शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जिसके फाउंडर ने साड़ी पहनी हुई थी. इस स्टार्टअप का नाम है DEEVA: The Online Sari Store, जिसकी शुरुआत अकुंश आर बरजाता (Ankush R Barjata) ने जून 2022 में की थी. अंकुश हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के एक छोटे से गांव बंगाणा (Bangana) में रहते हैं. वहीं से वह अपना ये पूरा बिजनेस चला रहे हैं. एक छोटे से गांव से उन्होंने करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर दिया है, जिसके बारे में जानने के बाद सारे शार्क हैरान रह गए.

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अंकुश बताते हैं कि अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरह की साड़ियां मिलती हैं. वह कहते हैं कि पहले तो सिर्फ महिलाएं ही साड़ियां पहनती थीं, लेकिन अब कई पुरुष भी साड़ी पहनने लगे हैं. बता दें कि अंकुश खुद भी साड़ी पहनकर ही इवेंट में पहुंचे थे. उन्होंने कहा कि देश में 100 से भी अधिक वैराएटी की साड़ियां हैं, लेकिन एक भी ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है, जहां पर आपको सारी साड़ियां मिल सकें. इसे बनाने के लिए अंकुश पूरे देश में घूमे और तमाम मैन्युफैक्चरर से बात करने के बाद एक प्लेटफॉर्म बनाया. दीवा इस वक्त मैन्युफैक्चरर्स से सीधे ग्राहकों तक साड़ी पहुंचाता है, जो अभी तक कोई नहीं कर रहा है. वह दीवा को भारत का पहला ग्लोबल साड़ी ब्रांड और वन स्टॉप सॉल्यूशन बनाना चाहते हैं.

कहां से आया साड़ी के बिजनेस का आइडिया?

अंकुश के दादाजी कपड़े की फेरी लगाया करते थे. उनके पिता ने भी करीब 27 साल तक कपड़े की दुकान पर काम किया. इसके बाद 2014 में उन्होंने खुद साड़ी की एक दुकान खोल ली. अंकुश कहते हैं कि जब तक उनके पिता नौकरी करते थे, तब तक वह सरकारी स्कूल में पढ़ते थे. जब उन्होंने अपना बिजनेस शुरू कर लिया तो अंकुश को चेन्नई की एसआरएम यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौका मिला. अंकुश ने कॉलेज में आकर थिएटर भी ज्वाइन किया और वह मूवी डायरेक्टर भी बनना चाहते थे.

इसी बीच कोविड ने दस्तक की और लॉकडाउन के दौरान उन्हें पता चला कि उनके पिता को बिजनेस में काफी नुकसान हुआ है. इसके बाद अंकुश ने भी नौकरी करने का फैसला किया और कई जगह आवेदन किया. उन्हें बायजू, वाइट हैट जूनियर और हैदराबाद की एक रियल एस्टेट कंपनी इनक्रेडिबल इंडिया प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड से जॉब ऑफर आए. उन्हें इस रीयल एस्टेट कंपनी ने 26.28 लाख का पैकेज ऑफर किया, जिसके बाद वह ये नौकरी करने लगे. 

हैदराबाद में नौकरी के दौरान उनकी मुलाकात एक ऐसे क्लाइंट से हुई, जो साड़ियां बनाते थे. वहां से पता चला कि साड़ी बनने की लागत 300-400 रुपये है. इस पर अंकुश ने पूछा कि इतनी सस्ती साड़ी कौन पहनता है तो जवाब मिला कि जब ये 2000 की बिकेगी तो सब पहनेंगे. वहां से अंकुश की दिलचस्पी साड़ियों बढ़ने लगी और उन्होंने इससे जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल करना शुरू कर दिया. उन्होंने पाया कि सीधे मैन्युफैक्चरर से लेकर साड़ी ग्राहकों तक पहुंचाने वाला कोई नहीं है. उन्हें हर जगह कीमतें भी अलग-अलग दिखीं. अंकुश को इसमें एक मौका दिया और उन्होंने अपना बिजनेस शुरू कर दिया.

कैसी साड़ियां बनाता है ये ब्रांड?

दीवा अभी पावरलूम साड़ियों पर फोकस कर रहा है, क्योंकि अधिकतर ग्राहक 2500 रुपये के आस-पास की कीमत वाली साड़ियां खरीदते हैं. यह साड़ियां कॉटन के साथ पॉलिएस्टर मिक्स कर के बनाई जाती हैं, क्योंकि अगर प्योर कॉटन की साड़ियां बनाएंगे तो उनकी कीमत 7-8 हजार रुपये से शुरू होगी. इनका पूरा बिजनेस ऑनलाइन है. अंकुश का दावा है कि कहीं से भी ऑनलाइन आप जो साड़ियां लेते हैं, उससे आधी कीमत में यहां आपको साड़ियां मिल जाएंगी. 

