वित्त मंत्रालय के तीन मई के एक नोटिफिकेशन में एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून का दायरा बढ़ा दिया गया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी PMLA नोटिफिकेशन के मुताबिक CA, CS, ICWA अगर किसी क्लाइंट के लिए चुनिंदा वित्तीय सौदे करते हैं तो वो प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कानून के दायरे में आएंगे. सबसे अहम है कंपनियां, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप या ट्रस्ट बनाने, खोलने, चलाने पर ये प्रोफेशनल्स PMLA के दायरे में आएंगे. 

PMLA के दायरे में आएंगी  अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री  

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नोटिफिकेशन के मुताबिक क्लाइंट के लिए अचल संपत्तियों की खरीद-बिक्री, क्लाइंट के धन, संपत्ति और सिक्योरिटीज का देखभाल करने पर भी PMLA कानून लागू होगा. बैंक और सिक्योरिटीज के खातों का संचालन, कंपनियों के कामकाज के लिए पैसे जुटाने पर भी PMLA के दायरे में आएंगे. हालांकि संशोधन में वकीलों को इससे बाहर रखा गया है. अपने क्लाइंट्स के लिए कंपनियां खोलने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रेटरीज और कॉस्ट अकाउंटेंट की चिंता बढ़ गई है. ये अब एंटी मनी लॉन्डरिंग कानून PMLA के दायरे में आएंगे.

शेल कंपनियों से सरकार चितिंत

सरकार  शेल कंपनियों के बढ़ते कामकाज से चिंतित है.बिना किसी कामकाज के हजारों की संख्या में खुली कंपनियों का मकसद काले धन को सफेद करना होता है. ऐसी कंपनियों में ओनरिशप की मल्टीलेयरिंग होने से असली मालिक तक पहुंचने में एजेंसियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. हाल के कुछ वर्षों में जांच एजेंसियों की कार्रवाई में कई मामलों में इस तरह के प्रोफेशनल्स की भूमिका सामने आई थी। जिसके बाद सरकार ने ये कदम उठाया है. 

वित्तीय स्थिति और ओनरशिप की सही जानकारी

CA, CS, ICWA को अपने क्लाइंट के सौदों से पहले उनकी वित्तीय स्थिति और ओनरशिप की सही जानकारी पता करना होगा. जैसे कि फंड का सोर्स क्या है और वाजिब है या नहीं. सौदे का मकसद क्या है. अगर जानबूझकर किसी अवैध स्रोत वाले फंड से हुए सौदे को अनदेखा करने पर फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट पेनाल्टी भी लगा सकती है. क्लाइंट के लिए किए गए सभी सौदों का रिकॉर्ड रखना होगा. साथ ही इसकी रिपोर्टिंग फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर को भी करना होगा.  

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ये है प्रोफेशनल्स की चिंता 

प्रोफेश्नल्स की चिंता ये है कि एजेंसियों का PMLA कानून में दोष साबित करने का रिकॉर्ड बहुत कमजोर रहा है. ऐसे में जांच एजेंसियों के चक्कर में फंसने पर उनके लिए राह कठिन हो सकती है. दलील ये भी है कि तीनों प्रोफेश्नल्स के लिए पहले से ही संसद से पास किये हुए कानून के तहत बनी संस्था है. जो कामकाज पर निगरानी रखती है. ऐसे में PMLA कानून के दायरे में लाने की जरूरत क्यों पड़ी.