सरकारी खरीद एजेंसी के अबतक मंडी न पहुंचने की वजह से किसानों को कपास (Cotton) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव पर बेचना पड़ रहा है. उत्तर भारत की मंडियों में कपास की आवक लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन एजेंसियां अब तक अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं करा सकी हैं. IANS की खबर के मुताबिक, हरियाणा के मंडी डबवाली के किसान जसबीर सिंह भट्टी ने बताया कि भारतीय कपास निगम (CCI) की खरीद शुरू होने की उम्मीद में भाव में तेजी आई थी, लेकिन खरीद शुरू नहीं होने से फिर नरमी आ गई है.

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भट्टी ने बताया कि डबवाली और सिरसा में कपास का भाव 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है. जबकि केंद्र सरकार ने चालू सीजन के लिए लंबा रेशा कपास का एमएसपी 5,825 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. भट्टी ने किसानों को मजबूरी में एमएसपी से 1,000 रुपये प्रतिक्विंटल कम भाव कपास बेचना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें मजदूरों की मजदूरी से लेकर बैंकों का लोन चुकाना है और अगली फसल की बुवाई के लिए भी पैसों की जरूरत है.

हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि कपास ही नहीं, मक्का और धान भी मंडियों में एमएसपी से नीचे के भाव बिक रहा है. हालांकि पंजाब और हरियाणा में एमएसपी पर धान की खरीद 26 सितंबर को ही शुरू हो चुकी है और सरकार की ओर से रोज इसके आंकड़े जारी किए जा रहे हैं.

केंद्र सरकार की अनाउंसमेंट के मुताबिक, चालू कपास सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में कपास की खरीद की मंजूरी 1 अक्टूबर से दी जा चुकी है. जबकि जरबीर सिंह कहते हैं कि कपास की खरीद सिर्फ कागजों में शुरू हुई है, जबकि खरीद एजेंसी अभी मंडी नहीं पहुंची है.

हालांकि सूत्र बताते हैं कि कपास की जो अभी फसल मंडियों में आ रही है, उसमें नमी ज्यादा है जबकि सीसीआई आठ से 12 प्रतिशत तक ही नमी वाले कपास की खरीद करता है. बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर भारत की मंडियों में बीते सप्ताह कपास का भाव 4,900-5,150 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया था. सूत्र बताते हैं कि पंजाब में सीसीआई कपास की खरीद सोमवार से शुरू कर सकती है.

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कॉटन बाजार के जानकार गिरीश काबरा ने बताया कि भारतीय कॉटन यानी रूई की इस समय दुनिया के मार्केट में जबरदस्त डिमांड है और चालू सीजन में एक्सपोर्ट डिमांड तेज रहने की उम्मीद है, जिससे कॉटन की कीमतों में मजबूती रहेगी. उन्होंने कहा कि कॉटन के दाम में मजबूती रहने से किसानों को आने वाले दिनों में उनकी फसल का अच्छा भाव मिल सकता है.