emongrass cultivation for business latest news in hindi: लेमनग्रास (lemongrass) की खेती करना आज के समय में फायदे वाला काम माना जाता है. लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और दवा के साथ-साथ और भी कई चीजों के बनाने के काम आती है. यही वजह है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां इसका उपयोग करती हैं और मार्केट में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है. आने वाले समय में लेमनग्रास (lemongrass) की मांग और बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में इसकी खेती करने वाले किसानों के लिए यह एक फायदे का सौदा हो सकता है. 

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लेमनग्रास (lemongrass) की पत्तियों से दवाई बनाने का काम किया जाता है. इन पत्तियों की चाय भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है.  झारखंड के खूंटी जिले में लेमनग्रास की खेती काफी अधिक मात्रा में की जाती है. हाल ही में इस जिले के किसानों से न्यूज एजेंसी एएनआई ने बात करते हुए कुछ बातों को जानने का प्रयास किया. इस खेती को करने में महिला भी बड़े पैमाने पर पुरुषों का साथ दे रही हैं. राज्य में महिलाओं को अक्सर खेत में काम करते हुए देखा जाता रहा है.  

खूंटी जिले में लगातार बढ़ रही है लेमनग्रास की खेती

खूंटी जिले के लोकल किसानों ने खेती को लेकर कुछ बातों का जिक्र किया. किसानों की मानें तो एक एकड़ खेत से दो से तीन लाख रुपये की आमदनी आसानी हो सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद किसान को लगभग सात साल तक दोबारा पौधा लगाने से मुक्ति मिल जाती है. इस दौरान पानी की खपत भी बेहद कम होती है. इस खेती की यह खासियत किसानों को काफी आकर्षित करने का काम कर रही है. अगर कोई किसान खेती की शुरुआत करना चाहता है तो उसे सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है. 

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75 पैसे में मिलने वाले इस पौधे से होती है खूब कमाई

लेमनग्रास की खेती के लिए एक पौधे 75 पैसे में मिल जाता है. इसके अलावा इस फसल में दूसरे फसलों की तुलना में बीमारियां भी कम लगती हैं. जिससे किसानों को नुकसान होने का खतरा कम रहता है. लेमनग्रास का पौधा लगभग 6 महीने में तैयार हो जाता है. इसके बाद हर 70-80 दिनों में इसकी कटाई हो सकती है. राज्य सरकार इसकी खेती के लिए प्रति एकड़ 2000 रुपए की सब्सिडी देने का काम करती है. जबकि डिस्टीलियेशन लगाने के लिए 50 फीसदी तक की सब्सिडी अलग से दी जाती है.