HAL Disinvestment: वित्त वर्ष 2020 में 65,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने के प्रयास के तहत विनिवेश विभाग हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के लिए सरकार की 15 फीसदी हिस्सेदारी को मार्च के पहले सप्ताह में एएफएस (AFS) रूट के माध्यम से बिक्री के लिए लाया जा सकता है. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, सूत्रों ने यह जानकारी दी है. प्रति शेयर 774 रुपये के बाजार मूल्य पर सरकार को 3,843 करोड़ रुपये से कुछ ज्यादा मिलेंगे. कंपनी ने वित्त वर्ष 2018-19 में 2,282 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया था.

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सूत्रों ने कहा कि मार्च के पहले सप्ताह तक ओएफएस (OFS) को रोकने के प्रयास जारी हैं. ओएफएस के माध्यम से ब्रिक्री कर सबसे कम समय में राजस्व प्राप्त किया जा सकता है. विभाग ने ओएफएस के लिए पिछले महीने मर्चेट बैंक और ब्रोकर्स से प्रस्ताव आग्रह (आरएफपी) के लिए आग्रह जारी किया था. एचएएल में सरकार की 89.97 प्रतिशत हिस्सेदारी है. प्रत्येक इक्विटी की फेस वेल्यू 10 रुपये है. 

सरकार ने सीपीएसई ईटीएफ (CPSE ETF) के सातवें अंश के 16,500 करोड़ रुपये समेत अब तक 34,000 करोड़ रुपये अर्जित किए हैं. 55 साल पुरानी कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी 600 करोड़ रुपये है और 31 मार्च, 2019 तक इक्विटी पूंजी का भुगतान किया जा चुका है. कंपनी को मार्च, 2018 में शेयर बाजारों में लिस्टेड किया गया था. 

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सरकारी उपक्रमों (PSU) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश या डिसइन्वेस्टमेंट कहलाती है. कई कंपनियों में सरकार की काफी हिस्सेदारी है. आम तौर पर इन कंपनियों को सावर्जनिक उपक्रम या पीएसयू कहते हैं. समय-समय पर सरकार सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला लेती रहती है. सामान्य तौर पर सरकार आम बजट में वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश (DisInvestment) का टारगेट तय करती है. सरकार के लिए  डिसइन्वेस्टमेंट पूंजी जुटाने का एक माध्यम है. शेयर बाजार में अपने हिस्से के शेयर बिक्री के ऑफर से निवेशकों को उस सरकारी उपक्रम में निवेश के लिए आमंत्रित करती है.