बाजार में उतार-चढ़ाव का सिलसिला लगातार जारी है. पिछले कुछ वक्त से बाजार की चाल बिगड़ी हुई है. बाजार की इस चाल का सबसे ज्यादा असर इक्विटी म्यूचुअल फंड पर पड़ा है. इक्विटी म्यूचुअल फंड में रिटर्न कम हुआ है. ऐसे में कई निवेशक इस फंड में निवेश बंद कर डेट फंड्स की तरफ बढ़ रहे हैं. ऐसे में ये सवाल उठ रहा है कि क्या इक्विटी में निवेश करना सही होगा, क्या अभी भी इक्विटी निवेश के लिए राइट च्वॉइस है, क्या निवेश की स्ट्रैटजी बदलने से फायदा होगा?

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म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट प्रकाश रंजन सिन्हा के मुताबिक, बाजार के रिएक्शन से इस समय निवेशक परेशान हैं. विकसित देशों की अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हुई है और भारत पर भी इसका असर पड़ रहा है. पिछले 2 साल से इक्विटी फंड्स से रिटर्न भी अच्छा नहीं मिल रहा है. बाजार में गिरावट का ये दौर कब तक बना रहेगा, कोई नहीं जानता. 

प्रकाश रंजन सिन्हा कहते हैं कि बाजार में उतार-चढ़ाव का ये दौर कुछ वक्त के लिए ही रहता है. इसलिए इस उतार-चढ़ाव में घबराने की जरूरत नहीं है.

निवेशकों का नुकसान

निवेश में दो तरह का नुकसान होता है, एक नोशनल तो दूसरा रियल लॉस. नोशनल लॉस सिर्फ पेपर पर होता है. अगर आप नोशनल लॉस देखकर अपने स्टॉक को बेचते हैं तो यह नोशनल लॉस रियल यानी हकीकत के नुकसान में बदल जाता है. इसलिए गिरावट देखकर इक्विटी में निवेश न रोकें. क्योंकि, बाजार में गिरावट हमेशा के लिए नहीं होती है.

इक्विटी से डेट में जा रहे निवेशक

बाजार की इस हलचल से निवेशकों को इक्विटी से बेहतर रिटर्न नहीं मिल रहा है. इसलिए सुरक्षित निवेश के लिए कई निवेशक डेट की तरफ बढ़ रहे हैं. डेट फंड्स इक्विटी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं. और बाजार में उतार-चढ़ाव में डेट फंड्स एक बेहतर विकल्प होते हैं. 

 

इक्विटी से एग्जिट, डेट में एंट्री

अगर आपको छोटे से मिडिल टाइम में पैसों की जरूरत है तो इक्विटी से डेट में जाना सही रहता है. बाजार में उतार-चढ़ाव के चलते शिफ्ट कर रहे हैं तो पहले एक बार सोच-विचार कर लें.

 

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जोखिम को मैनेज करने के दो तरीके हैं स्ट्रैटजिक और चतुराई. स्ट्रैटजिक तरीके में आप पोर्टफोलियो को देखते हैं. छोटी, मध्य और लंबी अवधि में नकदी की जरूरत देखते हैं. और इकोनॉमिक-मार्केट आउटलुक देखकर चतुराई करते हैं. जब हालात बेहतर तो डेट से इक्विटी में शिफ्ट करते हैं. जब हालात खिलाफ तो इक्विटी से डेट में निवेश करते हैं.

बाजार का कैसा रहेगा हाल

छोटी अवधि में निवेश हमेशा जोखिम भरा रहा है. लंबी अवधि में बाजार में निवेश से बेहतर रिटर्न मिलता है. छोटी अवधि में निवेश बंद करने की बजाय सतर्क रहना सही माना जाता है. गिरावट देखकर निवेश बंद करना खुद का नुकसान करना है. लंबी अवधि में निवेश से अच्छा रिटर्न मिलता है लेकिन इसके लिए संयम रखना होगा.

लॉन्ग टर्म के लिए यह स्ट्रैटजी

लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक ही स्ट्रैटजी है कि वे संयम रखें और म्यूचुअल फंड में निवेश जारी रखें. बाजार में गिरावट निवेश करने का एक शानदार मौका है. सेंसेक्स 21000 से 8000 के स्तर तक गिरा है. इस गिरावट के बाद सेंसेक्स ने फिर तेजी भरी और 36000 का स्तर छुआ. बाजार की रिटर्न हिस्ट्री देखें तो लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिला है.

कम जोखिम के लिए क्या स्ट्रैटजी

जोखिम का मतलब जो आपने बाजार से चाहा था, वह नहीं मिला है. अपने फंड्स से हमेशा वास्तविक रिटर्न की उम्मीद रखें. ऐसे में छोटी अवधि के लक्ष्यों के लिए डेट में निवेश बेहतर होता है. लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए इक्विटी अच्छा विकल्प है. लंबी अवधि के लक्ष्यों के करीब पहुंचते ही डेट में शिफ्ट करें.