Salary Increment: सैलरीड क्‍लास कर्मचारियों को अप्रैल महीने का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है. कंपनियां आमतौर पर इस महीने में अपने इम्‍प्‍लॉइज का सैलरी इंक्रीमेंट करती हैं. यानी, इस महीने आपकी सैलरी बढ़कर आने वाली है. बढ़ी हुई सैलरी का ज्‍यादातर लोग इस्‍तेमाल अपनी जरूरत की चीजों पर खर्च करते हैं. वहीं, कई इम्‍प्‍लॉई इंक्रीमेंट के पैसे को निवेश करने की प्‍लानिंग करते हैं. म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) आज के समय में निवेश का एक तेजी से उभरता ऑपशन है. मार्च में लगातार 13वें महीने इक्विटी फंड्स में निवेश बढ़ा है. अगर आप भी सैलरी इंक्रीमेंट के पैसे के निवेश का प्‍लान कर रहे हैं, तो एक्‍सपर्ट से समझते हैं कि कब-कहां आपको पैसे लगाने चाहिए. 

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सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्‍लानर (प्रो.) तारेश भाटिया का कहना है, इंक्रीमेंट अमाउंट को निवेश की प्‍लानिंग शुरू में ही बनानी चाहिए. अभी मार्केट में काफी उतार-चढ़ाव है. ऐसे में आप म्‍यूचुअल फंड की एक कैटेगरी हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Funds) में निवेश कर सकते हैं. हाइब्रिड स्‍कीम्‍स की खासियत यह है कि इनमें प्‍योर इक्विटी फंड्स के मुकाबले रिस्‍क कम रहता है और रिटर्न बेहतर मिलता है. इन स्‍कीम्‍स में निवेशकों का पैसा इक्विटी और डेट दोनों तरह के एसेट में जाता है. मार्केट में अप-डाउन के हिसाब से फंड मैनेजर यह तय कर लेता है कि कितना इक्विटी में जाना है और कितना डेट में जाना है. 

भाटिया कहते हैं, हाइब्रिड कैटेगरी में कई तरह के फंड जैसेकि बैलेंस्‍ड एडवांटेज फंड है. मौजूदा समय में इसमें अगले 1-2 साल के लिए पैसा लगा सकते हैं. जब आपको समझ में आ जाए कि निवेश गोल के हिसाब से होना चाहिए, अब आप उसके मुताबिक अपने निवेश को अलाइन कर लीजिए. जब आपका इन्‍वेस्‍टमेंट गोल 5 साल, 8 साल या उससे भी ज्‍यादा है या रिटायरमेंट गोल है. साथ ही आप हाई रिस्‍क ले सकते हैं, तो आप अपने फंड को 1 साल बाद बैलेंस्‍ड कैटेगरी से निकालकर हाई रिस्‍क इक्विटी फंड में डाल सकते हैं.

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क्‍या होता है हाइब्रिड म्‍यूचुअल फंड? 

 

हाइब्रिड फंड्स एक तरह से म्‍यूचुअल फंड या ETF का एक क्‍लासिफिकेशन है. जो अलग-अलग तरह के एसेट्स या एसेट क्‍लास में निवेश करते हैं, जिससे कि पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइ किया जा सके. इसका मतलब कि हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Funds) एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करते हैं. इनमें इक्विटी और डेट एसेट शामिल हैं. 

कई बार ये स्कीम्‍स गोल्‍ड में भी पैसा लगाती हैं. यानी, एक ही प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और सोने में पैसा लगाने का मौका मिलता है. इस तरह से इनका निवेश काफी डायवर्सिफाइड होता है. इसका फायदा यह है कि अगर इक्विटी में रिटर्न बिगड़ता है, तो डेट या गोल्‍ड का रिटर्न ओवरआल रिटर्न बैलेंस कर सकता है. उसी तरह से डेट या सोने में रिटर्न कमजोर पड़े तो इक्विटी का रिटर्न इसे बैलेंस कर देता है. 

 

(डिस्‍क्‍लेमर: यहां निवेश संबंधी सलाह एक्‍सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. म्‍यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है. इसलिए निवेश से पहले एडवाइजर से परामर्श कर लें.)