GST Act Change news: आप जो जीएसटी अदा करते हैं, उससे जु़ड़े कानून में बदलाव की तैयारी है. इसका मकसद जीएसटी नेटवर्क डेटा का बेहतर इस्तेमाल करना है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सरकार जीएसटी एक्ट में बदलाव को लेकर एक संसदीय समिति की सिफारिश को मान गई है. सरकार वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) कानून और यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) जैसे पब्लिक प्लेटफॉर्म में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही है. इससे कंपनियों को आकार विस्तार मदद मिलेगी.

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यूपीआई और आधार जैसे सार्वजनिक मंच बेहद अहम

खबर के मुताबिक, संसद की वित्त पर स्थायी समिति के प्रमुख जयंत सिन्हा ने गुरुवार को उद्योग मंडल एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि यूपीआई और आधार जैसे सार्वजनिक मंच बेहद अहम हैं. इसके बावजूद ऐसे प्लेटफॉर्म के लिए अभी काफी कुछ करना बाकी है. उन्होंने कहा कि जब फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक को स्थायी समिति के पास लाया गया तो सरकार ‘फैक्टरिंग’ को ज्यादा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए खोलने और उन्हें इसमें भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहन देना चाह रही थी.

दिया यह सुझाव

सिन्हा ने कहा कि लेकिन ऐसा करते समय भी हम कुछ अहम प्लेटफॉर्म और डेटा से जुड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहे थे. इसी वजह से हमने सुझाव दिया कि जीएसटी वाली किसी भी चीज को अपने-आप ट्रेड्स (ट्रेड रिसिएवल डिस्काउंटिंग सिस्टम) प्लेटफॉर्म को भी भेजा जाना चाहिए. इसका इस्तेमाल हासिल होने वाली राशियों के फाइनेंस के लिए किया जा सकता है.

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बदलाव को कानूनी रूप देना होगा

संसदीय समिति ने सरकार को इस बारे में जो सुझाव दिया था उसे स्वीकार कर लिया गया है. हालांकि इस बारे में किए जाने वाले किसी बदलाव को कानूनी रूप देना होगा क्योंकि जीएसटी नेटवर्क के डेटा का इस्तेमाल किसी भी दूसरे मकसद के लिए करने पर रोक है. ऐसी स्थिति में केंद्रीय जीएसटी अधिनियम के अलावा राज्य जीएसटी अधिनियमों में भी संशोधन (GST Act Change) करने होंगे. ऐसा इसलिए ताकि जीएसटी नेटवर्क की रसीदें अपने-आप ही ट्रेड्स या दूसरे प्लेटफॉर्म पर चली जाएं. ट्रेड्स मंच छोटी और मझोली इकाइयों को कॉर्पोरेट खरीद से जुड़ी रसीदों पर रियायत देने की सुविधा देता है.