Indian Economy: अमेरिका में सख्त मौद्रिक नीति अपनाए जाने और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) जारी रहने से पैदा हुई वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बावजूद भारत अपनी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना और काफी हद तक सेहतमंद इकोनॉमिक ग्रोथ की संभावना को देखते हुए वर्ष 2023 में विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना रह सकता है. सरकार की तरफ से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of doing Business) और स्किल्ड मैनपावर को बढ़ाने के लिए किए गए उपायों, देश के भीतर प्राकृतिक संसाधनों की मौजूदगी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से जुड़ी नीतियों के उदार होने, विशाल घरेलू बाजार की मौजूदगी और ग्रोथ रेट अच्छी रहने की संभावनाओं से नए साल में भी भारत विदेशी निवेशकों का भरोसा जीतने में कामयाब रह सकता है. हालांकि कॉन्ट्रैक्ट के क्रियान्वयन में देरी, थकाऊ प्रक्रिया और ऊंची ब्याज दरें चिंता का विषय रह सकती हैं.

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संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNCTAD की तरफ से जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, उद्योग जगत में नई परियोजनाओं के लिए होने वाले निवेश में सुधार की गति अब भी विकासशील देशों में कमजोर बनी हुई है. रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन संकट की वजह से पैदा हुई खाद्य, ईंधन व वित्त समस्याएं पहले से ही कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) के दुष्परिणामों का सामना कर रहे विकासशील देशों पर भारी पड़ रही हैं.

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जनवरी-सितंबर 2022 तक 42.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश

इन परिस्थितियों में भी भारत विदेशी निवेश आकर्षित करने के मामले में वर्ष 2022 में अच्छी स्थिति में रहा है. नवीनतम सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने जनवरी-सितंबर 2022 की अवधि में 42.5 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हासिल किया है. इसके पहले वर्ष 2021 में भी भारत में 51.3 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आया था. भारत को अब तक का सर्वाधिक FDI वित्त वर्ष 2021-22 में मिला था जब विदेशी निवेशकों ने यहां कुल 84.84 अरब डॉलर लगाए थे.

हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत में आने वाला इक्विटी FDI 14% घटकर 26.9 अरब डॉलर पर आ गया. अप्रैल-सितंबर की इस अवधि में कुल एफडीआई निवेश (इक्विटी निवेश, दोबारा निवेश की गई राशि और अन्य पूंजी) भी घटकर 39 अरब डॉलर रह गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 42.86 अरब डॉलर रहा था.

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विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा बना हुआ है भारत

डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) में सचिव अनुराग जैन ने कहा कि भारत विदेशी निवेशकों के लिए पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है. इसके लिए उन्होंने एफडीआई नीति (FDI Policy) में उदारीकरण, कारोबारी सुगमता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों, उद्योग पर नियम अनुपालन बोझ में की गई कमी, PLI योजनाओं के विस्तार और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए शुरू किए गए पीएम गतिशक्ति अभियान (PM GatiShakti National Master Plan) को प्रमुख कारण बताया.

जैन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, पिछले लगातार 8 वर्षों से देश में FDI निवेश का नया रिकॉर्ड बनता आ रहा है. हालांकि मौजूदा जियो-पॉलिटिकल चुनौतियों और धीमी पड़ती आर्थिक ग्रोथ से जुड़ी चुनौतियां बनी हुई हैं और आने वाले समय में कुछ नई चुनौती भी आ सकती है. बहरहाल DPIIT सचिव का मानना है कि सरकार की तरफ से PLI योजनाओं में लगातार किए जा रहे विस्तार का फायदा उठाने के लिए विदेशी निवेशक भारत में विनिर्माण गतिविधियों में निवेश करना चाहेंगे. कारोबार से जुड़ी मंजूरियों को जल्द देने के लिए शुरू किया गया नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (NSWS) पोर्टल भी विदेशी निवेशकों के लिए मददगार होगा.

14 सेक्टर्स के PLI स्कीम

देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने 14 सेक्टर्स के लिए PLI योजना की घोषणा की थी. इनमें उत्पाद, दूरसंचार और वाहन कलपुर्जा भी शामिल हैं. इस योजना के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. अभी तक इस योजना के तहत 13 सेक्टर्स में 650 आवेदनों को मंजूरी दी जा चुकी है.

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भारत का प्रदर्शन बेहतर रहने की संभावना

विशेषज्ञों को भी भरोसा है कि वर्ष 2023 में विदेशी निवेश की मजबूती बनी रहेगी. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहने की संभावना और मजबूत आर्थिक परिदृश्य भारत को विदेशी निवेश के लिहाज से एक आकर्षक गंतव्य के रूप में स्थापित करेगा.

इंडसलॉ के संस्थापक साझेदार कार्तिक गणपति का भी मानना है कि भारत की ग्रोथ काफी हद तक घरेलू उपभोग पर आधारित होने और अर्थव्यवस्था के तेजी से डिजिटलीकरण को देखते हुए भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना रहेगा.

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