ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न भरने का टाइम चल रहा है. आपने भी अभी तक ITR नहीं भरा है तो आपको भी जल्द ही भरना होगा और इसके लिए आपको जरूरत पड़ेगी ITR से जुड़े डॉक्यूमेंट्स की ITR फाइल करने के लिए आपको कुछ डॉक्यूमेंट्स की जरूरत तो पड़ती है, आगे पढ़ें ये कौन से डॉक्यूमेंट्स हैं और आपको इनकी क्यों जरूरत पड़ती है. आईटीआर डॉक्यूमेंट्स अलग-अलग टैक्सपेयर के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं, क्योंकि आपकी इनकम और इन्वेस्टमेंट वगैरह अलग-अलग होंगी. इन डॉक्यूमेंट्स को 3 पार्ट्स में बांट सकते हैं- इनकम एंड इन्वेस्टमेंट प्रूफ, टैक्स स्टेटमेंट और आखिर में पर्सनल डीटेल्स.

पर्सनल डीटेल्स

सबसे पहले पैन और आधार कार्ड

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पैन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से इशू किया जाने वाला इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट है, और ये आपके बैंक अकाउंट से लिंक होना चाहिए. हालांकि, अब आप आधार कार्ड से भी आईटीआर फाइल कर सकते हैं, लेकिन आपके पैन और आधार लिंक होने चाहिए. IT Act का Section 139AA कहता है कि टैक्सपेयर आईटीआर फाइलिंग के वक्त अपना आधार नंबर भी देगा.

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बैंक अकाउंट डीटेल्स और बैंक स्टेटमेंट/पासबुक

आपको आईटीआर आपके सभी बैंक अकाउंट की डीटेल्स देनी होगी. बैंक नेम, अकाउंट नंबर, IFSC और आपके कितने अकाउंट हैं, ये सब बताना होगा. ये भी बताना होगा कि टैक्स रिफंड आपको किस अकाउंट में चाहिए.  साथ ही आपको बैंक स्टेटमेंट या पासबुक की कॉपी देनी होगी, ताकि ये चेक किया जा सके कि एक फाइनेंशियल ईयर में आपने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज से कितनी कमाई की है.

टैक्स स्टेटमेंट

Form 16

अब बात फॉर्म 16 की. सैलरीड इंप्लॉईज़ को स्पेशली इसका इंतजार होता है. इनके केस में ये इंप्लॉयर जारी करता है, जिसमें आपकी सैलरी और TDS डिडक्शन की डीटेल होती है. इसमें दो पार्ट होते हैं- ए और बी, पार्ट ए में कितना टैक्स कटा है, इंप्लॉयर का पैन और टैन क्या है, ये बताते हैं. पार्ट बी में ग्रोस सैलरी ब्रेकअप, एक्जेम्पशन वगैरह की डीटेल होती है.

Form-16A/Form-16B/Form-16C

सैलरी, इंटरेस्ट वगैरह की जानकारी फॉर्म 16ए में होती है. वहीं, अगर आप कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो आपका बायर आपको फॉर्म 16बी देता है. फॉर्म 16सी में रेंट पर टीडीएस डिडक्शन की डीटेल होती है.

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Form 26AS और AIS (Annual Information Statement)

फॉर्म 26एएस टैक्स पासबुक जैसा होता है. इसमें आपने जितना भी टैक्स जमा किया है, उसकी डीटेल होती है. अगर टीडीएस कटा है तो इसमें रिफ्लेक्ट होगा, अगर रिफंड लेना है तो आपको जरूर ये देखना चाहिए कि इस फॉर्म में सारी डीटेल्स सही हों. इसी तरह एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट भी आपके टैक्स की कुंडली होता है, इसमें भी आपको टैक्स डिडक्शन, लायबिलिटी से लेकर आपकी हर जानकारी डिस्प्ले होती है.

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इनकम एंड इन्वेस्टमेंट प्रूफ

आपको आईटीआर फाइलिंग के वक्त बताना होता है कि आपकी एक फाइनेंशियल ईयर में कितनी इनकम रही है और आपने कहां-कहां इन्वेस्ट किया है. 

  • इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C में कवर होने वाले टैक्स सेविंग टूल्स जैसे- एफडी, ईएलएसएस वगैरह में निवेश किया है तो इनसे रिलेटेड डॉक्यूमेंट्स रेडी रखें.
  • अगर आपने होम लोन ले रखा है तो यहां भी टैक्स छूट मिलती है. आप प्रिंसिपल अमाउंट पर जो ब्याज भरते हैं, उसपर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं और इसके लिए आपको होम लोन स्टेटमेंट दिखाना होता है. 
  • अगर आपकी किराये से इनकम आती है, तो इसे डिस्क्लोज़ करना होगा. अगर आप किराये पर रहते हैं तो अपने लैंडलॉर्ड से बिल की रसीद लेकर जरूर लगाएं, इससे आप टैक्स बचा सकते हैं. ये पेपर्स आपको अटैच नहीं करने होते, लेकिन इसे सेफ रखिए, जस्ट इन केस.
  • इसके अलावा, अगर आपने शेयर, सिक्योरिटी या प्रॉपर्टी बेचकर पैसे कमाएं हैं, तो भी इसे डिस्क्लोज़ करना चाहिए और इसके लिए आपको ब्रोकर स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी सेल डीड वगैरह देनी पड़ सकती है. डिविडेंड से कमाई हुई है तो इसे आप डीमैट अकाउंट स्टेटमेंट के जरिए शो कर सकते हैं.

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