कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने कमोडिटी डेरिवेटिव्स एडवाइजरी कमेटी ने कमोडिटी ट्रेडिंग (Commodity Trading) पर कई नीतियों को मंजूरी दी है. सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को कमोडिटी मार्केट से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा कर पॉलिसी बनाने का सुझाव दिया है. जिसमें सबसे अहम है कि संवेदनशील कमोडिटीज की कोई अलग कैटेगरी नहीं बनाई जानी चाहिए. सेबी ने इस मामले पर एक वर्किंग ग्रुप बनाया था. दलील है कि अगर किसी कमोडिटी पर संवेदनशील कमोडिटी का ठप्पा लग गया तो फिर उस कमोडिटी की वायदा ट्रेडिंग में भरोसा पैदा करना कठिन होगा. क्योंकि संवेदनशील कैटेगरी में होने की वजह से हमेशा सख्ती लागू होने और यहां तक कि ट्रेडिंग ठप्प होने की आशंका बनी रहेगी. कुल मिलाकर नैरो और ब्रॉडर कमोडिटीज़ वाली ही कैटेगरी कायम रहेगी.

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किसी कमोडिटी में वायदा ट्रेडिंग बंद करने की अचानक नौबत नहीं आए, इसके लिए स्टैंडिंग कमेटी भी बनी है. कमेटी में सेबी और अन्य हितधारकों  के सदस्य हैं. कमेटी कमोडिटीज के ट्रेंड को लेकर सुझाव देगी. जैसे  कि अगर किसी कमोडिटी में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के ऊपर जा रहे हैं तो ऐसी कमोडिटी के ट्रेडिंग की आंकड़ों के आधार पर निगरानी बढ़ाई जाएगी.

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कॉटन कॉन्ट्रैक्ट के लिए अलग प्रीमियम नहीं

सूत्रों के मुताबिक सेबी की कमेटी में MCX के कॉटन कॉन्ट्रैक्ट (Cotton Contract) में डिपॉजिटर्स प्रीमियम को लेकर चर्चा हुई. जिसमें ये फैसला किया गया कि अलग से प्रीमियम की जरूरत नहीं है. क्योंकि एक कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट में ये शुरू करने पर बाकी कमोडिटीज में ये मांग उठने लगेगी जो कि शायद अच्छा न हो. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कॉटन कॉन्ट्रैक्ट में डिपॉजिटर प्रीमियम की सिफारिश की थी ताकि कॉटन के सौदों की लिक्विडिटी बढ़ाई जा सके. MCX का प्रोडक्ट एडवाइजरी कमेटी ने 650 रुपये के भाव से डिपॉजिटर प्रीमियम तय करने का प्रस्ताव था. दलील थी कि ढुलाई और बाकी खर्चों के लिए इतना प्रीमियम तय किया जाना चाहिए. लेकिन सेबी कमेटी ने माना कि ऐसा करना मुनासिब नहीं होगा.

कमोडिटी में भी डायरेक्ट मार्केट एक्सेस

विदेशी निवेशकों के लिए भी कमोडिटी डेरिवेटिव्स (Commodity Derivatives) पर सेबी की कमेटी ने डायरेक्ट मार्केट एक्सेस की सिफारिश की है. सूत्रों के मुताबिक ये सिफारिश शुरू में दो कमोडिटीज नेचुरल गैस और क्रूड ऑयल के लिए है. डायरेक्ट मार्केट एक्सेस का फायदा ये होगा कि विदेशी निवेशक सीधे सौदा एक्सचेंज में डाल  सकेंगे और इसके लिए ब्रोकर के जरिए जाने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर के सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सारा ब्यौरा ब्रोकर को साझा करने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. कई बार ट्रेडिंग की अपनी स्ट्रैटेजी को बड़े निवेशक साझा नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में कमोडिटी में भी डायरेक्ट मार्केट एक्सेस की सुविधा आने से उन्हें फायदा होगा.

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सूत्रों के हवाले से खबर:

1. संवदेनशील की अलग कैटेगरी नहीं

  • संवेदनशील कमोडिटीज के लिए अलग कैटेगरी बनने के आसार नहीं
  • सेबी कमेटी में राय बनी कि अलग कैटेगरी से फायदा नही,क्योंकि फिर ट्रेडिंग मुश्किल होगी
  • मुख्यतौर पर नैरो और ब्रॉड ट्रेडिंग कैटेगरी वाला ही पैमाना रहेगा
  • कमोडिटी ट्रेडिंग पर अचानक रोक लगाने की नौबत न आए ये एक स्टैंडिंग कमेटी देखेगी
  • स्टैंडिंग कमेटी सभी आंकड़ों पर नजर रखकर, अपनी राय देती रहेगी

2. कॉटन कॉन्ट्रैक्ट के लिए अलग प्रीमियम नहीं

  • कमेटी की राय में अलग से प्रीमियम की जरूरत नहीं, फिर बाकी कमोडिटी के लिए भी मांग उठेगी
  • PAC ने 650 रू के भाव से कॉटन पर डिपॉजिटर प्रीमियम का प्रस्ताव किया था

3. कमोडिटी में भी डायरेक्ट मार्केट एक्सेस

  • कमोडिटी मार्केट में भी FPIs के लिए डायरेक्ट मार्केट एक्सेस को मंजूरी
  • नेचुरल गैस और क्रूड ऑयल में डायरेक्ट मार्केट एक्सेस से शुरुआत होगी

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