प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'चाय पर चर्चा' एक ऐसा विषय है, जो 2014 के बाद से सबसे ज्यादा हाइलाइट में रहा. देश का शायद ही कोई नागरिक हो जो पीएम मोदी के साथ चाय पीने का मौका छोड़ दे. अब यह मौका सरकार आपको देने जा रही है. अब आम आदमी भी पीएम मोदी के साथ चाय पी सकेगा. मोदी सरकार ने इसके लिए एक योजना तैयार की है. मोदी सरकार की यह योजना इनकम टैक्स चुकाने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए है. हालांकि, योजना को अमली-जामा पहनाना अभी बाकी है.

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टैक्स कलेक्शन बढ़ाना है लक्ष्य

मोदी सरकार इनकम टैक्स देने वालों को बढ़ावा देना चाहती है. योजना के तहत सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले लोगों को प्रधानमंत्री मोदी या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ चाय पीने का मौका मिलेगा. पीएमओ से जुड़े एक अधिकारी ने जी बिजनेस को नाम न छापने की शर्त पर बताया, सरकार ने  योजना से इनकम टैक्स कलेक्शन बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. 

बजट में हो सकता है ऐलान

योजना से जुड़ी जानकारी रखने वाले शख्स ने बताया कि सरकार टैक्स सिस्टम को ज्यादा प्रगतिशील बनाना चाहती है. मौजूदा समय में जो भी सबसे ज्यादा टैक्स का भुगतान करता है, उन्हें सरकार की ओर से एप्रिसिएशन सर्टिफिकेट दिया जाता है. सूत्रों की मानें तो योजना का ऐलान जुलाई में पेश होने वाले बजट में किया जा सकता है. 

चाय पर बुलाने की योजना एकदम नई

टैक्सपेयर्स को चाय के लिए आमंत्रित करने की योजना एकदम नई है. हालांकि, सरकार पहले से ही कई नॉन-मॉनेटरी इंसेंटिव देती रही है, लेकिन पीएम के साथ चाय पर चर्चा का मौका मिलने से टैक्सपेयर्स ज्यादा टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

बढ़ सकता है टैक्स कलेक्शन

ऐसा माना जा रहा है कि अब साथ में चाय पीने की स्कीम से निश्चित तौर पर सरकार के टैक्स कलेक्शन में इजाफा होगा. अभी तक टैक्स डिपार्टमेंट सबसे ज्यादा टैक्स चुकाने वाले लोगों को एप्रिसिएशन सर्टिफिकेट देता है.

कम टैक्स कलेक्शन से मिला आइडिया

आपको बता दें, 31 मार्च को खत्म फाइनेंशियल ईयर में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन सरकार के रिवाइज्ड टारगेट से भी कम रहा है. सरकार ने 12 लाख करोड़ रुपए टैक्स कलेक्शन किया था.

किसानों को पहुंचाएंगे फायदा

सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री किसा सम्मान निधि जैसी वेलफेयर स्कीम को बढ़ाना चाहती है. इससे इस वित्त वर्ष में 12 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. अंतरिम बजट में सरकार ने इस योजना के लिए 75 हजार करोड़ का बजट तय किया था.