गंभीर बीमारी या दुर्घटना के दौरान सही समय पर सही उपचार नहीं मिल पाने की वजह से भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है और कहीं ज्यादा लोग ताउम्र की गंभीर अपंगता का शिकार हो जाते हैं. 

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ऐसे ही हादसों से सबक लेकर लोगों की मदद के लिए एक स्टार्टअप 'तत्वन' (Tattvan) सामने आया है. यह स्टार्टअप गांवों में बहुत ही कम खर्च पर माहिर डॉक्टरों की सलाह और सुविधा को मुहैया कराने का काम कर रहा है. 

Tattvan के संस्थापक और सीईओ आयुष अतुल मिश्रा ने बताया कि उनका फोकस दूर-दराज के उन गांवों में हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद नहीं हैं. और अगर नजदीक के शहर में मुहैया हैं भी तो गरीब आदमी की पहुंच से दूर हैं. ऐसी जगहों पर प्राइमरी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का काम किया जा रहा है ताकि देश के कमजोर तबके को भी महानगरों जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें.

प्राथमिक चिकित्सा की होम डिलीवरी

आयुष अतुल मिश्रा ने बताया कि फिलहाल उन्होंने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के लालगंज और उसके आसपास के 25 गांवों में मोबाइल क्लीनिक शुरू किया है. इस क्लीनिक के माध्यम से प्राथमिक चिकित्सा की होम डिलीवरी की जाती है. 

जानें पूरा सिस्टम

मोबाइल क्लीनिक को टेली मेडिसिन ऑपरेटर के माध्यम से चलाया जाता है. लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए गांव के सरपंच की सूचना पर टेली मेडिसिन ऑपरेटर (telemedicine operator) गांव पहुंचता है. और वहां जितने भी मरीज होते हैं उनकी प्राथमिक जांच करता है. टेली मेडिसिन ऑपरेटर के पास पूरा ऑनलाइन सिस्टम होता है जिनके माध्यम से एमबीबीएस डॉक्टर को जोड़ा जाता है. ये डॉक्टर मरीजों से बात करके उनकी समस्याएं समझकर उन्हें जो जांच और दवा की सलाह देते हैं, टेली मेडिसिन ऑपरेटर उन्हें मरीजों को मुहैया कराता है. 

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टेली मेडिसन ऑपरेटर के पास प्राथमिक चिकित्सा के जरूरी तमाम दवाएं होती हैं. ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, ईसीजी मशीन भी होती हैं.

मामूली फीस

आयुष अतुल मिश्रा बताते हैं कि एमबीबीएस डॉक्टर से परामर्श के लिए महज 90 रुपये की फीस ली जाती है. 40 रुपये में ब्लड शुगर और 50 रुपये में ईसीजी की सुविधा है. फुल बॉडी ब्लड टेस्ट की फीस महज 280 रुपये है.  

आयुष अतुल मिश्रा ने बताते हैं कि अब वह जल्द ही मोबाइल एंबुलेंस भी शुरू करने जा रहे हैं और अगले 2-3 सालों में हर गांव में टेली मेडिसिन ऑपरेटर की सुविधा देने का टारगेट है. उन्होंने बताया कि वे गांवों में कुपोषण भी रिसर्च कर रहे हैं और फिर इसके लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया जाएगा. 

दुर्घटना बनी प्रेरणा

गांव-गांव लोगों को हेल्थ सेक्टर की सबसे अच्छी सुविधा और सलाह की सर्विस मुहैया कराने के पीछे आयुष अतुल मिश्रा बताते हैं कि उनके साथ हुई एक दुर्घटना से उन्हें यह सीख मिली. उन्होंने बताया कि कोटा, राजस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनका एक्सीडेंट हो गया था. इस एक्सीडेंट में उनका एक पैर बुरी तरह से कुचल गया. उनका इलाज जयपुर के एक सरकारी हॉस्पिटल में चला. लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही से उनका दूसरा पैर भी बुरी तरह से संक्रमित हो गया. 

आयुष अतुल बरेली से हैं. उनके माता-पिता उन्हें बरेली ले आए. लेकिन उनकी हालात इतनी खराब हो चुकी थी कि वहां के डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए.

आयुष बताते हैं बरेली के डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली ले जाने की सलाह दी. इत्तेफाक से उनके परिवार का एक व्यक्ति दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल थे. उन्होंने अपने सीनियर डॉक्टरों से सलाह करने के बाद आयुष को दिल्ली बुलाया. आयुष अपोलो में 100 दिन भर्ती रहे. आखिरकार डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद उनका जीवन बच गया, लेकिन उन्हें अपना एक पैर गंवाना पड़ा. 

पहला ई-क्लीनिक काबुल में

इस दुर्घटना से प्रेरणा लेकर आयुष ने टेलीमेडिसिन काम शुरू करने का फैसला किया ताकि देश के छोटे शहर में बैठे व्यक्ति को समय पर सही सलाह मिल सके. 

आयुष अतुल बताते हैं कि 2015 में उन्होंने जीआरजी हेल्थ कंस्लटेंसी कंपनी की शुरुआत की. इस कंपनी के माध्यम से वह हेल्थ केयर सेक्टर में रिसर्च और कंस्लटेंसी देने का काम करने लगे. 

तत्वन की शुरुआत में उन्होंने पहला ई-क्लीनिक अफगानिस्तान के काबुल में खोला. इसके बाद बरेली और फिर गांवों में टेली-मेडिसिन की सुविधा शुरू की गई. 

आयुष अतुल बताते हैं कि तत्वन के माध्यम से उनकी कोशिश है कि किसी छोटे शहर या गांव में बैठे व्यक्ति को गंभीर बीमारी होने पर महानगरों की ओर न जाना पड़े. उन्होंने उन्हीं के गांव या शहर में सही सलाह मिल जाए.