माल एवं सेवा कर (GST) के आसूचना अधिकारियों ने चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.36 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है. वित्त मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कर चोरी से निपटने के लिए जीएसटी आसूचना महानिदेशालय (DGGI) देश भर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग करने के अलावा डेटा विश्लेषण के लिए उन्नत उपकरणों के माध्यम से विशेष रूप से कर चोरी के नए तरीकों की खुफिया जानकारी पता करता है.

1,040 फर्जी ITC मामलों का पता चला

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जीएसटी अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग एक लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया था. चालू वित्त वर्ष के छह महीनों के अंदर ही कर चोरी ने पिछले समूचे वित्त वर्ष का आंकड़ा पार कर लिया है. मंत्रालय ने कहा, “कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2023-24 में कुल जीएसटी चोरी (नकली आईटीसी सहित) के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये का पता चला है. इसके एवज में 14,108 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक भुगतान किया गया है.” वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने चालू वित्तवर्ष (2023-24) में अब तक 14,000 करोड़ रुपये के कुल 1,040 फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट मामलों का पता लगाया है. अब तक फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने वाले 91 धोखेबाजों को पकड़ा जा चुका है.

DGGI लगातार चला रहा है मुहिम

बयान में बताया गया है कि जीएसटी चोरी के खतरे से निपटने के लिए डीजीजीआई देशभर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग करने के अलावा डेटा विश्‍लेषण के लिए उन्नत उपकरणों के माध्यम से, विशेष रूप से कर चोरी के नए क्षेत्रों में खुफिया जानकारी विकसित करता है. कुल मिलाकर 2023-24 में समग्र जीएसटी चोरी (फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट सहित) और रुपये के स्वैच्छिक भुगतान के रूप में 1.36 लाख करोड़ रुपये का पता चला है. परिणामस्वरूप 14,108 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है.

जून 2023 से डीजीजीआई ने देशभर में सक्रिय मास्टरमाइंडों और विघटनकारी सिंडिकेट्स की पहचान करने और उन्हें पकड़ने पर विशेष जोर दिया है. बयान में कहा गया है कि उन्नत तकनीकी उपकरणों की सहायता से डेटा विश्‍लेषण का उपयोग करके मामलों को सुलझाया गया है, जिससे कर चोरों की गिरफ्तारी हुई है.

कैसे चलता है फ्रॉड?

ये टैक्स सिंडिकेट अक्सर भोले-भाले व्यक्तियों का उपयोग करते हैं और उन्हें नौकरी/कमीशन/बैंक ऋण आदि का प्रलोभन देकर उनके केवाईसी दस्तावेज़ निकालते हैं, जिनका उपयोग उनकी जानकारी और सहमति के बिना नकली/शेल फर्म/कंपनियां बनाने के लिए किया जाता था. बयान में कहा गया है कि कुछ मामलों में केवाईसी का इस्तेमाल संबंधित व्यक्ति की जानकारी में उन्हें छोटे आर्थिक लाभ देकर किया जाता था.

(एजेंसियों से इनपुट)

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें