सोने की कीमतें लगातार गिर रही हैं. अभी सोना 38658 रुपए प्रति दस ग्राम पर है. लेकिन, एक्सपर्ट्स की नजर में सोने की कीमतें अगले तीन महीने में 35 हजार रुपए तक फिसल सकता है. ऐसे में सोना खरीदने के लिए यह वक्त सही है. आगे शादी और त्योहार का सीजन है. ऐसे में ज्वेलरी की डिमांड बढ़ेगी. लेकिन, सोने की ज्वेलरी सोने के दाम से महंगी होती है. बाजार में मिलने वाली ज्वेलरी के दाम असल में सोने के दाम से ज्यादा हो सकते हैं. यही नहीं ये दाम हर ज्वेलरी की दुकान पर भी अलग-अलग हो सकते हैं. ऐसा क्यों होता है, क्यों आपकी ज्वेलरी की कीमतों में फर्क आता है, कैसे ज्वेलर्स आपकी जेब पर डाका डालते हैं? आगे जानिए

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ज्वेलर लगाते हैं मनमाने मेकिंग चार्ज

ज्वेलर्स अक्सर बनी हुई ज्वेलरी को बेचते समय कस्टमर्स से बाजार में सोने के दाम के अतिरिक्त दाम भी वसूलते हैं. ये चार्ज मेकिंग चार्ज के रूप में वसूला जाता है. मेकिंग चार्ज कितना होगा ये ज्वेलरी और ज्वेलर्स पर निर्भर करता है. जिस क्वालिटी और ग्राम की ज्वेलरी होगी उसके मुताबिक ज्वेलर मनमाने ढंग से आपके चार्ज वसूलते हैं.

क्या होता है मेकिंग चार्ज

ज्वेलर्स मेकिंग चार्ज अपने मन मुताबिक लगाते हैं. बड़े ज्वेलर्स के यहां मेकिंग चार्ज छोटे के मुकाबले ज्यादा होता है. मेकिंग चार्ज इस बात पर निर्भर करता है कि ज्वेलरी कैसी बन रही है. ज्वेलरी में चैन रिंग बैंगल्स और हैवी नेकलेस आदि होते हैं. इन पर औसतन 3800 रु प्रति 10 ग्राम से मेकिंग चार्ज वसूला जाता है. ज्वेलर्स लेबर, वेस्टेज और बनाने में कितने दिन का समय लगा इन सब को जोड़कर मेकिंग चार्ज वसूलते हैं. 

चांदी का कारोबार करने वाले एक ज्वेलर के मुताबिक, मेकिंग चार्ज न्यूनतम 5 फीसदी से लेकर अधिकतम 25-30 फीसदी तक जाता है. वहीं, जब सोने की ज्वेलरी घट जाती है तब छोटे ज्वेलर्स अपने मार्जिन को तो कम करते हैं, लेकिन मेकिंग चार्ज पर किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाती.

मार्केट में दो प्रकार की मिलती है ज्वेलरी

मार्केट में दो प्रकार की ज्वेलरी मिलती है. पहली बीआईएस अप्रूव्ड, इसमें मेकिंग चार्जेस लगभग 600 रुपए प्रति ग्राम है और दूसरी नॉन बीआईएस अप्रूव्ड जिसमें मेकिंग चार्जेस 120 से 200 रुपए प्रति ग्राम है. इस समय 38000 का 10 ग्राम गोल्ड अगर आपने बीआईएस अप्रूव्ड लिया तो वह मेकिंग चार्ज के साथ लगभग 44000 रुपए का आपको पड़ेगा. वहीं, बिना अप्रूव्ड वाला लगभग 39200 में 10 ग्राम मिल सकता है. 10 ग्राम सोने में इतना अंतर देखकर अक्सर कस्टमर भी चकरा जाता है.

कब हुई थी मेकिंग चार्ज की शुरुआत

मेकिंग चार्ज की शुरुआत 2005-06 में हुई थी, जब गोल्ड की कीमत पहली बार 9,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंची थी. तभी से ज्वेलर्स ने मनमाने ढंग से मेकिंग चार्ज भी वसूलना शुरू कर दिया था. तब से अब तक ये सिलसिला चला आ रहा है. जबकि मेकिंग चार्ज को लेकर कोई नियम नहीं है.

बेचने पर काटते हैं मेकिंग चार्ज

मेकिंग चार्ज कारीगरी के लेवल पर डिपेंड करता है. बेहतर होगा कि इस चीज पर आप ज्यादा पैसे खर्च न करें. अगर आप ज्वेलरी बेचने जाते हैं तो ज्वेलर्स मेकिंग चार्ज काटकर आपको केवल गोल्ड का पैसा देता है. आपको अपनी खरीद वैल्यू का 30 फीसदी तक हिस्सा खोना पड़ सकता है. इसमें से करीब 20 फीसदी मेकिंग चार्ज का होता है और 10-12 फीसदी प्योरिटी संबंधित चीजों से जुड़ा होता है. ज्वेलर से खरीदारी के वक्त ज्वेलरी की कॉस्ट का ब्रेक-अप मांगिए. इसमें गोल्ड की मौजूदा कॉस्ट, मेकिंग चार्ज, स्टोन की वैल्यू और GST शामिल हैं.