लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक कुंभ मेले में हजारों करोड़ रुपये का खर्च हर बार होता है. लेकिन इस बार प्रयागराज में होने वाला कुंभ खर्च के मामले में पिछले कुंभ मेले से थोड़ा अलग है. बताया जा रहा है कि इस बार मेले में सबसे अधिक खर्च किया गया है. सरकार ने इसके लिए 4200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. यह राशि अब तक की सबसे बड़ी राशि है. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि वर्ष 2013 के महाकुंभ में उत्तर प्रदेश सरकार ने महज 1300 करोड़ रुपये खर्च किए थे और इस साल चल रहे कुंभ में 4200 करोड़ रुपये का आवंटन किया, जो तीन गुना से अधिक है.

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दोगुना क्षेत्र में हो रहा कुंभ

उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल का कहना है कि कुछ विभागों ने भी चल रहे कुंभ के लिए आवंटन किया है. इस बार कुंभ मेला का क्षेत्र पिछले सालों के मुकाबले दोगुना है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, प्रयागराज का कुंभ मेला इस बार 3,200 हेक्टेयर में फैला है. पहले यह मात्र 1,600 हेक्टेयर में लगता रहा है. अग्रवाल ने कहा कि यहां आने वाले लाखों-करोड़ों लोगों के लिए सुविधाओं का इंतजाम करना बहुत मुश्किल और चुनौती भरा काम है.

ये है कुंभ में खास सुविधाएं

प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए 12000 पुलिसकर्मी, 8000 होमगार्ड, पीएसी की 20 कंपनी, सीपी एमएफ की 34 कंपनियां तैनात हैं. स्वास्थ्य देखभाल के लिए 2132 मेडिकल और पारा मेडिकल स्टाफ तैनात हैं. 100 बेड का सेंट्रल अस्पताल है जिसमें सारी सुविधाएं मौजूद हैं. 5.63 लाख वाहनों की क्षमता वाली पार्किंग सुविधा दी गई है. पार्किंग 1200 हेक्टेयर में है. लोगों की आवाजाही के लिए 22 पीपे का पुल बनाया गया है. मेला कैम्पस में सड़कों की कुल लंबाई 247 किलोमीटर है. राज्य पथ परिवहन की 5000 बसें राज्यभर से प्रयागराज के लिए अपनी सेवाएं दे रही हैं. 

 

इस तारीख को पवित्र स्नान

प्रयागराज के कुंभ में इस बार पवित्र स्नान के छह दिन होंगे. इनमें से मकर संक्रांति का पहला मौका खत्म हो चुका है. अब 21 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 4 फरवरी को मौनी अमावस्या, 10 फरवरी को वसंत पंचमी, 19 फरवरी को माघ पूर्णिमा और 4 मार्च को महाशिवरात्रि पर पवित्र स्नान होंगे. माना जा रहा है करोड़ों लोग इस पवित्र स्नान में हिस्सा लेंगे. यह दुनिया में लोगों की संख्या के आधार पर सबसे बड़ा आयोजन है. 4 मार्च तक चलने वाले इस मेले में करीब 10 करोड़ लोगों के पहुंचने की संभावना जताई गई है. अर्द्ध कुंभ का आयोजन हर छह साल पर होता है. पूर्ण कुंभ 12 साल बाद लगता है.