'मेहनती किसान' दिलाएगा वाजिब दाम, मुनाफा होगा दोगुना
'मेहनती किसान' की कोशिश है कि ऑनलाइन ग्रोसरी के काम में सीधे किसानों को शामिल किया जाए. खासकर छोटे किसानों को.
'मेहनती किसान' ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर है. जो सीधे किसानों से उत्पाद खरीदकर लोगों तक मुहैया कराने का काम कर रहा है. (Image-Zeebiz)
'मेहनती किसान' ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर है. जो सीधे किसानों से उत्पाद खरीदकर लोगों तक मुहैया कराने का काम कर रहा है. (Image-Zeebiz)
केंद्र सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी (Farmers Income) करने और उनके जीवन स्तर में सुधार लेने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. किसी जमाने में घाटे का सौदा मानी जाने वाली खेती की तस्वीर बदल रही है. आज तमाम ऐसे नौजवान हैं जो मल्टी नेशनल कंपनियों की नौकरी छोड़कर खेतों में जाकर नए प्रयोग कर रहे हैं और कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं.
ऐसे तमाम स्टार्टअप (Startups) भी सामने आ रहे हैं जो किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब दाम दिलाने के साथ-साथ लोगों को भी ताजा और शुद्ध उत्पाद मुहैया कराने का काम कर रहे हैं.
एक ऐसा ही स्टार्टअप है 'मेहनती किसान' (Mehnati Kisan). 'मेहनती किसान' ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर है. जो सीधे किसानों से उत्पाद खरीदकर लोगों तक मुहैया कराने का काम कर रहा है. हालांकि यह काम तमाम देशी से लेकर इंटरनेशनल कंपनियां कर रही हैं, ऐसे में 'मेहनती किसान' क्या अलग कर रहा है.
इसके लिए हमने 'मेहनती किसान' के संयोजक नीरज पाण्डेय से बात की.
नीरज पाण्डेय के मुताबिक, 'मेहनती किसान' की कोशिश है कि ऑनलाइन ग्रोसरी के काम में सीधे किसानों को शामिल किया जाए. खासकर छोटे किसानों को.
'मेहनती किसान' बिजनेस मॉडल
नीरज पाण्डेय के मुताबिक, वे किसानों से सीधे उनकी उपज खरीद कर उपभोक्ताओं को बेचते हैं. खासबात ये है कि खरीद-फरोख्त में होने वाले मुनाफे में किसानों को भागीदार बनाया गया है.
किसानों की लागत
'मेहनती किसान' एक नए मॉडल पर काम कर रहा है. इस पर 'मेहनती किसान' के प्रबंध निदेशक अभिषेक चौबे बताते हैं कि वह महानगरों के आसपास के गांवों में छोटे किसानों को अपने साथ इस स्टार्टअप में शामिल कर रहे हैं. वे किसानों से एक साल का अनुबंध करते हैं. इस अनुबंध में किसानों को उनकी जमीन का किराया, खेत में फसल उत्पादन के दौरान लगने वाली लागत जैसे- बीज, खाद और केमिकल आदि का खर्चा दिया जाता है.
फसल की पूरी लागत निकालकर पूरे साल का बजट बनाया जाता है. इस बजट को 12 महीनों में बांट कर हर महीने किसान को भुगतान किया जाता है और उस खेत में जो फसल तैयार होती है उसे 'मेहनती किसान' के प्लेटफॉर्म पर बेचा जाता है. फसल की बिक्री से जो मुनाफा होता है, उसमें किसान का हिस्सा भी होता है.
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क्या है फायदा
'मेहनती किसान' के इस मॉडल से किसान को यह फायदा होता है कि फसल तैयार होने के दौरान मंडी में रेट नहीं मिलने की समस्या से किसान को दो-चार नहीं होना पड़ता. चूंकि खेत का उत्पाद सीधे लोगों के घर तक जाता है, इसलिए और किसानों को सीधे उनके उत्पादों का बाजार भाव मिलता है.
06:00 PM IST