हर साल हार्ट अटैक से करीब 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है. यह सिर्फ इस वजह से होता है, क्योंकि सही समय और सही जगह पर मेडिकल डिवाइस उपलब्ध नहीं रह पाता है. अगर लोगों को सही समय पर ईसीजी (ECG) मिल जाए तो आसानी से बहुत सारी जानें बचाई जा सकती हैं. इसी समस्या का समाधान करने के लिए उत्तराखंड के स्टार्टअप (Startup) सनफॉक्स टेक्नोलॉजीज़ (Sunfox Technologies) ने स्पंदन नाम का एक पॉकेट साइज डिवाइस बनाया है. इस डिवाइस से आप 99.7 फीसदी एक्युरेसी के साथ ईसीजी की रिपोर्ट हासिल कर सकते हैं. इसकी शुरुआत देहरादून के रजत जैन ने साल 2016 में की थी. हालांकि, कंपनी ने अपना बेहद छोटा डिवाइस स्पंदन जनवरी 2020 में लॉन्च किया.

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रजत जैन कहते हैं कि देश में 6 लाख से भी ज्यादा गांव हैं. इनमें से अधिकतर गांव में इंटरनेट है, लेकिन हेल्थ सर्विस हर जगह नहीं पहुंची है. कई बार इसकी कमी के चलते लोग मर भी जाते हैं. देरी के चलते कई मामलों में डॉक्टर भी मदद नहीं कर पाते हैं. देहरादून में हुई स्टार्टअप समिट में पीएम मोदी ने इस स्टार्टअप की तारीफ भी की थी. इन ईजीसी को आप आपने डॉक्टर को दिखा सकते हैं या फिर चाहे तो स्पंदन के डॉक्टर्स को भी दिखा सकते हैं. रजत बताते हैं कि उनके पिता को जब इस बिजनेस के बारे में पता चला तो उन्होंने कहा 'जो करना है करो, पैसों के लिए घर भी बेचना पड़ा तो बेच दूंगा.' ये दिखाता है कि उनके पिता भी इस बिजनेस को बहुत पसंद कर रहे थे.

50 हजार लोगों को मिल चुकी है मदद

स्पंदन के स्ट्रेटेजी हेड अपूर्व गुप्ता बताते हैं कि आज तक 50 हजार यूजर्स स्पंदन को इस्तेमाल कर के हेल्दी हो चुके हैं. कोविड के वक्त भी बहुत सारे लोगों को इस डिवाइस से मदद मिली थी. यहां तक कि खुद कंपनी का फाउंडर रजत जैन के पिता को भी कोविड के दौरान इस डिवाइस से मदद मिली थी. 

करीब 2 साल पहले कंपनी ने केदारनाथ में एक कैंप लगाया था, क्योंकि वहां से हर्ट अटैक की कई खबरें आ रही थीं. वहां केदारनाथ की चढ़ाई करने वाले हर शख्स की पहले स्पंदन से जांच की गई. उससे पता चला कि करीब 130 लोग ऐसे थे, जो अगर बिना दवा के केदारनाथ की चढ़ाई करते तो कोई अनहोनी हो सकती थी. कंपनी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि जैसा है.

इतना ही नहीं, स्पंदन देश के जवानों को भी अपनी सेवाएं दे रहा है. जब भारतीय डिफेंस सिस्टम को स्पंदन के बारे में पता चला तो उन्होंने इसके कई यूजकेस देखे. अब कई इलाकों में डिफेंस यूनिट्स को स्पंदन के डिवाइस सप्लाई किया जाते हैं.

3 तरह के डिवाइस बनाता है स्टार्टअप

कंपनी का पहला डिवाइस है स्पंदन लीगेसी, जिसकी शुरुआत 2020 में हुई थी. यह होम यूजर्स, क्रिटिकल पेशेंट, क्लीनिक, अस्पताल के अलावा हैल्दी लाइफ मेंटेन करने वाले लोग इस्तेमाल कर रहे हैं. जैसे-जैसे कंपनी के यूजर्स बढ़ते गए, लोगों की जरूरतें भी बदलती गईं और इसी को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने 2 और डिवाइस लॉन्च किए हैं. कंपनी ने दूसरा डिवाइस स्पंदन नियो बनाया है, जो वॉटरप्रूफ है. इसे जिम में और स्पोर्ट्स के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है. वहीं कंपनी ने तीसरा डिवाइस स्पंदन प्रो के नाम से लॉन्च किया है. यह डिवाइस अस्पतालों और क्लीनिक के लिए है, क्योंकि उन्हें एक ही दिन में कई सारे ईसीजी करने होते हैं.

मौजूदा वक्त में कंपनी के 13 राज्यों में डिस्ट्रीब्यूटर हैं. यहां तक कि यह डिवाइस फिलीपीन्स, फिजी, बांग्लादेश, म्यांमार और अफ्रीका के बहुत सारे देशों को एक्सपोर्ट भी हो रहा है. जल्द ही कंपनी को कुछ लाइसेंस मिल जाएंगे, जिसके बाद अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में भी इसे भेजा जाने लगेगा.

शार्क टैंक इंडिया में भी आ चुका है ये स्टार्टअप

सनफॉक्स टेक्नोलॉजीज़ शार्क टैंक इंडिया के पहले सीजन में आ चुका है. वहां पर रजत जैन अपनी टीम के सौरभ भडोला, नितिन चंदोला और सबित रावत के साथ गए थे. जब इस स्टार्टअप के डिवाइस के बारे में वहां बैठे शार्क ने जाना तो उन्होंने अपनी खुद की कहानी भी शेयर की. पीयूष बंसल ने बताया कि कोविड के वक्त उन्हें अपने पिता के लिए किसी ऐसे ही डिवाइस की जरूरत थी, लेकिन उन्हें नहीं मिला था. वहीं गज़ल अलघ ने बताया कि कुछ साल पहले उनके मामाजी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई और उस वक्त ऐसा कोई डिवाइस होता, जिससे ईसीजी हो जाती तो शायद उन्हें बचाया जा सकता था. 

स्टार्टअप ने शार्क टैंक के मंच पर 50 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर 2 फीसदी के बदले 1 करोड़ रुपये का निवेश करने का ऑफर दिया था. हालांकि, अंत में पांचों शार्क (पीयूष, अनुपम, गज़ल, विनीता और नमिता) ने मिलकर 16.67 करोड़ रुपये के वैल्युएशन पर 6 फीसदी इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये का निवेश किया.