इंडियन प्राइवेट इक्विटी एंड वेंचर कैपिटल एसोसिएशन ने आज कहा कि भारतीय स्टार्टअप ने 2016-20 के दौरान 63 अरब डॉलर जुटाए. साल 2019 के दौरान, 34 अरब डॉलर का निवेश भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में किया गया था. इसके अलावा 17 अरब डॉलर 2020 (मई तक) में निवेश हुआ. खबर के मुताबिक, सबसे ज़्यादा इन्वेस्टमेंट टेक-इनेबल्ड प्लेयर्स में आई और अच्छी इनिशियल फंडिंग भी मिली. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप हब बन गया. इस बीच में 27 भारतीय स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न भी बने.

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रजत टंडन, अध्यक्ष IVCA ने कहा कि डेवलपमेंट फेज स्टार्टअप और वेंचर कैपिटल इकोसिस्टम कोविड-19 के मौजूदा संकट के बीच भी, इकसिंगों, सोनिकोर्न और मिनिकॉर्न की बढ़ती संख्या के साथ अगली छलांग के लिए तैयार है. इकोसिस्टम निवेश के माहौल को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है. भारत सरकार इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डेवलपमेंट फेज के निवेशक गति को जारी रख रहे हैं. 

बुनियादी ढांचा, VC और FDI के जरिये सरकार के समर्थन से भारतीय स्टार्टअप उभर रहे हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि टेक-इनेबल्ड प्रोडक्ट्स जैसे प्रोडक्ट डिजाइनिंग टूल, डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म, प्रोडक्ट टेस्टिंग टूल्स, सॉल्यूशन होस्टिंग और बुनियादी इंफ़्रा और कस्टमर स्प्रोटींग टूल्स की सेवाओं की भारी डिमांड बनी हुई है.

भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तीन प्रमुख शहरों, बैंगलोर, दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में केंद्रित है जिनमे स्टार्ट-अप के 55-58% बसे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 9000 स्टार्टअप्स हैं, देश में 25% स्टार्टअप्स SaaS/AI अकउंट्स है, इसके बाद हेल्थकेयर एंड लाइफ साइंसेज में 14%, BFSI में 10%, एडटेक में 6% और रिटेल टेक में 5% हिस्सेदारी है.

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम ड्राइव करने वाले प्रमुख कारक हैं- मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी सरकार की पहल.

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विदेशी तकनीकी निवेश में बढ़ोतरी से कई देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों और चीन के ऑप्शन की धारणा के कारण है. दूसरी ओर अमेरिकन एक्सप्रेस, माइक्रोसॉफ्ट और एप्पल जैसी कंपनियां भारत में अपने आरएंडडी केंद्र खोलने के लिए भारी निवेश कर रही हैं.