले एक शख्‍स जतिन मेहता को गिरफ्तार किया. इसके पास किसी तरह का कोई भी आवश्यक लाइसेंस नहीं था. बाद में मुंबई पुलिस ने इसे जेल भेज दिया. पुलिस के मुताबिक, मार्च 2023 से लेकर 20 जून 2023 तक करीब 4673 करोड़ का टर्नओवर हुआ. हालांकि इससे सरकार को बड़ी चपत लगी है और सरकार के खेमे में 1.95 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 

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