Indian railways रोज नए-नए कीर्तिमान बना रहा है. अब उत्तर रेलवे (Northern railway) के दिल्ली मंडल ने 'हेड ऑन जनरेशन' प्रणाली पर 44 ट्रेनों में 54 रैक को बदलकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इस तकनीक को अब LHB कोचों वाली सभी ट्रेनों में शुरू किया गया है. इससे रेलवे के हर साल करोड़ों रुपए बचेंगे.

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रेलवे के मुताबिक, इससे ऊर्जा बिलों में कटौती के साथ-साथ पर्यावरण बचाने में भी मदद मिलेगी. इस तकनीक के अंतर्गत पेन्टोग्राफ के जरिए ट्रेन इंजन तक बिजली की लाइनों से ली गई इलेक्ट्रिसिटी का इस्‍तेमाल इंजन को चलाने और डिब्बों को खींचने के लिए किया जाता है. इस नई प्रणाली में बिजली की जरूरतों के लिए ओवरहेड (Overhead) से ली गई इलेक्ट्रिसिटी इंजन से पीछे डिब्बों में बांटी जाती है.

रेलवे के मुताबिक इससे परिचालन लागत में कमी और राजस्व में बढ़ोतरी होगी. ट्रेनों में HOG सिस्टम की वजह से दिल्ली मंडल को तेल खपत में बचत होने की उम्मीद है. HOG सिस्टम में एक पॉवर कार को हटाया जा सकता है.

मंडल रेलवे प्रबंधक एससी जैन कहा कि HOG तकनीक के कारण जनरेटर कारों की डीजल खपत पर हर साल लगभग 65 करोड़ की बचत होगी. दिल्ली मंडल ने गरीब रथ को HOG सिस्टम पर संचालित करने के लिए इन ट्रेनों के 150 कोच और 18 पावर कारों के संशोधन कार्य के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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इससे पहले रेलवे के जबलपुर मंडल (Jabalpur Division) में बैटरी से चलने वाला डुअल मोड शंटिंग लोको 'नवदूत' बनाया गया है. रेलवे इस इंजन का सफर ट्रायल कर रहा है. रेलवे में इसे बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. आने वाले दिनों में रेलवे में इस तरह के और इंजन देखे जा सकते हैं. 

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने Tweet किया कि बैटरी से ऑपरेट होने वाला यह लोको एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, जो डीजल के साथ ही विदेशी मुद्रा की बचत करने में मदद करेगा. साथ ये इंजन पर्यावरण संरक्षण में के काम में भी एक बड़ा कदम होगा.