क्या है दीवा की यूएसपी?

अंकुश कहते हैं कि मौजूदा वक्त में कोई भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सीधे मैन्युफैक्चरर से प्रोडक्ट नहीं लेता है. यह ओपन प्लेटफॉर्म है, जिस पर रिटेलर, होलसेलर और डिस्ट्रीब्यूटर कोई भी लिस्ट हो सकता है. लॉकडाउन के वक्त उन्होंने बहुत जगह ट्रैवल किया और मैन्युफैक्चरर्स से मिले. इसके बाद अंकुश ने टॉप मैन्युफैक्चरर्स से डील किया. अभी 5 एक्सक्लूसिव मैन्युफैक्चरर हैं, जबकि उनका प्लान ऐसे बहुत सारे मैन्युफैक्चरर्स से डील करने का है. वह इनके साथ एक एक्सक्लूसिव एग्रीमेंट भी करना चाहते हैं. अंकुश के साथ अभी 550 से भी ज्यादा मैन्युफैक्चरर्स हैं.

छोटे से गांव से कमा रहे 7 करोड़ रुपये

लोगों की हिचकिचाहट को खत्म करने के लिए अंकुश ने बिना कोई सवाल पूछे प्रोडक्ट रिटर्न करने की पॉलिसी रखी है. उनका दावा है कि प्रोडक्ट टॉप क्वालिटी के होते हैं, ऐसे में ज्यादा रिटर्न नहीं आते. अभी तक उनका रिटर्न रेट सिर्फ 3 फीसदी है. वहीं रिटर्न पॉलिसी के चलते ग्राहकों को पहली बार ऑर्डर बुक करना आसान हो जाता है. इस बिजनेस से उन्होंने पिछले साल 1.93 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया था, जबकि इस साल का अनुमान 7 करोड़ रुपये तक रहने का है. यह सारा बिजनेस वह हिमाचल के छोटे से गांव बंगाणा में बैठकर बिजनेस करते हुए कमा रहे हैं. उन्हें इस बिजनेस में 60 फीसदी का ग्रॉस मार्जिन मिलता है और लगभग 35 फीसदी का EBITDA है. साथ ही वह खुद हर महीने 1 लाख रुपये की सैलरी लेते हैं.

शार्क टैंक के दूसरे सीजन में भी किया था अप्लाई

अंकुश बताते हैं कि उन्होंने शार्क टैंक के दूसरे सीजन के लिए भी अप्लाई किया था, लेकिन उस बार उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया था. उस वक्त उन्होंने एक पोस्ट भी डाली थी कि वह अमन और पीयूष से नहीं मिल सके. इस बार के सीजन के लिए जब उनका सेलेक्शन फाइनल हुआ, उस वक्त वह एक रेस्टोरेंट में थे और वहीं पर उन्होंने एक टिश्यू पेपर पर लिखा था कि सीजन 3 में मिलते हैं. अंकुश दिग्गज क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के बड़े फैन हैं. वह बताते हैं कि पिछले सालों में कई बार मन में आया कि सब छोड़ दें, लेकिन फिर सोचा कि क्यों छोड़ें और मेहनत करते हुए आगे बढ़ते रहे.

खुद भी 2 स्टार्टअप में निवेश कर चुके हैं अंकुश

अंकुश बताते हैं कि 2017 में साड़ी का मार्केट करीब 38 हजार करोड़ रुपये का था, जो 2023 तक लगभग 80 हजार करोड़ रुपये का हो चुका है. उनका विजन है कि हिमाचल में एक स्टार्टअप ईकोसिस्टम शुरू किया जाए. वह दो स्टार्टअप भी शुरू करवा चुके हैं और उनमें कुछ निवेश भी किया है. अंकुश ने शार्क टैंक इंडिया में 50 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 2 करोड़ रुपये के बदले 4 फीसदी इक्विटी की पेशकश की थी. 

मिली 3 शार्क डील

पीयूष बंसल और अनुपम मित्तल इस डील से बाहर हो गए. वहीं अमन गुप्ता बोले कि उन्हें बिजनेस समझ नहीं आ रहा है, लेकिन फाउंडर अच्छे लगे, इसलिए उन्होंने एक डील दी. अमन गुप्ता ने 5 फीसदी के बदले 20 लाख रुपये और 10 फीसदी ब्याज दर पर 2 साल के लिए 1.8 करोड़ रुपये का लोन ऑफर किया. हालांकि, कई बार ऑफर रिवाइज होने के बाद आखिरकार अमन गुप्ता, राधिका गुप्ता और रितेश अग्रवाल ने इसमें निवेश किया. तीनों ने मिलकर 12.5 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 75 लाख रुपये के बदले 6 फीसदी इक्विटी ली. साथ ही उन्होंने 10 फीसदी ब्याज दर पर 3 साल के लिए 1.25 करोड़ रुपये का लोन दिया.