वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को बैंक प्रमुखों के साथ बैठक कर अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी लाने पर बातचीत की. बाद में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में उन्‍होंने बताया कि बैंकों से कहा गया है कि वे इकोनॉमी में तेजी लाने में सरकार की मदद करें. उन्‍होंने बैंकों से इंडस्‍ट्री को ज्‍यादा से ज्‍यादा कर्ज देने की बात कही. उन्‍होंने बताया कि बैंक रीयल एस्‍टेट क्षेत्र में सेल बढ़ाने के लिए NBFC को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोन उपलब्‍ध कराएंगे. 

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आपको बता दें कि सरकार ग्‍लोबल मंदी की चिंता के बीच भारतीय इकोनॉमी में आई सुस्‍ती दूर करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. इससे पहले 14 सितंबर को प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में वित्त मंत्री ने नए कदमों का ऐलान किया था. इसके तहत उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों में तेजी लाने के लिए 60,000 करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया था.

उन्‍होंने बताया कि इकोनॉमी के कई क्षेत्र में सेल डाउन होने और कारोबारी साल की पहली तिमाही में GDP का ग्रोथ रेट घटकर छह साल के निचले स्तर 5 फीसदी पर आने के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.

सरकार ने जिन कदमों का ऐलान किया, उनमें एक्‍सपोर्ट बढ़ाने, GST में इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए पूरी तरह ऑटोमेटेड इलेक्ट्रॉनिक रिफंड, निर्यात के लिए प्राथमिक सेक्टर के कर्ज के मानकों में संशोधन और एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस स्कीम (ECIS) के क्षेत्र में विस्तार शामिल है. निर्यात बढ़ाने की निगरानी के लिए एक अंतर-मंत्रालयी दल बनाया गया है.

वित्त मंत्री ने बताया कि मौजूदा मर्चेन्‍टाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) की जगह रीमिशन ऑफ ड्यूटीज फॉर एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) अर्थात निर्यात उत्पादों पर शुल्क में छूट की योजना लाई गई है. उन्होंने बताया कि आरओडीटीईपी लागू करने से सरकारी खजाने पर 50,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.