योग हिन्‍दुस्तान की मिट्टी से जुड़ी साधना है. योग हिन्‍दुस्तान की विरासत है. इसी विरासत को दुनियाभर में फैलाने में चाहे भारत सरकार हो या फिर भारत के लोग, हर कोई भरसक कोशिश कर रहा है. 5वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए भारत में सभी तैयारियां हो चुकी हैं. इस बार योग दिवस का मुख्य कार्यक्रम रांची में होगा. रांची के तारा मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम लोगों के साथ योग करेंगे. रांची में भव्य योग कार्यक्रम की सारी तैयारियां हो चुकी हैं. BJP के दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली में योग दिवस पर करीब 300 से ज्यादा कार्यक्रम करवाने की बात कही है. 

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उधर, योग दिवस की जबरदस्त तैयारियों के बीच योग गुरु बाबा रामदेव ने इस साल योग के कई बड़े रिकॉर्ड बनने की बात कही. हर साल योग दिवस पर एक थीम रखी जाती है. इस साल की थीम 'योग फॉर क्लाइमेट चेंज' रखी गई है.

योग कार्यक्रम का विरोध

ये बात शीशे से तरह साफ है कि योग जाति, धर्म सब से परे है. लेकिन योग की इस राह में सियासत के कई रोग हैं. पूरी दुनिया में योग को स्वीकार्यता मिल चुकी है लेकिन देश में अब भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विरोध हो रहा है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ ने योग दिवस का विरोध करने का फैसला लिया है. हालांकि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आधिकारिक बयान के अनुसार वहां पर योग दिवस की सारी तैयारियां हो चुकी है.

सियासत क्‍यों

यूनिवर्सिटी छात्रसंघ का कहना है कि योग 1 विशेष मजहब को सभी पर थोपने की कोशिश है. योग को मजहब के साथ जोड़ लेने की यही दिक्कत योग की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. सवाल यह है कि भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने का माद्दा रखने वाला योग भारत में ही राजनीति का शिकार क्यों हो जाता है. आखिर क्यों योग को धर्म से बार-बार जोड़कर विवाद पैदा किया जाता है. योग के नाम पर सियासी रोटी सेंकने वाले आखिर कब बाज आएंगे और मजहब जातियों की दीवारों को जोड़ने वाला योग आखिर मानसिकताओं को कब जोड़ पाएगा.