Hydro Power Projects: रिन्युएबल एनर्जी सोर्स (Renewable Energy Sources) से बिजली की जरूरत पूरी करने की सरकार की प्रतिबद्धता को हासिल करने की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए विद्युत मंत्रालय ने नई पनबिजली परियोजनाओं (Hydro Projects) से उत्पादित इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन पर इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) चार्जेज से छूट देने का फैसला किया है. इनके चालू होने की तिथि से 18 साल की छूट देने की घोषणा की गयी है. 

ग्रीन एनर्जी सोर्स से 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य

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यह छूट सोलर और विंड पावर प्रोजेक्ट्स के लिए पहले से ही उपलब्ध है. सरकार ने 2030 तक ग्रीन एनर्जी सोर्स से 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता पैदा करने का लक्ष्य रखा है. हाइड्रो पावर (Hydrp Power) के गुणों को स्वीकारते हुए भारत सरकार ने मार्च, 2019 में हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को बिजली का रिन्युएबल सोर्स घोषित किया था.  हालांकि, सोलर और विंड प्रोजेक्ट्स को प्रदान किए गए इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम शुल्क की छूट का दायरा हाइड्रो प्रोजेक्ट्स तक नहीं बढ़ाया गया था.

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इसमें वे परियोजनाएं आएंगी, जिनका निर्माण कार्य का आवंटन किया जा चुका है और बिजली खरीद समझौते पर 30 जून, 2025 तक हस्ताक्षर किये जाएंगे. उन परियोजनाओं के मामले में जहां निर्माण कार्य आवंटित किये जा चुके हैं और बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर 30 जून, 2025 के बाद होंगे, वहीं पारेषण को लेकर ISTS चार्ज लगेगा.

इस कदम से हाइ़ड्रो प्रोजेक्ट्स को गति मिलने की उम्मीद

मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से हाइ़ड्रो प्रोजेक्ट्स को गति मिलने की उम्मीद है. ये परियोजनाएं देश की जल सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करेगी और साथ हाइड्रो पावर क्षमता वाले उत्तर पूर्वी राज्यों, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में विकास को बढ़ावा देगी.

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