भारतीय रेलवे ने 25 मई, 2020 तक देश भर में 3060 “श्रमिक स्‍पेशल” ट्रेनें चला कर लगभग 25 दिन में श्रमिक स्‍पेशल ट्रेनों के जरिये 40 लाख यात्रियों को उनके गृह राज्‍यों तक पहुंचाया है. रेल मंत्री पियूष गोयल के मुताबिक रेलवे देश के सभी 700 जिलों से ट्रेन चलाने को तैयार है. सभी जिलों के जिलाधिकारियों से कहा गया है कि अगर कही भी बड़ी संख्या में श्रमिक पैदल जाते दिखें तो उनकी लिस्ट बना कर जिला प्रशासन रेलवे को दे. इस लिस्ट के आधार पर रेलवे तुरंत ट्रेन उपलब्ध कराएगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यूपी और बिहार ने किया अच्छा काम

रेल मंत्री के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने में काफी सहयोग दिया इससे श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने में आसानी हुई. रेल मंत्री ने कहा कि इन राज्यों ने मिसाल कायम की है कि कैसे प्रवासी मजदूरों का ख्याल रखना चाहिए.

रेलवे नेटवर्क में भीड़भाड़ से राहत

रेलवे के मुताबिक 23 औश्र 24 मई को रेलवे नेटवर्क में देखे गई भीड़भाड़ फिलहाल खत्म हो गई है. बिहार और उत्‍तर प्रदेश के दो तिहाई से अधिक रेल रूटों पर अधिक मांग होने और स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी प्रोटोकॉलों के कारण टर्मिनलों को देर से क्‍लीयरेंस मिलने की वजह से भीड़भाड़ हुई. राज्य सरकारों से बातचीत के बाद इस मामले को सुलझा लिख गया है.

एक मई से चल रही हैं ट्रेनें  

रेलवे 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है. इन ट्रेनों के जरिए अलग अलग जगहों पर फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और और अन्य लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद ये ट्रेनें चलाई गई हैं.  25 मई, 2020 तक देश भर के अलग अलग राज्यों से कुल 3060 "श्रमिक स्पेशल" ट्रेनें चलाई गई हैं.  इन "श्रमिक स्पेशल" ट्रेनों से 40 लाख से अधिक यात्री अपने घरों तक पहुंचे हैं. 3060 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में से, 2608 ट्रेनें अपनी यात्रा पूरी कर चुकी हैं. वहीं  453 ट्रेनें अभी रास्ते में हैं.

 

ज़ी बिज़नेस LIVE TV यहां देखें

 

 

इन पांच राज्यों से सबसे अधिक चली ट्रेनें

इन 3060 ट्रेनों में से जिन पांच राज्यों से सबसे अधिक ट्रेनों को चलाया गया हैं उनमें गुजरात (853 ट्रेनें), महाराष्ट्र (550 ट्रेनें), पंजाब (333 ट्रेनें), उत्तर प्रदेश (221 ट्रेनें) और दिल्ली (181 ट्रेनें) हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रियों को ले जाने के पहले पूरे स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है. वहीं यात्रियों को उनके राज्य पहुंचने पर राज्य के दिशा निर्देशों के तहत उन्हें प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य है.