How to make an inflation-proof portfolio: देश में खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) मार्च 2022 में 17 महीने के टॉप 6.95 फीसदी पर पहुंच गई. फूड आइटम्‍स के साथ-साथ कमोडिटी कीमतों पर बढ़ते दबाव के चलते महंगाई में उछाल आ रहा है. बढ़ती महंगाई का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ रहा है. ऐसे में यह सवाल भी अहम है कि क्‍या महंगाई शेयर बाजार के सेंटीमेंट को बिगाड़ सकती है और अगर आप बाजार से अच्‍छा मुनाफा चाहते हैं, तो मौजूदा समय में अपना पोर्टफोलियो कैसे बनाएंं? एक्‍सपर्ट का कहना है कि बढ़ती महंगाई के दौर में निवेशकों को ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए, जोकि महंगाई से प्रोटेक्‍ट करने वाला हो. यहां निवेशक यह जान लें कि बढ़ती महंगाई निश्चित तौर पर बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती है. 

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स्‍वास्तिका इन्‍वेस्‍टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा का कहना है कि बढ़ती महंगाई एक बड़ी चिंता का विषय है. हालांकि, अधिकांश चीजों को बाजार पहले से डिस्‍काउंट कर चुका है. ऐसे में महंगाई में नरमी आने के किसी भी संकेत से बाजार में एक रिलीफ रैली देखने को मिल सकती है. उनका कहना है कि मौजूदा तिमाही और अगली तिमाही में रॉ मैटीरियल की ऊंची कीमतों का असर रहेगा. इसमें अब कंपनियों के मैनेजमेंट का क्‍या रुख रहता है, यह काफी अहम होगा. 

महंगाई को मात देगा पोर्टफोलियो!

संतोष मीणा का कहना है कि बढ़ती महंगाई के समय में निवेशकों के सामने सबसे बड़ा चैलेंज अपने निवेश पोर्टफोलियो को इस तरह बनाना, जो महंगाई दर को मात देकर बेहतर रिटर्न दे सके. उनका कहना है, निवेशकों को कमोडिटी कंज्‍यूमर्स की बजाय कमोडिटी प्रोड्यूसर्स स्‍टॉक्‍स में खरीदारी करनी चाहिए. हालांकि, कमोडिटी प्रोड्यूसर्स कंपनियों की कीमतों पहले ही बढ़ चुकी है. इसलिए लो मार्जिन सेफ्टी है. 

उनका कहना है कि निवेशकों को ऐसे सेक्‍टर्स पर फोकस करना चाहिए जो कमोडिटी कीमतों को लेकर कम सेंसेटिव हैं. जैसेकि बैंकिंग एंड फाइनेंशियल्‍स, टेलिकॉम और आईटी स्‍टॉक्‍स पर फोकस कर सकते हैं. इसके साथ ही निवेशकों को ऐसे हाई-क्‍वालिटी स्‍टॉक्‍स पर भी देखना चाहिए, जो महंगाई के चलते अस्‍थायी रूप से दबाव में हैं. 

मार्च 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.95 फीसदी रही, जो कि 6.3 फीसदी के अनुमान से ज्‍यादा है. अगले दो महीनों तक भी कीमतों में बढ़ोतरी दिखाई दे सकती है. हालांकि, यहां से मार्केट की नजर कमोडिटी कीमतों के ट्रेंड पर रहेगी. 

 

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खाने-पीने की महंगाई में तगड़ा उछाल 

रिटेल महंगाई दर (CPI) मार्च में बढ़कर 6.95 फीसदी हो गई. फरवरी में यह 6.1 फीसदी थी. खुदरा महंगाई बढ़ने की मुख्‍य वजह फूड आइटम्स की कीमतों में उछाल रहा. फूड इंफ्लेशन मार्च में 7.68 फीसदी था, जो कि फरवरी में 5.85 फीसदी रहा. यह लगातार तीसरा महीना है, जब रिटेल इंफ्लेशन भारतीय रिजर्व बैंक के कंफर्ट जोन से ऊपर रहा है. रिजर्व बैंक ने FY23 के लिए महंगाई दर अनुमान 4.5% से बढ़ाकर 5.7% किया है.  

 

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)