Income Tax Return 2023: अप्रैल शुरू हो गया है और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing) करने का टाइम शुरू हो गया है. अगर आप भी टैक्सपेयर हैं तो आपको इनकम और टैक्स अससेमेंट करना शुरू कर देना चाहिए. हालांकि टैक्स फाइलिंग का सीजन शुरू ही हुआ है, ऐसे में आपके पास अभी बहुत टाइम है, लेकिन आप जितनी जल्दी टैक्स फाइलिंग का काम निपटा लें उतना अच्छा होता है क्योंकि भारत में टैक्स रिटर्न फाइल करने में थोड़ी तैयारी की जरूरत होती है. आपको इसके लिए कई तरीके के डॉक्यूमेंट्स (documents required for ITR filing) दिखाने होते हैं, कई तरह के प्रूफ कलेक्ट करने होते हैं- जैसे कि सैलरी या इनकम डीटेल, बैंक स्टेटमेंट, प्रीवियस टैक्स स्टेटमेंट वगैरह. साथ ही सैलरीड और बिजनेस पर्सन के लिए कुछ नियम भी अलग-अलग हो जाते हैं, ऐसे में आपको ये पता होना चाहिए कि जब आप आईटीआर फाइल करने जाएंगे तो आपको किन-किन चीजों की जरूरत पड़ेगी. हम आपको यहां इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं.

पैन कार्ड (PAN Card for Income Tax Return)

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पैन कार्ड आपका सबसे अहम आईडी प्रूफ और दस्तावेजों में शामिल है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए आपको सबसे पहले इसकी जरूरत पड़ती है. पैन सरकार की ओर से जारी किया गया एक आईडी कार्ड है, जिसमें 10 डिजिट का अल्फान्यूमेरिक कोड होता है, जो आपका परमानेंट अकाउंट नंबर होता है. TDS (tax deducted at source) डिडक्शन के लिए इसकी जरूरत पड़ती है और आपको अगर टैक्स रिफंड चाहिए तो भी इसका आपके बैंक अकाउंट से लिंक होना जरूरी है.

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आधार कार्ड (Aadhaar Card for ITR Filing)

आधार कार्ड भी आपका यूनीक आईडी प्रूफ है, जिसमें आपकी डेमोग्राफिक और बायोमीट्रिक डीटेल होती हैं. इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139AA के टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करते हुए आधार डीटेल्स देनी होंगी. अगर आधार नहीं है (जोकि शायद ही नहीं होगा) तो आपको आधार के लिए अप्लाई करके उसकी एनरोलमेंट आईडी देनी होगी. आपका आधार और पैन आपस में लिंक होना चाहिए, इसके लिए आखिरी तारीख 30 जून, 2023 रखी गई है.

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सैलरी स्लिप

अगर आप सैलरीड इंप्लॉई हैं तो आपको अपनी मंथली वाइज़ सैलरी स्लिप देनी होती है.

बैंक अकाउंट डीटेल

आपको आईटीआर में अपने एक्टिव बैंक अकाउंट की डीटेल देनी होती है. इसके लिए आपका बैंक में नाम, अकाउंट नंबर, IFSC, अकाउंट टाइम और कितने अकाउंट हैं, इसकी जानकारी देनी होती है. इनका इस्तेमाल आपकी इनकम डीटेल को वैलिडेट करने के लिए किया जाता है. साथ ही देखा जाता है कि आप कितने हाई वॉल्यूम ट्रांजैक्शन करते हैं. आपके ये भी बताना होता कि अगर रिफंड प्रोसेस होगा तो किस अकाउंट में पैसे जाने होंगे.

बैंक पासबुक/स्टेटमेंट

आपको अपने बैंक अकाउंट का पासबुक या स्टेटमेंट भी देना होता है. इससे ये पता चलता है कि आपको आपके सेविंग्स अकाउंट पर कितना इंटरेस्ट मिलता है, या एफडी पर आपको कितना रिटर्न मिलता है, वगैरह-वगैरह.

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इन्वेस्टमेंट प्रूफ

आपके पास निवेश के ऊपर टैक्स बचाने की सुविधा होती है. ऐसे में आपको इन्वेस्टमेंट प्रूफ देना होता है कि आप कहां-कहां कितना निवेश करते हैं, ताकि जब आप टैक्स छूट क्लेम करें तो इसे वेरिफाइ किया जा सके. आप इंश्योरेंस प्रीमियम, पीपीएफ, एफडी, होम लोन रिपेमेंट, डोनेशन रसीद, ट्यूशन फीस, म्यूचुअल फंड, एजुकेशन लोन सहित कई अन्य निवेश और खर्चों पर छूट पा सकते हैं. हालांकि, ये छूट ओल्ड टैक्स रिजीम में ही अवेलेबल हैं. 

Form 26AS

यह फॉर्म आपका एनुअल टैक्स स्टेटमेंट होता है, जिसमें आपके पैन के ऊपर भरा हुआ टैक्स और डिडक्ट किए गए टैक्स की पूरी जानकारी होती है. ये तरीके से आपका टैक्स पासबुक होता है.

दूसरे स्रोतों से होने वाली आय (Income from other sources)

इन्वेस्टमेंट प्रूफ के साथ-साथ आपको ये भी दिखाना होता है कि आपकी इंटरेस्ट के जरिए कितनी कमाई हो रही है. साथ ही अगर आप मकान किराए पर देकर कमाई करते हैं तो आपको इसे भी दिखाना होगा. अगर आप रेंट भरते हैं तो आपको रेंट रिसीट भी देनी चाहिए. अगर आपने शेयर बाजार में निवेश कर रखा है और डिविडेंड से कमाई हुई है तो आप वो भी दिखाएंगे. अनलिस्टेड शेयरों में निवेश को भी डिस्क्लोज करना होता है और ऐसे मामलों में आपको ITR-2 फाइल करना होता है. बिजनेस करते हैं तो आपको बैलेंस शीट, ऑडिट रिकॉर्ड, एडवांस टैक्स, टीडीएस सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट्स देने होंगे.

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होम लोन स्टेटमेंट

अगर आपने होम लोन ले रखा है और लोन भर रहे हैं तो आप इंटरेस्ट रेट पर टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपना लोन स्टेटमेंट भी देना होता है.

कैपिटल गेन

आपको प्रॉपर्टी बेचने, शेयर और सिक्योरिटी में निवेश वगैरह पर कैपिटल गेन टैक्स भरना होता है, इसके लिए आपको प्रॉपर्टी सेल डीड, ब्रोकर स्टेटमेंट वगैरह देना होता है.

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